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स्वास्थ्यकर्मियों को फाइलेरिया उन्मूलन के लिए दी गयी ट्रेनिंग

फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम जिले में 10 से 25 फरवरी तक चलाया जाना है. इसे लेकर स्वास्थ्य विभाग की ओर से तैयारियां की जा रही है.

पाकुड़. फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम जिले में 10 से 25 फरवरी तक चलाया जाना है. इसे लेकर स्वास्थ्य विभाग की ओर से तैयारियां की जा रही है. शनिवार को पुराने अस्पताल में प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ गुफरान आलम व भीवीडी डॉ केके सिंह की अध्यक्षता में प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया. प्रशिक्षण में केटीएस, एमपीडब्ल्यू व सहिया साथियों ने भाग लिया. प्रशिक्षक राजकिशोर प्रसाद व शांतनु मंडल ने उपस्थित स्वास्थ्य कर्मियों को प्रशिक्षण दिया. बताया कि दो साल से कम उम्र के बच्चे, गर्भवती महिलाओं, अति गंभीर बीमार वाले व्यक्ति को दवा नहीं खिलानी है. फाइलेरिया को हाथी पांव कहा जाता है. सावधानी बरत कर ही लोगों को दवाई दी जानी है. इससे बीमारी को रोका जा सकता है. डॉ गुफरान आलम ने बताया कि फाइलेरिया संक्रमण आमतौर पर बचपन में होता है. मगर इसके लक्षण आठ से नौ साल के बाद दिखाई देता है. यदि बीमारी की पहचान समय से नहीं की गयी तो यह पूरे शरीर को पूरी तरह से खराब कर देता है. फाइलेरिया उन्मूलन को लेकर सर्वजन दवा सेवन अभियान (एमडीए) चलाया जाता है, जिसमें फाइलेरिया रोकथाम के लिए लोगों को दवा की खुराक खिलायी जाती है. इसमें ट्रिपल ड्रग दिया जाता है, इसमें आइवरमेक्टिन, डीइसी तथा एल्बेंडाजोल खिलाया जाता है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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