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पलामु : मीर मुख्तियार अली ने सूफी गायन से नफरत के खिलाफ प्रेम की आवाज को किया बुलंद

संध्या का आगाज आदिवासी कलाकारों द्वारा नगाड़ा वादन के साथ हुआ. इसके बाद बिहार इप्टा के कलाकारों ने लक्ष्मी प्रसाद यादव के नेतृत्व में 'अइले नगाड़ा लेके इप्टा मैदान में' इप्टा गीत प्रस्तुत किया. छत्तीसगढ़ इप्टा के साथियों ने मणिमय मुखर्जी के नेत्रत्व में सलिल चौधरी की धुन पर जनगीतों की प्रस्तुति दी.

सैकत चटर्जी, पलामू. पलामू में हो रहे इप्टा के 15वें राष्ट्रीय सम्मेलन के पहले दिन 17 मार्च को नीलाम्बर पीताम्बार लोक महोत्सव के अंतर्गत सांस्कृतिक संध्या का आयोजन किया गया. सांस्कृतिक संध्या का मुख्य आकर्षण अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त सूफी गायक मीर मुख्तियार अली रहे, जिन्होंने अपने सूफी गायन से नफ़रत के खिलाफ़ प्रेम की आवाज को बुलंद किया.

झारखंड के कलाकारों ने किया आगाज

सांस्कृतिक संध्या का आगाज झारखंड के आदिवासी कलाकारों द्वारा नगाड़ा वादन के साथ हुई. इसके बाद बिहार इप्टा के कलाकारों ने लक्ष्मी प्रसाद यादव के नेतृत्व में ‘अइले नगाड़ा लेके इप्टा मैदान में’ इप्टा गीत प्रस्तुत किया. छत्तीसगढ़ इप्टा के साथियों ने मणिमय मुखर्जी के नेत्रत्व में सलिल चौधरी की धुन पर जनगीतों की प्रस्तुति दी.

झारखंड का पाइका भी जीता दर्शकों का दिल

झारखण्ड के कलाकारों ने पाईका लोकनृत्य की शानदार प्रस्तुति दी. अपने नृत्य कुशलता से पाइका कलाकारों ने दर्शकों का दिल जीत लिया. बिहार इप्टा के कलाकारों ने श्वेता भरती के नृत्य संयोजन में झिझिया लोकनृत्य की मनभावन प्रस्तुति दी. उड़ीसा इप्टा ने उडसी नृत्य की प्रस्तुति दी.

रिमझिम बूंदे, गहराती रात और मीर का धुन

कार्यक्रम के आखिर में अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त सूफी गायक मीर मुख्तियार अली ने अपने सूफी गायन से समा बांधा. रात करीब नौ बजे मंच सम्हालते हुए मीर ने रिमझिम बूंदे और गहराती रात के साथ अपनी धुन की जादू बिखेरकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया. उन्होंने एक के बाद एक अमीर खुसरो, कबीर, गुलाम फ़रीद, बुल्लेशाह जैसे प्रेम और सद्भाव को तरजीह देने वाले सूफियों के कलाम को प्रस्तुत किए. श्रोताओं से मिले फरमाइश्यों को भी मुख्तियार अली ने पूरा किया.

शिवाजी मैदान में सांस्कृतिक संध्या में जुटे देश भर के कलाकार

इप्टा के 15वें राष्ट्रीय सम्मेलन के पहले दिन 17 मार्च को नीलाम्बर पीताम्बार लोक महोत्सव के अंतर्गत सांस्कृतिक संध्या का आयोजन किया गया. इस आयोजन में देश भर से आए कलाकारों ने भाग लिया. सांस्कृतिक संध्या का मुख्य आकर्षण अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त सूफी गायक मीर मुख्तियार अली रहे जिन्होंने अपनी सूफी संगीत से सांस्कृतिक संध्या का आगाज झारखंड के आदिवासी कलाकारों द्वारा नगाड़ा वादन के साथ हुई. इसके बाद बिहार इप्टा के कलाकारों ने लक्ष्मी प्रसाद यादव के नेत्रत्व ‘अइले नगाड़ा लेके इप्टा मैदान में’ जनगीत प्रस्तुत किया गया.

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सलिल चौधरी की धुन पर जनगीतों की प्रस्तुति

छत्तीसगढ़ इप्टा के साथियों ने मणिमय मुखर्जी के नेत्रत्व में सलिल चौधरी की धुन पर जनगीतों की प्रस्तुति दी. झारखण्ड के कलाकारों ने पाईका लोकनृत्य की शानदार प्रस्तुति दी. बिहार इप्टा के कलाकारों ने श्वेता भरती के नृत्य संयोजन में झिझिया लोकनृत्य की मनभावन प्रस्तुति दी. उड़ीसा इप्टा ने उडसी नृत्य की प्रस्तुति दी. कार्यक्रम के आखिर में अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त सूफी गायक मीर मुख्तियार अली ने अपने सूफी गायन से समा बांधा.

सूफियों के कलाम की प्रस्तुति

उन्होंने नफ़रत के खिलाफ़ प्रेम की अलख जलाते हुए अमीर खुसरो, कबीर, गुलाम फ़रीद, बुल्लेशाह जैसे प्रेम और सद्भाव को तरजीह देने वाले सूफियों के कलाम को प्रस्तुत किया. इस दौरान श्रोता झूमने लगे और फरमायशें भी करने लगे, जिसे मुख्तियार अली ने पूरा किया. सांस्कृतिक संध्या के दौरान शिवाजी मैदान में हजारों की तादाद में दर्शक मौजूद रहे. आयोजन समिति ने बताया कि सम्मेलन के दौरान प्रतिदिन सांस्कृतिक संध्या का आयोजन किया जायेगा .

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