पूरा देश नये साल के स्वागत को लेकर तैयार है. ऐसे में न्यू ईयर सेलिब्रेट करने के लिये झारखंड में कई पर्यटन स्थल है. जहां आप पिकनिक मना सकते है. अगर परिवार के साथ कहीं घूमने का प्लान कर रहे हैं तो पलामू की हसीन वादियों में अपना समय गुजार सकते है. यहां सुखद संयोग है. पर दुखद बात यह है कि सर पर कोरोना का साया फिर से मंडराने लगा है. लोगो से एहतियात बरतने की अपील की जा रही है, जो जरूरी भी है.
रानीताल डैम वर्तमान समय में पर्यटकों का सबसे पसंदीदा डेस्टिनेशन है. शहर के बगल में प्रकृति के गोद में कुछ पल बिताने का यह एक बेहतरीन जगह है. डैम काफी बड़ा है और इसके आसपास का इलाका भी काफी फैला हुआ है. यही आप अपना दोपहर का भोजन भी कर सकते हैं. वैसे रानीताल डैम से सूर्यास्त का नजारा भी काफी मोहक होता है. इसलिए आप चाहे तो शाम तक यही समय गुजर कर लौट सकते हैं.
रानीताल डैम से सीधे सड़क होते हुए आइये रामगढ प्रखंड के चुनहटवा झरना में. कभी यह जगह चुना पत्थरों का खादान हुआ करता था. इस समय पलामू जिले का खूबसूरत पर्यटक स्थलों में एक है. यह इलाका काफी दूर तक फैला हुआ है. यहां दो झरना है. एक नीचे दूसरा उपर, नीचे का झरना ज्यादा खूबसूरत है. लगातार पानी गिरने से इसके सामने एक नेचुरल स्विमिंग पुल बन गया है. लोग यहां नहाते भी है, पर सावधानी जरूरी है. पानी भी काफी ठंडा रहता है. छोटे पत्थर और घने जंगल के बीच यह झरना मन को शांति और तन को शीतलता देती है.
झरना के पास कुछ समय बिता कर चले आइये ऊपर. ऊपर चढ़ने के क्रम में ही आपकी मुलाकात पत्थरों की रंगीन दुनिया से होगी जो काफी खूबसूरत है. आप खुद ही इनके तरफ खींचे चले जाएंगे. ये पत्थर रंगीन तो है ही साथ में इनपर लगातार जल बहते रहने से चित्रकारी जैसा बन गया है, जो काफी अद्भुत है. अगर आप ढंग से घूमे तो आपका पूरा दिन यहीं बीत जाएगा.
चुनहटवा के झरना और रंगीन पत्थरों की दुनिया में ही समय खत्म हो जाये तो ठीक नहीं तो इस वीकेंड टूर सर्किट का एन्ड कीजिये धार्मिक आस्था के साथ. चुनहटवा से निकलकर आ जाइये चैनपुर प्रखंड के बभंडी गांव, जहां राधाकृष्ण जल मंदिर में आपको भक्ति भी मिलेगा और स्थापत्य कला की खूबसूरत झलक भी. यह मंदिर एक तलाब बीचो बीच में है. इसका निर्माण रानी ने अपने पति की याद में कराया था. कभी इसकी हालत बहुत खराब थी पर राज परिवार के वर्तमान वारिस जाने-माने चिकित्सक डॉ. रघुवंश नारायण सिंह ने इसका जीर्णोद्धार कराया है. जिसके बाद इसकी खूबसूरती काफी बड़ गयी है. मंदिर दर्शन के बाद खूबसूरत यादों को सहेजें आप मेदनीनगर लौट सकते है. मंदिर से शहर की दुरी सड़क मार्ग से आधा घंटा करीब है.
शाहपुर किला से 15 मिनट सड़क मार्ग का सफर तय करके चैनपुर किला पहुंच सकते हैं. यहां घुसने से पहले आपको अनुमति लेना जरूरी है क्योंकी वर्षों से अवहेलित रहने के बाद हाल में राज परिवार के द्वारा इस किले को बनवाया गया है. अभी इसके एक हिस्से में ये रहते है. यहां आपको किला के अलावा जगन्नाथ मंदिर भी देखने को मिलेगा. जहां पलामू का सबसे पुराना रथयात्रा निकलता है. इसी मंदिर के एक हिस्से में वो पत्थर भी मिलेंगे जो राजघराना से लड़ाई के समय नीलाम्बर किला में फेंका था. पत्थर का वजन से आप अनुमान लगा सकते है कि नीलाम्बर कितने ताकतवर होंगे.
कोयल नदी के तट पर स्थित है ऐतिहासिक शाहपुर किला. ये वही किला है जहां अंग्रेजों ने चेरो राजवंश की अंतिम रानी महारानी चंद्रावती कुंवर को नजरबंद कर रखा था. ये किला इस मायने में भी महत्वपूर्ण है कि नीलाम्बर-पीताम्बर के नेतृत्व में विश्रामपुर के चेरो शासक राजा भवानी बक्श राय जब अंग्रेजो के खिलाफ लड़ाई करने की ठानी तो इसी किले में आकर महारानी चंद्रावती कुंवर से उनका तोप मांगा था. किला जर्जर जरूर है, पर अपने बच्चों को पलामू के इतिहास के साथ रूबरू करने का एक अच्छा डेस्टिनेशन भी है.
रिपोर्ट : पलामू से सैकत चैटर्जी