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झारखंड: पलामू में बोले कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर, रामलला के बाद मथुरा में कृष्ण मंदिर को लेकर उठाएंगे बड़ा कदम

प्रसिद्ध कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज ने कहा कि सनातनी अपने धर्म को भूले नहीं हैं, बल्कि नजर अंदाज कर रहे हैं. धर्म दूसरों की सेवा करने के लिए सिखाता है. सनातन संस्कृति देश की पहचान है. रामराज की कल्पना तभी साकार होगी, जब सभी सनातनी अपने धर्म के लिए काम करेंगे.

मेदिनीनगर (पलामू), चंद्रशेखर सिंह: प्रसिद्ध कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज ने कहा कि 22 जनवरी को रामलला के मंदिर का शुभारंभ हो रहा है. इसके बाद मथुरा में श्रीकृष्ण मंदिर निर्माण को लेकर बड़ा कदम उठाएंगे. उन्होंने कहा कि पिछले 27 वर्षों से कथा के माध्यम से सनातनियों को जगाने व उनकी आवाज को उठाने का कार्य रहे हैं. वे शुक्रवार को पलामू के मेदिनीनगर में दीपू सिंघानिया के आवास पर आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में बोल रहे थे. उन्होंने कहा कि संस्कृति खत्म हो जायेगी, तो सबकुछ खत्म हो जायेगा. अंग्रेज लाख प्रयास करके भी भारत की संस्कृति को नष्ट नहीं कर सके, लेकिन आजादी के बाद भारतीय संस्कृति को लगातार कमजोर किया गया है. उन्होंने कहा कि हिन्दुस्तान के प्रत्येक सनातनी को न्यायालय व सरकार से मथुरा में श्रीकृष्ण मंदिर निर्माण कराने की मांग जोरदार तरीके से उठानी चाहिए. वर्ष 2007 से अयोध्या में राम मंदिर व मथुरा में कृष्ण मंदिर निर्माण की मांग श्रीमद्भागवत कथा के दौरान उठाते रहे हैं. उन्होंने कहा कि श्रेष्ठ कर्म ही धर्म है. युवाओं को अपनी संस्कृति अपनानी चाहिए. हमारी पीढ़ियां सुरक्षित हों, इसके लिए आज से ही काम करना होगा.

सनातन संस्कृति देश की पहचान

प्रसिद्ध कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज ने कहा कि सनातनी अपने धर्म को भूले नहीं हैं, बल्कि नजर अंदाज कर रहे हैं. धर्म दूसरों की सेवा करने के लिए सिखाता है. सनातन संस्कृति देश की पहचान है. रामराज की कल्पना तभी साकार होगी, जब सभी सनातनी अपने धर्म के लिए काम करेंगे. देवकीनंदन ठाकुर जी ने कहा कि आजादी के बाद मंदिरों में सनातनियों के चढ़ाये गये पैसे का दुरुपयोग किया जा रहा है. आखिर उस राशि से किस मजहब के लोगों का कल्याण हो रहा है? मंदिरों में चढ़ावे की राशि से प्रत्येक जिले में मॉल व पांच-पांच गुरुकुलम की स्थापना होनी चाहिए. जाति की बात कहकर वोटों के ध्रुवीकरण के प्रयास करने वाले नेताओं को चुनाव लड़ने के अधिकार को छीन लेने की जरूरत है. ऐसे नेता गलत मानसिकता के साथ काम कर रहे हैं. कोई नेता रामायण जला रहा है तो कोई वेद, कोई ब्राह्मण को गाली देता है, तो कोई देवी-देवताओं के बारे में गलत बोलता है. सनातनी इसे कैसे सहन कर सकता है. जाति की बात करना देश व ऐसे नेताओं के लिए घातक सिद्ध होगा. नेता तो ऐसा होना चाहिए जो जनहित में काम करे, ताकि भारत में रहने वाले सभी अपनी जाति को भूल जाएं. धर्मों रक्षति रक्षत: जो व्यक्ति धर्म व समाज की रक्षा नहीं करेगा, तो आने वाली पीढ़ी की रक्षा नहीं कर सकता.

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हिंदू राष्ट्र से रामराज की कल्पना

देवकीनंदन जी ने कहा कि श्रेष्ठ कर्म ही सबसे बड़ा धर्म है. उन्होंने कहा कि वर्ष 1670 में औरंगजेब ने मथुरा के कृष्ण मंदिर से विग्रह को उखाड़ कर जामा मस्जिद की सीढ़िया में लगा दिया था. विधर्मी उस पर चढ़कर मस्जिद में जाते हैं. इस मामले पर कोई भाईचारे की बात नहीं करता है. मैकाले ने पूरे भारत में पाश्चात्य संस्कृति को फैलाने का काम किया. इसके कारण भारत में सनातनी संस्कृति खत्म हो रही है. अधिकतर सनातनी अपनी संस्कृति को नजर अंदाज कर रहे हैं. सनातनी के मस्तक पर तिलक नहीं लगा रहे हैं और न ही हाथों में कलावा है. माता-पिता अपने को मॉडर्न बताकर अपनी संतानों को खराब कर रहे हैं. माता-पिता व गुरुजनों को पैर छूने की आदत ही सनातन संस्कृति है. हिंदू राष्ट्र यानी रामराज्य घोषित होने से सभी भारतीय शांति से रह सकेंगे. हिंदू राष्ट्र के माध्यम से रामराज की कल्पना करनी चाहिए. रामराज्य में धर्म की जय हो, अधर्म का नाश हो, प्राणियों में सद्भावना हो और विश्व का कल्याण हो का नारा गुंजता है. सनातनी अपना ही नहीं, पूरे विश्व के कल्याण की बात करते हैं. देवकीनंदन जी ने कहा कि पुरातन ऋषि मुनियों ने धर्म का मार्ग सिखलाया है, जरूरतमंदों की सेवा करना व दूसरों के दुख को बांटने की बात कही. मौके पर परशुराम युवा वाहिनी के संरक्षक गुरु पांडेय व अध्यक्ष देवेंद्र तिवारी, आशुतोष पांडेय लक्की, आशीष भारद्वाज, मीडिया प्रभारी अवधेश शुक्ला सहित कई लोग मौजूद थे.

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कलियुग के प्रभाव से श्रीमद्भागवत ही बचा सकती है : देवकीनंदन ठाकुर

पलामू के मेदिनीनगर बाइपास रोड स्थित हाउसिंग कालोनी परिसर में श्री लक्ष्मीनारायण महायज्ञ सह श्रीमदभागवत कथा के तीसरे दिन देवकीनंदन ठाकुर ने कहा कि कलियुग के प्रभाव में बुद्धि विपरीत हो जाती है. इससे बचने के लिए श्रीमद्भागवत कथा को सुनने व अपने जीवन में उतारने से लाभ मिलेगा. देवकीनंदन ठाकुर ने कहा कि इस धरती पर जन्म लेने वाले हर एक जीव यहां यात्रा करने आया है. किसकी यात्रा कितने दिनों की है. कोई नहीं जानता. शर्त यह है कि बुरी यात्रा व अच्छी यात्रा कौन करेगा. ऐसे में राधा-कृष्ण को प्यार करें. उनकी भक्ति में लीन हो जाएं. माता- पिता व संत का जो अपमान करता है, उसके जीवन में दु:ख आने से कोई रोक नहीं सकता है. दु:ख-सुख के लिए व्यक्ति स्वयं जिम्मेवार है. व्यक्ति का आचरण ही ये तय करता है.

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