पलामू, सैकेत चटर्जी. पश्चिमी सिंहभूम जिले में हुए माओवादी हमले में शहीद हुए झारखंड जगुआर के सब इंस्पेक्टर अमित कुमार तिवारी पंचतत्व में विलीन हो गये. बुधवार सुबह उनके पैतृक गांव पलामू के तोलरा में राजकीय सम्मान के साथ अमित कुमार तिवारी का अंतिम संस्कार किया गया. इस दौरान पलामू के सांसद विष्णुदयाल राम, आईजी राजकुमार लकड़ा, एसपी रिष्मा रमेशन, एएसपी ऋषभ गर्ग, एसडीपीओ सुरजीत कुमार समेत हजारों की संख्या में लोग शामिल हुए.
देर रात घर पहुंचा पार्थिव शरीर
इससे पहले अमित कुमार का पार्थिव शरीर मंगलवार देर रात करीब दो बजे तोलरा गांव स्थित उनके घर पहुंचा था. शहीद के अंतिम दर्शन के लिए रात से ही काफी संख्या में लोगों की भीड़ उमड़ने लगी थी. पार्थिव शरीर घर पर आते ही परिजन रोने लगे, वहां मौजूद सभी की आंखे नम हो गईं. यहां तक कि पार्थिव शरीर के साथ आए पुलिस पदाधिकारी और जवान भी काफी भावुक हो गए.
चाईबासा में हुई थी नक्सलियों के साथ मुठभेड़
बताया गया है कि चाईबासा के टोंटो थाना क्षेत्र के तुम्बाहाका जंगल में सोमवार की देर शाम सुरक्षाबलों और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ हुई थी. इस मुठभेड़ में झारखंड जगुआर के 2012 बैच के सब इंस्पेक्टर अमित तिवारी और हवलदार गौतम कुमार शहीद हो गये. सब इंस्पेक्टर अमित तिवारी पलामू के रेहला थाना क्षेत्र के तोलरा गांव निवासी थे. वहीं, गौतम बिहार के आरा जिला के रहने वाले थे. माओवादियों ने स्वतंत्रता दिवस के ठीक पहले वाली शाम को घटना को अंजाम दिया था. दोनों शहीद जवानों का पार्थिव शरीर 15 अगस्त को रांची लाया गया था. रांची के रिम्स में दोनों शवों का पोस्टमार्टम कराया गया. फिर झारखंड जगुआर कैंप में दोनों जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई. यहां राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन समेत डीजीपी व अन्य अधिकारियों ने दोनों जवानों श्रद्धा सुमन अर्पित किया. श्रद्धांजलि के बाद दोनों के पार्थिव शरीर को उनके पैतृक गांव भेजा गया.
अपने बेटे से भी नहीं मिल पाए अमित
बता दें कि घटना के तीन दिन पहले ही अमित की पत्नी ने एक बेटे को जन्म दिया था. शहीद अमित बेटे से मिल भी नहीं पाये. उन्होंने केवल मोबाइल में ही बेटे की तस्वीर देखी थी. बेटे की तस्वीर देखने के बाद अमित उससे मिलने को बेताब था. छुट्टी के लिए प्रयास भी कर रहा था, घरवालों को बताया कि अमित ने कहा था कि जैसे ही छुट्टी मिलेगी, आकर बेटे से मिलेंगे.
पुलिस सेवा में शहीद के घर के कई सदस्य
शहीद अमित कुमार तिवारी के पिता देवेंद्र तिवारी पेशे से किसान हैं. अमित के चाचा निरंजन कुमार तिवारी पुलिस में इंस्पेक्टर हैं. वे झारखंड में ही तैनात हैं. अमित तिवारी के घर के कई अन्य सदस्य भी पुलिस विभाग में कार्यरत हैं. परिजनों ने कहा कि शहादत पर गर्व तो है, लेकिन बेटे को खोने का गम भी है. खासकर परिजन इस बात को भूले नहीं भुला पा रहे है कि अमित अपने बेटे का मुंह भी नहीं देख पाया.
पूर्व एसपी चंदन सिन्हा की भर आयी आंख
पलामू के पूर्व एसपी चंदन कुमार सिन्हा लेसलीगंज स्थित पुलिस प्रशिक्षण केंद्र में झंडोत्तोलन करने के बाद शहीद के घर गए और उनके परिजनों से मिलकर उनका हौसला बढ़ाया. इस दौरान पूर्व एसपी चंदन सिन्हा की भी आंखें नम हो गई, उन्होंने पत्रकारों से कहा की किसी भी जवान की शहादत गर्व की बात तो है, लेकिन साथ में परिजनों के लिए और विभाग के लिए दुखदाई भी है, उन्होंने कहा कि पलामू वीर सपूतों की धरती रही है और इस कड़ी में शहीद अमित का नाम भी जुड़ गया .
मंत्री बादल पत्रलेख ने भी की परिजनों से बात
झंडोत्तोलन कार्यकर्म में पलामू पहुंचे सूबे के कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने दूरभाष पर शहीद के परिजनों से बात की. उन्होंने कहा कि पूरा सरकार इस समय शहीद के परिजनों के साथ है, उन्हें कोई दिक्कत नहीं हो यह सरकार देख रही है. उन्होंने शहीद अमित कुमार तिवारी को नमन किया.
सांसद ने कहा बेकार नहीं जाएगी शहादत
शहीद के अंतिम संस्कार में पहुंचे पलामू के सांसद विष्णु दयाल राम ने कहा कि पलामू के धरती के लाल अमित कुमार तिवारी की शहादत कभी बेकार नहीं जायेगी. उन्होंने कहा कि पुलिस और सेना की सेवा में शहादत गर्व की बात है, लेकिन इसके लिए शहीद के परिजनों को जो कीमत चुकानी पड़ती है, उसका कोई मोल नहीं हो सकता, फिर भी इस संकट की घड़ी में वे सरकार की ओर से परिजनों के साथ हैं.
उमड़ी हजारों की भीड़
शहीद का अंतिम दर्शन पाने के लिए तोलरा गांव में हजारों की भीड़ उमड़ पड़ी थी. गाडियों का तांता लग गया था. शहीद के घर से निकली अंतिम यात्रा में लोग गमगीन होकर निकले. इस दौरान शहीद और देश के नाम से नारे भी लगाए गए. मुखाग्नि के समय भी लोगों की आंखें नम हो गईं.
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बुधवार सुबह घर पहुंचा बिहार के जवान का पार्थिव शरीर
इधर, बिहार के जवान गौतम के पार्थिव शरीर भी जब उनके घर ले जाया गया तो पूरे गांव का माहौल गमगीन हो गया. शहीद गौतम बिहार के आरा जिला के शाहपुर थाना क्षेत्र के रंडाडीहा गांव के रहने वाले थे. बुधवार, अहले सुबह शहीद का पार्थिव शरीर गांव में आने की खबर फैली तो लोगों का हुजूम जमा हो गया. सभी शहीद का अंतिम दर्शन करना चाहते थे. इसी बीच जिले के वरीय अधिकारी व विभिन्न राजनैतिक दलों के नेता भी शहीद के घर पहुंचे और परिजनों का हौसला बढ़ाया.
पिता के मृत्यु के बाद मिली थी नौकरी
शहीद गौतम के पिता भी पुलिस की नौकरी में थे. 2012 में उनके निधन के बाद गौतम को उनके स्थान पर नौकरी मिली थी. गौतम शुरू से ही निडर स्वभाव के थे. दोस्तों के साथ अक्सर उसकी बात पुलिस या सेना में नौकरी करने को लेकर होती थी.
राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार की तैयारी
इधर, जिला प्रशासन व पुलिस बल की देख रेख में शाहिद की अंतिम संस्कार की तैयारी की जा रही है. शहीद के अंतिम यात्रा में शामिल होने के लिए दूर दराज से भी लोग पहुंचे हुए है.