लोकसभा चुनाव को लेकर पलामू में सियासी रंग चढ़ रहा है. ऐसे भी पलामू में राजनीति के दांव-पेच कुछ अलग ही होते हैं. छह विधानसभा वाले इस संसदीय सीट का मिजाज भी अलग-अलग होता है. 1973 बैच के आइपीएस विष्णुदयाल राम यानी वीडी राम पुलिस की नौकरी पूरी करने के बाद ‘मोदी लहर’ में दो बार भाजपा के सांसद बने. झारखंड के पूर्व डीजीपी वीडी राम 2014 और 2019 का लोकसभा चुनाव बड़े अंतर से जीत कर दिल्ली पहुंचे.
पलामू की राजनीतिक आबो-हवा भांपनेवाले बताते हैं कि इस बार वीडी राम की नैया डगमगा रही है. 72 वर्षीय वीडी राम की उम्र उनके फिर से दिल्ली जाने के रास्ते में रोड़ा बन सकती है. पलामू में उनके विरोधियों ने भी घेराबंदी तेज कर दी है. क्षेत्र में इनकी सक्रियता को लेकर पार्टी के अंदर के लोग ही सवाल उठा रहे हैं.
वहीं, पलामू की राजनीतिक फिजां में बाहरी-भितरी का भी खेल चल रहा है. पलामू के स्थानीय नेता इसे मुद्दा बना रहे हैं. बाहरी-भितरी की हवा बगल की चतरा संसदीय सीट से पलामू तक पहुंच रही है. चुनावी नैया पर सवार होने के लिए भाजपा में कई दावेदार कतार में हैं. प्रभात कुमार भुइयां, प्रकाश राम, मनोज कुमार भुइयां, जवाहर पासवान, ब्रजमोहन राम जैसे नेता अपने को भावी उम्मीदवार के रूप में प्रोजेक्ट कर रहे हैं.
लोकसभा क्षेत्र में इनका अपना चुनावी गणित है. इसमें कई नेताओं को भाजपा के बड़े नेताओं की बैकिंग भी है. झाविमो से कभी चुनाव लड़े प्रभात भुइयां को भरोसा है कि भाजपा में परिस्थिति बदलने के बाद उनके पाले में गेंद आ सकती है. वहीं, लातेहार से विधायक रहे प्रकाश राम की इस इलाके में अपनी जमीन है. प्रकाश राम का नाम भाजपा के कई नेता आगे बढ़ाते रहे हैं. मनोज कुमार भुइयां का अपना समीकरण है. पार्टी के अंदर इनकी अपनी लॉबिंग है. ब्रजमोहन राम हालांकि, तीन बार पलामू के सांसद रहे, लेकिन वो पुराना चेहरे हैं. वीडी राम का पत्ता कटता है, तो ब्रजमोहन राम भी उसी कसौटी पर कसे जायेंगे और उनके लिए मुश्किल होगी.
पार्टी मान कर चल रही है कि पलामू में किसी व्यक्ति विशेष से कहीं ज्यादा भाजपा का फैक्टर काम करेगा. भाजपा के अंदरखाने में यह भी चर्चा है कि राज्य के किसी बड़े एससी चेहरा को पार्टी यहां से उतार दे. पार्टी मान कर चलती है कि पलामू में कमल के खिलने में किसी खास चेहरे से ज्यादा भाजपा का ही खाद-पानी काम आता है.
इधर, यूपीए से ‘इंडिया’ बने मोदी विरोधी खेमे में भी टिकट के लिए दौड़-भाग तय है. ‘इंडिया’ में यह सीट राजद के पाले जायेगी. ऐसे में राजद के अंदर जोरदार लॉबिंग तय है. राजद से घूरन राम और वर्ष 2009 के चुनाव में झामुमो का झंडा पलामू में गाड़ने वाले कामेश्वर बैठा मजबूत दावेदार माने जाते हैं. हाल के दिनों में छत्तरपुर के पूर्व विधायक राधाकृष्ण किशोर ने भी राजद का दामन थामा है. हालांकि, श्री किशोर का चुनाव लड़ना भाजपा के रुख से तय होगा. वीडी राम के रिश्तेदार श्री किशोर भाजपा के पत्ता खोलने के बाद ही आगे कदम बढ़ायेंगे. वीडी राम मैदान में रहे, तो वह अपने को दूर रखेंगे.
रांची. पलामू संसदीय सीट से कांग्रेस की कमला कुमारी ने सर्वाधिक चार बार जीत दर्ज की है. कमला कुमारी 1967, 1971, 1980 और 1984 में चुनाव जीतीं. भाजपा के ब्रजमोहन राम वर्ष 1996 से 1999 तक के तीन चुनाव में जीत दर्ज करा चुके हैं. आजादी के बाद से यह सीट ज्यादातर कांग्रेस के कब्जे में रही. 1991 में पहली बार रामदेव राम ने भाजपा का खाता खोला. अब तक इस सीट पर भाजपा छह चुनाव जीत चुकी है. वहीं, राजद दो बार और वर्ष 1989 में जनता दल के जोरावर राम गैर कांग्रेसी-भाजपा सांसद बने थे.
पलामू संसदीय सीट में छह विधानसभा क्षेत्र आते हैं. चार पलामू और दो गढ़वा जिला में हैं. छह विधानसभा में चार पर भाजपा का कब्जा है. डालेटनगंज, विश्रामपुर, छत्तरपुर और भवनाथपुर में पिछले चुनाव में भाजपा ने बाजी मारी थी. वहीं, गढ़वा विधानसभा सीट से झामुमो और हुसैनाबाद सीट से एनसीपी चुनाव जीत कर आयी. पलामू भाजपा का गढ़ रहा है. भाजपा विरोधियों को यहां काफी पसीना बहाना होगा.