सुरेंद्र कुमार/शंकर पोद्दार
रजरप्पा: रामगढ़ का सीसीएल रजरप्पा परियोजना पिछले कुछ वर्षों से कोयले की समस्या से जूझ रही थी, लेकिन डीएलएफ पावर प्लांट के नीचे 34 लाख टन कोयला होने की जानकारी मिलने के बाद इसका कार्यकाल अगले तीन साल तक बढ़ जायेगा. इससे यहां के अधिकारियों व कामगारों में हर्ष है. रजरप्पा प्रबंधन और सीएमपीडीआइ ने यहां कोयले की खोज की. पिछले कई वर्षों से कोयले की कमी के कारण रजरप्पा परियोजना के बंद होने की अटकलें लगायी जा रही थीं. हालांकि, विषम परिस्थिति के बावजूद परियोजना ने वित्तीय वर्षों में उत्पादन लक्ष्य हासिल कर लिया है.
मिली जानकारी के अनुसार, सीसीएल रजरप्पा की 11 हेक्टेयर भूमि पर स्थित डीएलएफ पावर प्लांट को सुप्रीम कोर्ट द्वारा हटाने का आदेश मिलने के बाद यहां माइनिंग करने के लिए प्रबंधन ने भूमि का अधिग्रहण किया था. इसके बाद सीएमपीडीआइ ने ड्रील कर कोयले का पता लगाया. इसमें प्रारंभिक रूप में 34 लाख टन कोयले का भंडार मिला है. इसमें उत्पादन कार्य शुरू कर दिया गया है. सेक्शन एक में ओबी उत्पादन के लिए कांट्रेक्ट पर 12.2 मिलियन क्यूबिक मीटर पर कार्य शुरू किया गया है. 2.5 मिलियन टन वाशरी ग्रेड कोल का उत्पादन किया जायेगा, जो अगले लगभग तीन वर्षों तक होगा. सेक्शन एक में ही दो लाख 63 हजार क्यूबिक मीटर ओबी का उत्पादन कार्य कांट्रेक्ट के माध्यम से शुरू करा दिया गया है.
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रजरप्पा के महाप्रबंधक पीएन यादव ने बताया कि फिलहाल तीन वर्षों तक कोयले की कोई कमी नहीं होगी. ब्लॉक एक में कोयला उत्पादन के लिए पर्याप्त क्षेत्र मिल गया है. इसके बाद ब्लॉक टू में भी जब खदान क्षेत्र जायेगा, तो वहां भी कोयले का काफी भंडार है. महाप्रबंधक ने बताया कि डीएलएफ पावर प्लांट के अतिरिक्त शेष बचे भाग पर शीघ्र ही उत्पादन कार्य शुरू किया जायेगा. इसके लिए डीजीएमएस से अनुमति प्राप्त करने की प्रक्रिया लंबित है. खनन विस्तार के लिए यह कार्य बहुत जरूरी था. वर्तमान में रजरप्पा माइंस के सेक्शन एक और दो में 73 हेक्टेयर भूमि उपलब्ध हो गयी. उस पर उत्पादन कार्य होगा.