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पर्यावरण संरक्षण : तीन दशक से जंगल बचाने में जुटे हैं रामगढ़ के वीरू महतो

जंगल हमारा है. यह हमें जीवन प्रदान करता है, लेकिन हम अपनी जरूरत व स्वार्थ के लिए पेड़ों को काटते चले जा रहे हैं और जंगलों का विनाश कर रहे हैं. इससे प्राकृतिक व पर्यावरण का नुकसान तो हो ही रहा है, हमारे जीवन पर भी इसका व्यापक असर पड़ रहा है. आज भी रामगढ़ जिले के मांडू प्रखंड अंतर्गत छोटकी डूंडी ढोठवा निवासी वन प्रेमी वीरू महतो लोगों को जंगल बचाने के लिए इसी तरह से जागरूक कर रहे हैं.

कुजू (रामगढ़) : जंगल हमारा है. यह हमें जीवन प्रदान करता है, लेकिन हम अपनी जरूरत व स्वार्थ के लिए पेड़ों को काटते चले जा रहे हैं और जंगलों का विनाश कर रहे हैं. इससे प्राकृतिक व पर्यावरण का नुकसान तो हो ही रहा है, हमारे जीवन पर भी इसका व्यापक असर पड़ रहा है. आज भी रामगढ़ जिले के मांडू प्रखंड अंतर्गत छोटकी डूंडी ढोठवा निवासी वन प्रेमी वीरू महतो लोगों को जंगल बचाने के लिए इसी तरह से जागरूक कर रहे हैं. पढ़ें धनेश्वर प्रसाद की रिपोर्ट.

वीरू महतो (50 वर्ष) करीब तीन दशक से जंगल बचाने में जुटे हैं. वे छात्र जीवन से ही जंगल बचाओ आंदोलन के हिस्सा बन चुके थे. जंगल में जो भी व्यक्ति पेड़ काटने पहुंचे, उन्होंने उसकी टांगी को लूटा. जुर्माना लगाया. साथ ही जरूरत पड़ने पर विभाग से मिल कर कानूनी कार्रवाई करवाने का काम भी किया.

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अब यह जंगल करीब 661 एकड़ भूमि में फैला है. इनके अथक प्रयास से जंगल आज काफी घना रूप ले लिया है. वे खुद मुख्यमंत्री जन- वन योजना के तहत अपनी एक एकड़ रैयती भूमि में फलदार वृक्ष लगाये हैं. इसके लिए रामगढ़ वन प्रमंडल तथा बोकारो प्रक्षेत्र ने वर्ष 2016-17 में उन्हें 8 लाख रुपये की प्रोत्साहन राशि भी दिया था.

वीरू महतो के सकारात्मक कार्य को देख कर वन विभाग द्वारा इस क्षेत्र में 3.5 किलोमीटर सड़क का निर्माण, पुलिया निर्माण, कुआं, चेकडैम, तालाब व चापाकल लगाया गया. इन सभी कार्यों की देखरेख वीरू महतो द्वारा किया गया.

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वन प्रेमी वीरू महतो बताते हैं कि उनका शुरू से ही पेड़- पौधों से काफी गहरा लगाव रहा है. अगर वन नहीं रहा, तो पर्यावरण का संतुलन बिगड़ेगा. वर्षा नहीं होगी. क्षेत्र में अकाल की स्थिति उत्पन्न हो जायेगी. पर्यावरण का संतुलन ना बिगड़े, इसके लिए जंगलों को संरक्षित करना बेहद जरूरी है.

Posted By : Samir ranjan.

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