कुजू/चैनपुर. सीसीएल कुजू क्षेत्र सारूबेड़ा परियोजना का कार्य करीब चार वर्ष के बाद पुन: चालू हुआ. लोकल सेल भी शुरू हुआ, लेकिन सेल चालू होते ही आरा बस्ती के विस्थापित-प्रभावित ग्रामीणों ने सेल का कार्य बाधित कर दिया. आरा बस्ती के विस्थापितों का कहना था कि हमलोगों के बिना भागीदारी ही सेल को चालू कर दिया गया. सेल में नहीं जोड़ने के कारण हमलोग ठगा महसूस कर रहे हैं. आरा के विस्थापितों ने कहा कि जिस तरह सारूबेड़ा सेल समिति में वहां के रैयतों को रखा गया है, उसी तरह आरा के विस्थापित-प्रभावितों को समिति से जोड़ा जाये. इधर, सारूबेड़ा के रैयत विस्थापितों का कहना था कि आरा के रैयत सारूबेड़ा सेल में नहीं आते हैं. इसके कारण उनलोगों को सेल समिति से नहीं जोड़ा गया है.
सेल सुचारू रूप से चलाने को लेकर आरा-सारूबेड़ा ग्रामीणों के बीच हुआ वार्ता : इधर, मामले को देखते हुए मांडू सीओ को सूचना दी गयी. सीओ ने पीओ कार्यालय में वेस्ट बोकारो ओपी प्रभारी सदानंद कुमार, सारूबेड़ा पीओ एसके सिंह, मुखिया प्रतिनिधि सहेंद्र दास की मौजूदगी में दोनों पक्षों को बुलाया. आरा-सारूबेड़ा रैयतों की मांगों की जानकारी ली. सीओ ने सेल को सुचारू रूप से चलाने को लेकर आपसी सहमति के साथ कार्य करने को कहा. कहा कि सारूबेड़ा परियोजना में जिन रैयतों का भूमि अधिग्रहण किया गया है, वह विस्थापित हैं. जो भूमि अधिग्रहण से बाहर है, वह प्रभावित में आते हैं. दोनों क्षेत्र के लोग आपस मिलकर सेल का लाभ उठायें. दोनों क्षेत्र के लोगों ने 22 सितंबर को सारूबेड़ा पंचायत भवन में बैठक कर आपसी सहमति बनाने की बात कही. सीओ ने जब तक बैठक नहीं होती है, तब तक सेल को बंद रखने का निर्देश दिया है. इधर, सेल में छह ट्रक लोड हुआ. उधर, वार्ता में सारूबेड़ा रैयतों में जगदीश महतो, पारस महतो, करमचंद मांझी, टीरू मांझी, बिरजू मांझी, कार्तिक मांझी, बबलू मांझी, नवल किशोर महतो, भुनेश्वर महतो, धनेश्वर महतो के अलावे आरा रैयतों में संतोष महतो, सुरेश कुमार महतो, चितरंजन महतो, अमित कुमार, प्रकाश महतो, अशोक महतो शामिल थे.
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