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Navratri Prasad Recipe 2024: आज है मां शैलपुत्री का दिन, प्रसाद में माता को चढ़ाएं कुट्टू के आटे का हलवा

रांची : नवरात्रि 2024 में पूरे विधि विधान से मां दुर्गा की आराधना करने से आपकी सारी मनोकामनाएं पूरी होंगी. जब दो ऋतुओं का मिलन होता है, तब चैत्र नवरात्रि मनाते हैं. इस संधि काल में ब्रह्मांड से असीम शक्तियां ऊर्जा के रूप में उत्पन्न होती हैं और हम तक पहुंचती हैं. रांची के पंडित […]

रांची : नवरात्रि 2024 में पूरे विधि विधान से मां दुर्गा की आराधना करने से आपकी सारी मनोकामनाएं पूरी होंगी. जब दो ऋतुओं का मिलन होता है, तब चैत्र नवरात्रि मनाते हैं. इस संधि काल में ब्रह्मांड से असीम शक्तियां ऊर्जा के रूप में उत्पन्न होती हैं और हम तक पहुंचती हैं. रांची के पंडित रामदेव पांडेय बताते हैं कि हम दो नवरात्र के विषय में ही जानते हैं : चैत्र नवरात्र और आश्विन नवरात्र. चैत्र नवरात्र गर्मियों के मौसम की शुरुआत करता है और प्रकृति मां एक प्रमुख जलवायु परिवर्तन से गुजरती हैं. उपवास करते वक्त सात्विक भोजन जैसे कि आलू, कुट्टू का आटा, दही, फल, आदि खाते हैं. माता को प्रसाद में कुट्टू के आटे का हलवा भी चढ़ाया जाता ह

यह चैत्र शुक्ल पक्ष प्रथमा से नवरात्रि की शुरुआत होती है और रामनवमी को इसका समापन होता है. इस वर्ष चैत्र नवरात्र, 9 अप्रैल से शुरू हुआ है, जो 17 अप्रैल को संपन्न होगा. नवरात्रि में मां भगवती के सभी नौ रूपों की उपासना की जाती है. इस समय आध्यात्मिक ऊर्जा प्राप्त करने के लिए लोग विशिष्ट अनुष्ठान करते हैं. इस अनुष्ठान में देवी के रूपों की साधना की जाती है.

चैत्र नवरात्र 2024 की तिथियां

9 अप्रैल (पहला दिन) : इसे प्रतिपदा भी कहते हैं. इस दिन पर ‘घटत्पन’, ‘चंद्र दर्शन’ और ‘शैलपुत्री की पूजा’ की जाती है.

10 अप्रैल (दूसरा दिन) : दिन पर ‘सिंधारा दौज’ और ‘माता ब्रह्मचारिणी की पूजा’ की जाती है.

11 अप्रैल (तीसरा दिन) : यह दिन ‘गौरी तीज’ या ‘सौजन्य तीज’ के रूप में मनाया जाता है. इस दिन का मुख्य अनुष्ठान ‘चंद्रघंटा की पूजा’ है.

12 अप्रैल (चौथा दिन) : ‘वरद विनायक चौथ’ के रूप में भी जाना जाता है. इस दिन का मुख्य अनुष्ठान ‘कूष्मांडा की पूजा’ है.

13 अप्रैल (पांचवां दिन) : इस दिन को ‘लक्ष्मी पंचमी’ कहा जाता है. इस दिन का मुख्य अनुष्ठान ‘नाग पूजा’ और ‘स्कंदमाता की पूजा’ की जाती है.

14 अप्रैल (छठा दिन) : इसे ‘यमुना छत’ या ‘स्कंद षष्ठी’ कहते हैं. इस दिन का मुख्य अनुष्ठान ‘कात्यायनी की पूजा’ है.

15 अप्रैल (सातवां दिन) : सप्तमी को ‘महा सप्तमी’ के रूप में मनाया जाता है और देवी का आशीर्वाद मांगने के लिए ‘कालरात्रि की पूजा’ की जाती है.

16 अप्रैल (आठवां दिन) : अष्टमी को ‘दुर्गा अष्टमी’ के रूप में भी मनाया जाता है और इसे ‘अन्नपूर्णा अष्टमी’ भी कहा जाता है. इस दिन ‘महागौरी की पूजा’ और ‘संधि पूजा’ की जाती है.

17 अप्रैल (नौवां दिन) : ‘नवमी’ नवरात्रि उत्सव का अंतिम दिन ‘राम नवमी’ के रूप में मनाया जाता है. इस दिन ‘सिद्धिदात्री की पूजा’ की जाती है.

चैत्र नवरात्र के दौरान होने वाले अनुष्ठान

पंडित रामदेव ने बताया कि चैत्र नवरात्रि के दौरान कई अनुष्ठान होते हैं. इसमें भक्त नौ दिनों का उपवास रखते हैं. अपना दिन देवी की पूजा और नवरात्र के मंत्रों का जप करते हुए बिताते हैं. चैत्र नवरात्र के पहले तीन दिन ऊर्जा मां दुर्गा को समर्पित है. अगले तीन दिन, धन की देवी, मां लक्ष्मी को समर्पित है और आखिर के तीन दिन ज्ञान की देवी मां सरस्वती को समर्पित होते हैं. चैत्र नवरात्र के नौ दिनों में अलग-अलग दिन अलग-अलग पूजा के अनुष्ठान किये जाते हैं.

पूजा विधि

घट स्थापना नवरात्रि के पहले दिन सबसे आवश्यक है. घट ब्रह्मांड का प्रतीक है और इसे पवित्र स्थान पर रखा जाता है. घर की शुद्धि और खुशहाली के लिए.

1. अखंड ज्योति : नवरात्रि ज्योति घर और परिवार में शांति का प्रतीक है. इसलिए जरूरी है कि आप नवरात्रि की पूजा शुरू करने से पहले देशी घी का दीपक जलायें. यह आपके घर की नकारात्मक ऊर्जा को कम करने में मदद करता है और भक्तों में मानसिक संतोष बढ़ाता है.

2. जौ की बुवाई : नवरात्रि में घर में जौ की बुवाई करते हैं. ऐसी मान्यता है की जौ इस सृष्टि की पहली फसल थी. इसीलिए इसे हवन में भी चढ़ाया जाता है. वसंत ऋतु में आने वाली पहली फसल भी जौ ही है, जिसे देवी मां को चैत्र नवरात्रि के दौरान अर्पित करते हैं.

3. नव दिवस भोग (9 दिन के लिए प्रसाद) : नवरात्रि के दौरान प्रत्येक दिन एक देवी का प्रतिनिधित्व होता है. इसलिए हर दिन देवी को कुछ भेंट करने के साथ-साथ भोग चढ़ाया जाता है. सभी नौ दिन देवी के लिए 9 प्रकार के भोग निम्न अनुसार हैं :

पहला दिन : केला

दूसरा दिन : देशी घी (गाय के दूध से बने)

तीसरा दिन : नमकीन मक्खन

चौथा दिन : मिश्री

पांचवां दिन : खीर या दूध

छठा दिन : मालपुआ

सातवां दिन : शहद

आठवां दिन : गुड़ या नारियल

नौवां दिन : धान का हलवा

4. दुर्गा सप्तशती : दुर्गा सप्तशती शांति, समृद्धि, धन और शांति का प्रतीक है. नवरात्र के 9 दिनों के दौरान दुर्गा सप्तशती का पाठ करना सबसे अधिक शुभ कार्य माना जाता है.

5. नौ दिन के लिए नौ रंग : शुभकामना और प्रसन्नता के लिए नवरात्र के नौ दिनों के दौरान लोग नौ अलग-अलग रंग के वस्त्रादि पहनते हैं :

पहला दिन : हरा

दूसरा दिन : नीला

तीसरा दिन : लाल

चौथा दिन : नारंगी

पांचवां दिन : पीला

छठा दिन : नीला

सातवां दिन : बैंगनी रंग

आठवां दिन : गुलाबी

नौवां दिन : सुनहरा रंग

6. कन्या पूजन : कन्या पूजन मां दुर्गा की प्रतिनिधियों (कन्या) की प्रशंसा करके, उन्हें विदा करने की विधि है. उन्हें फूल, इलायची, फल, सुपारी, मिठाई, शृंगार की वस्तुएं, कपड़े, घर का भोजन (खासकर : हलवा, काले चने और पूरी) प्रस्तुत करने की प्रथा है.

अनुष्ठान के कुछ विशेष नियम :

1. प्रार्थना और उपवास चैत्र नवरात्रि समारोह का प्रतीक हैं. त्योहार के आरंभ होने से पहले, अपने घर में देवी का स्वागत करने के लिए घर की साफ-सफाई करते हैं.

2. सात्विक जीवन व्यतीत करते हैं. भूमि शयन करते हैं. सात्विक आहार लेते हैं.

3. उपवास करते वक्त सात्विक भोजन जैसे कि आलू, कुट्टू का आटा, दही, फल, आदि खाते हैं.

4. नवरात्रि के दौरान, भोजन में समय का सख्त अनुशासन बनाये रखते हैं और अपने व्यवहार की निगरानी भी करते हैं. इस दौरान भक्त अस्वास्थ्यकर खाना (Junk Food) नहीं खाते, सत्संग करते हैं, ज्ञान सूत्र से जुड़ते हैं, ध्यान करते हैं, चमड़े का प्रयोग नहीं करते, क्रोध से बचे रहते हैं, कम से कम 2 घंटे का मौन रहते हैं, अनुष्ठान समापन पर क्षमा प्रार्थना का विधान है तथा विसर्जन करते हैं.

चैत्र नवरात्र का महत्व :

पंडित रामदेव बताते हैं कि ऐसा माना जाता है कि यदि भक्त बिना किसी इच्छा की पूर्ति के लिए महादुर्गा की पूजा करते हैं, तो वे मोक्ष के मार्ग पर अग्रसर होते हैं और मोक्ष को प्राप्त करते हैं.

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