सुनील चौधरी, रांची. झारखंड के वैसे सुदूरवर्ती गांव या टोले जहां भौगोलिक स्थिति के कारण ग्रिड के माध्यम से पारंपरिक बिजली पहुंचना संभव नहीं था. ऐसे में राज्य सरकार ने ऑफ ग्रिड सोलर पावर प्लांट के माध्यम से इन गांवों में विद्युतीकरण कराने की ठानी. झारखंड बिजली वितरण निगम द्वारा कराये गये सर्वे से गांवों की सूची जेरेडा ने ली और फिर ऑफ ग्रिड सोलर पावर प्लांट लगाने का काम शुरू हुआ. पिछले चार वर्षों में राज्यभर के 128 गांवों में ऑफ ग्रिड सोलर पावर प्लांट लगाये गये हैं. इन गांवों के 10016 घरों में सौर ऊर्जा से बिजली मिल रही है. गांव की सड़कें स्ट्रीट लाइट से रोशन हो रही हैं. स्कूलों और चौपालों में भी बिजली पहुंच गयी है.
सर्वे करके गांव का हुआ निर्धारण
प्रत्येक घर में 500 किलोवाट क्षमता की बिजली का निर्धारण करते हुए गांव के लिए सोलर पावर प्लांट की कुल क्षमता का निर्धारण किया गया है. चिह्नित गांवों में मिनी/माइक्रो ऑफ ग्रिड सोलर पावर प्लांट की स्थापना कर उत्पादित बिजली को डेडिकेटेड पावर डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क तैयार कर प्रत्येक घरों में वायरिंग कराके तीन-तीन एलइडी लाइट भी लगायी गयी. इसके अलावा गांव में स्थित विद्यालय, चौपाल, ग्रामीण सड़कों एवं गलियों में स्ट्रीट लाइट के माध्यम से विद्युतीकरण किया गया. इसकी निगरानी के लिए प्रत्येक गांव में एक विलेज लेवल समिति भी गठित की गयी है. यही कमेटी सोलर पावर प्लांट की निगरानी और सुरक्षा करती है. किसी प्रकार की त्रुटि आने पर एजेंसी जेरेडा को सूचना देती है. फिर जेरेडा उसकी मरम्मत कराता है.एक गांव में औसतन एक करोड़ रुपये हुए खर्च
एक गांव में ऑफ ग्रिड सोलर पावर प्लांट लगाने पर औसतन एक करोड़ रुपये खर्च हुए हैं. जेरेडा द्वारा लगभग 130 करोड़ रुपये खर्च कर 128 गांवों को रोशन किया गया है. यह राशि राज्य सरकार के अनुदान से ही दी गयी थी.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है