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ताजिकिस्तान में फंसे झारखंड के 35 मजदूर कब लौटेंगे वतन ? हेमंत सोरेन सरकार से लगायी थी मदद की गुहार

प्रवासी मजदूरों का ये पहला मामला नहीं है. इससे पहले भी कई मजदूर विदेशों में फंस चुके हैं. कंपनियों द्वारा काम कराकर पासपोर्ट जब्त कर लने और मजदूरी नहीं देने पर मजदूरों की परेशानी बढ़ जाती है. इस बार भी झारखंड के बोकारो, गिरिडीह, हजारीबाग और धनबाद के मजदूर ताजिकिस्तान में फंसे हुए हैं.

रांची : ताजिकिस्तान में फंसे झारखंड के 35 श्रमिक जल्द अपने वतन लौटेंगे. राज्य प्रवासी नियंत्रण कक्ष के अनुसार पहले चरण में 22 श्रमिक झारखंड लौट आएंगे. शेष मजदूर टिकट बुकिंग के बाद आएंगे. आपको बता दें कि झारखंड के 35 मजदूर ताजिकिस्तान में फंसे हुए हैं. इन्होंने झारखंड की हेमंत सोरेन और केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार से अपील की है कि उनकी वतन वापसी सुनिश्चित की जाए. ताजिकिस्तान में फंसे ये सभी मजदूर बोकारो, गिरिडीह, हजारीबाग और धनबाद जिले के रहने वाले हैं.

ताजिकिस्तान में भारतीय दूतावास से किया गया था संपर्क

प्रवासी मजदूरों का ये पहला मामला नहीं है. इससे पहले भी कई मजदूर विदेशों में फंस चुके हैं. कंपनियों द्वारा काम कराकर पासपोर्ट जब्त कर लने और मजदूरी नहीं देने पर मजदूरों की परेशानी बढ़ जाती है. इस बार भी झारखंड के बोकारो, गिरिडीह, हजारीबाग और धनबाद के मजदूर ताजिकिस्तान में फंसे हुए हैं. सोशल मीडिया के जरिए उन्होंने वतन वापसी की गुहार लगायी है. प्रवासी मजदूरों की सुरक्षित वापसी के लिए झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार द्वारा ताजिकिस्तान में भारतीय दूतावास से संपर्क किया गया था. इसके बाद इनकी वतन वापसी का राह आसान हुई है. पहले चरण में 22 मजदूर झारखंड लौटेंगे. इसके बाद शेष मजदूर आएंगे.

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प्रवासी मजदूरों ने लगायी वतन वापसी की गुहार

ताजिकिस्तान में फंसे 35 प्रवासी मजदूरों ने सोशल मीडिया के माध्यम से वतन वापसी की गुहार लगायी है. मजदूरों ने मदद के लिए भारत सरकार एवं झारखंड सरकार के नाम त्राहिमाम संदेश भेजा है. सरकारों से कहा है कि जिस कंपनी में ये लोग काम कर रहे थे, उसने उन्हें वेतन नहीं दिया है. सभी श्रमिकों ने कहा है कि वे दाने-दाने को मोहताज हैं. आपको बता दें कि इससे पहले भी ताजिकिस्तान में 44 मजदूर फंस गये थे. ये लोग चार माह पूर्व बिष्णुगढ़ प्रखंड के खरना के पंचम महतो की मदद से ताजिकिस्तान गये थे.

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