रांची : शहर की सफाई पर रांची नगर निगम हर माह 3.50 करोड़ रुपये खर्च कर रहा है. फिर भी शहर की सफाई व्यवस्था पटरी पर नहीं आ पा रही है. शहर की मुख्य सड़कों से तो प्रतिदिन कूड़े का उठाव हो रहा है, लेकिन गली-मोहल्ले से रोजाना कूड़े का उठाव नहीं हो रहा है. बारिश के कारण गली-मोहल्ले में लगे कचरों के ढेर से बदबू आने लगी है. इससे मोहल्ले के लोग परेशान हैं.
मॉडल नहीं बन पायी शहर की सफाई व्यवस्था : शहर की सफाई व्यवस्था को मॉडल बनाने की घोषणा वर्ष 2010 से ही हो रही है. तब निगम ने एटूजेड कंपनी को शहर की सफाई का जिम्मा दिया था. कहा गया था कि अब हर घर से प्रतिदिन कूड़े का उठाव होगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. इसका नतीजा यह हुआ कि दो साल बाद कंपनी को टर्मिनेट कर दिया गया.
इस दौरान सफाई पर प्रतिमाह 75-80 लाख रुपये खर्च होते थे. वर्ष 2016-17 में शहर की सफाई का जिम्मा एस्सेल इंफ्रा को सौंपा गया. तब कहा गया था कि शहर की सफाई व्यवस्था देश के लिए मॉडल बन जायेगी. दो सालों तक कंपनी ने शहर की सफाई की.
इस दौरान प्रतिमाह करीब तीन करोड़ खर्च होते थे, लेकिन स्थिति दिनों-दिन खराब हो गयी. नतीजा इस कंपनी को भी पिछले वर्ष टर्मिनेट कर दिया गया. अब निगम खुद से शहर की सफाई करवा रहा है. इस पर प्रतिमाह 3.50 करोड़ रुपये खर्च हो रहे हैं.
एक करोड़ वेतन पर व 90 लाख डीजल पर खर्च : शहर की सफाई व्यवस्था पर प्रतिमाह 3.50 करोड़ रुपये खर्च हो रहे हैं. इसमें से एक करोड़ की राशि 2400 कर्मचारियों के वेतन पर ही खर्च हो जाते हैं.इसके अलावा 350 से अधिक वाहनों के सफाई कार्य में लगे होने के कारण हर माह 90 लाख रुपये डीजल पर खर्च होता है. इसके अलावा वाहनों के मेंटेनेंस, ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव व मक्खी-मच्छरों के लिए चलाये जा रहे अभियान में शेष राशि खर्च होती है.
Post by : Pritish Sahay