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हर बच्चे पर 4000 खर्च, शिक्षक काबिल, फिर भी निजी स्कूल क्यों पसंद है

एक सवाल, जिसका उत्तर हम सबको मिलकर खोजना है. झारखंड सरकार सरकारी विद्यालयों में पढ़नेवाले हर बच्चे पर प्रति माह 4000 रुपये तक खर्च करती है. किताब, कॉपी, जूता-मोजा और भोजन सब कुछ का खर्च सरकार देती है

रांची : एक सवाल, जिसका उत्तर हम सबको मिलकर खोजना है. झारखंड सरकार सरकारी विद्यालयों में पढ़नेवाले हर बच्चे पर प्रति माह 4000 रुपये तक खर्च करती है. किताब, कॉपी, जूता-मोजा और भोजन सब कुछ का खर्च सरकार देती है. फिर भी अभिभावकों का झुकाव हर माह एक से चार हजार रुपये तक फीस वसूलनेवाले निजी विद्यालय की ओर क्यों है? शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो राज्य के लोगों से यह सवाल पूछ रहे हैं. शिक्षा मंत्री ने इन सवालों के साथ अपना एक वीडियो फेसबुक पर पोस्ट किया है. शिक्षा मंत्री कहते हैं-सरकार सभी प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध कराती हैं. इसके बाद भी बच्चे निजी स्कूल की ओर जा रहे हैं.

अभिभावक बच्चों को निजी स्कूल में पढ़ाना चाहते हैं.वीडियो में शिक्षा मंत्री शिक्षक और अधिकारियों से पूछ रहे हैं कि जब हम सबकुछ दे रहे हैं, फिर हमारे स्कूलों में बेहतर पढ़ाई क्यों नहीं हाेती? जहां कुछ नहीं मिल रहा, उस ओर लोगों का झुकाव है. इसका कारण जानने के लिए शिक्षा मंत्री सबसे सुझाव मांग रहे हैं, ताकि सरकारी विद्यालयों का संचालन बेहतर हो सके.सरकारी शिक्षकों में काबिलियत की कमी नहींमंत्री का कहना है कि हमारे सरकारी विद्यालय के शिक्षकों में काबिलियत की कमी नहीं है.

सरकारी विद्यालय में वैसे लोग शिक्षक बनते हैं, जो परीक्षा पास करते हैं. सामान्यत: परीक्षा पास करनेवाले सरकारी और फेल करने वाले निजी स्कूल में जाते हैं.नेतरहाट मॉडल जानेंगे, फिर दिल्ली जायेंगेसरकारी विद्यालयों को दिल्ली मॉडल की तर्ज पर चलाने पर विचार किया जा रहा है.

शिक्षा मंत्री ने कहा कि वे इससे पहले नेतरहाट विद्यालय के मॉडल को जानेंगे. इसके बाद फिर दिल्ली जायेंगे. दिल्ली और नेतरहाट मॉडल दोनों को देख कर आगे निर्णय लेंगे.बॉक्सहमें भेजें अपने सुझावशिक्षा मंत्री द्वारा उठाये सवालों पर आप अपना सुझाव प्रभात खबर के माध्यम से उन तक तक पहुंचा सकते हैं. सुझाव हमें अपने फोटो के साथ suniljharnc@gmail.com पर इमेल कर सकते हैं.

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