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JPSC-1 News : जेपीएससी-1 में अफसर बने 64 में से 49 पीटी पास करने के योग्य नहीं थे

जेपीएससी-1 के सहारे अफसर बने 64 में से 49 परीक्षार्थियों को नियमानुसार प्रारंभिक परीक्षा (पीटी) पास नहीं करना चाहिए था. सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश ने जेपीएससी-1 को लेकर दायर आरोप पत्र और दस्तावेजों की समीक्षा के बाद अभियुक्तों के खिलाफ संज्ञान लेने से संबंधित आदेश में इस तथ्य का उल्लेख किया है.

रांची. जेपीएससी-1 के सहारे अफसर बने 64 में से 49 परीक्षार्थियों को नियमानुसार प्रारंभिक परीक्षा (पीटी) पास नहीं करना चाहिए था. सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश ने जेपीएससी-1 को लेकर दायर आरोप पत्र और दस्तावेजों की समीक्षा के बाद अभियुक्तों के खिलाफ संज्ञान लेने से संबंधित आदेश में इस तथ्य का उल्लेख किया है. न्यायाधीश ने सीबीआइ के उस अनुरोध को भी ठुकरा दिया, जिसमें सीबीआइ ने कुछ के विरुद्ध कार्रवाई नहीं करने और कुछ को उचित समझने पर कार्रवाई करने की अनुशंसा की थी. इससे सीबीआइ द्वारा आरोपित तत्कालीन परीक्षार्थियों की संख्या 20 से बढ़ कर 55 हो गयी है.

सीबीआइ ने कुल 37 लोगों के खिलाफ दायर किया था आरोप पत्र

सीबीआइ ने जेपीएससी-1 की जांच के बाद कुल 37 लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया था. इसमें 20 तत्कालीन परीक्षार्थी, 12 परीक्षक और जेपीएससी के पांच पदाधिकारी शामिल थे. सीबीआइ से पहले निगरानी मामले की जांच कर रही थी. सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश ने सीबीआइ के आरोप पत्र के बाद मामले में संज्ञान लेने के लिए जांच रिपोर्ट की समीक्षा की और संज्ञान लिया, ताकि ट्रायल शुरू हो सके. विशेष न्यायाधीश ने आदेश में लिखा कि दस्तावेज जांच के दौरान चौंकानेवाला तथ्य यह पाया गया कि परीक्षा में सफल होकर अफसर बने 64 में से 49 को तो जेपीएससी के नियमानुसार पीटी पास नहीं करना चाहिए था. न्यायाधीश ने इनके नामों का भी उल्लेख किया है. इसमें राजमहेश्वर राम, सीमा सिंह, हरिवंश पंडित, अरविंद लाल, शालिनी विजय, विजय वर्मा, जियाउल अंसारी सहित अन्य के नाम शामिल हैं. जिन्हें पीटी में पास नहीं करना चाहिए था, उनमें से फिलहाल 47 कार्यरत हैं. मेघना रूबी कच्छप की मृत्यु हो चुकी है, जबकि नीलम अग्रवाल सेवा छोड़ चुकी हैं.

20 तत्कालीन परीक्षार्थी, 12 परीक्षक और जेपीएससी के पांच पदाधिकारियों को बनाया था आरोपी

सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश ने अफसर बन चुके जिन परीक्षार्थियों के खिलाफ संज्ञान लिया है, उसमें से सिर्फ 20 के खिलाफ सीबीआइ ने आरोप पत्र दायर किया था. सीबीआइ ने अपनी रिपोर्ट में परीक्षार्थियों को तीन श्रेणियों में बांटते हुए अपनी अनुशंसा की थी. पहली श्रेणी में उन 20 परीक्षार्थियों को शामिल किया था, जिनके खिलाफ आरोप पत्र दायर किया था. दूसरी श्रेणी में ऐसे परीक्षार्थियों को शामिल किया था, जिनके खिलाफ मिले सबूतों को सीबीआइ ठोस नहीं मानती थी और यह लिखा था कि यदि उचित समझें तो कार्रवाई करें. इस श्रेणी में हरिवंश पंडित, ज्योति कुमार सिंह, संजय पांडेय सहित अन्य के नाम शामिल किया थे. सीबीआइ ने तीसरी श्रेणी शामिल किये गये परीक्षार्थियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने की अनुशंसा की थी. इस श्रेणी में अनवर हुसैन, भागीरथी प्रसाद, धीरेंद्र कुमार सहित अन्य के नाम को शामिल किया था. हालांकि, न्यायालय ने इनके खिलाफ भी संज्ञान लिया है और ट्रायल का सामना करने के लिए समन जारी करने का आदेश दिया है.

अफसर बन चुके 55 परीक्षार्थियों के खिलाफ ट्रायल के लिए अदालत ने लिया संज्ञान

न्यायाधीश ने काॅपियों में नंबर बढ़ा कर अनुचित लाभ देने की चर्चा करते हुए लिखा है कि इसमें से बहुतों को जांच अधिकारी ने आरोपित नहीं किया है. न्यायालय ने राकेश कुमार के दो नंबर बढ़ाये जाने और प्रणव कुमार पाल के तीन नंबर बढ़ाये जाने को नगण्य मानते हुए उनके खिलाफ संज्ञान नहीं लिया है. हालांकि, अफसर बन चुके 55 परीक्षार्थियों के खिलाफ ट्रायल चलाने के लिए संज्ञान लिया है. इसमें 47 ऐसे हैं, जिनके मामले में न्यायालय ने लिखा है कि उन्हें पीटी पास नहीं करना चाहिए था. आठ ऐसे हैं जिनके नंबर बढ़ाये गये हैं.

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