रांची. बिना किसी प्रकार के रासायनिक खाद के प्रयोग से भी सामान्य से दोगुना धान की उपज ली जा सकती है. यह परिणाम रांची कृषि विज्ञान केंद्र में की गयी प्रायोगिक खेती में मिला है. केंद्र ने रामकृष्ण मिशन के दिव्यायन सेंटर पर हजारीबाग स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद केंद्र (आइसीएआर) के डॉ एमएन मंडल द्वारा विकसित धान की सीआर-370 वेराइटी का प्रयोग किया था. एक जुलाई को इसका बिचड़ा तैयार किया गया था. 11 नवंबर को इसकी कटाई की गयी. वेराइटी करीब 117 से 120 दिनों में तैयार हो जाती है. कटाई में एक हेक्टेयर में करीब 72 क्विंटल धान की ऊपज हुई है. झारखंड में सामान्य तौर पर 30 से 32 क्विंटल प्रति हेक्टेयर ही धान का उपज होता है. इसकी कटाई के लिए केवीके ने एक कमेटी बनायी थी. कमेटी के सामने हुई कटाई में यह परिणाम मिला है.
किसान के खेत में भी 50 से 55 क्विंटल होगी धान की उपज
डॉ मंडल ने बताया कि चूंकि यह प्रायोगिक फील्ड था, इस कारण यहां खेती के सभी पैमाने का ख्याल रखा गया है. किसानों द्वारा लगाये गये खेतों में इसमें कुछ कमी रह जाती है. इसके बावजूद किसानों खेत में इसकी ऊपज 50 से 55 क्विंटल तक जरूर होगी. इसमें बीमारी भी कम लगता है. झारखंड के मौसम के अनुकूल तैयार किया गया है. केवीके रांची के वरीय वैज्ञानिक डॉ अजीत कुमार सिंह ने बताया कि पिछले साल अनगड़ा में किसानों के खेत में लगाया गया था. इस बार 15 क्विंटल धान का बीज किसान खरीद कर ले गये हैं. इसी बीज का प्रयोग अनगड़ा के छोटकी गोड़ान गांव में 200 एकड़ में हो रहा है. इस मौके पर समेति के निदेशक विकास कुमार, रामकृष्ण मिशन कृषि महाविद्यालय के एसोसिएट डीन डॉ राघव ठाकुर, मिशन के सचिव स्वामी भवेशानंद, वरीय वैज्ञानिक डॉ मनोज कुमार सिंह, प्रदीप कुमार सरकार भी मौजूद थे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है