रांची : झारखंड की राजधानी रांची में लिंग की जांच करने वाले अल्ट्रासाउंड क्लिनिक्स के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जायेगी. उसके संचालक पर एक लाख रुपये तक का जुर्माना लगेगा और उन्हें पांच साल की सजा भी हो सकती है. रांची के उपायुक्त छवि रंजन ने पीसीपीएनडीटी एक्ट के तहत अल्ट्रासाउंड क्लीनिक की समीक्षा बैठक में ये बातें कहीं. उन्होंने कहा कि ऐसे क्लिनिक के बारे में सूचना देने वालों को पुरस्कृत किया जायेगा.
उपायुक्त ने कहा कि रांची जिले में प्रसव पूर्व लिंग परीक्षण करने वाले अल्ट्रासाउंड क्लीनिक की जानकारी प्रशासन को दें. ऐसे क्लिनिक की जानकारी देने वाले व्यक्ति, गर्भवती महिला को जिला प्रशासन की ओर से पुरस्कार दिया जायेगा. उपायुक्त ने शुक्रवार को जिले के कुल 237 अल्ट्रासाउंड क्लिनिक की समीक्षा की. जिला सलाहकार समिति के सुझाव के आधार पर सभी अल्ट्रासाउंड क्लिनिक का औचक निरीक्षण करने का निर्देश भी उपायुक्त ने दिया.
उपायुक्त ने कहा कि लिंगानुपात में बढ़ते अंतर को देखते हुए ऐसे अल्ट्रासाउंड क्लिनिक्स की नकेल कसनी जरूरी है. उन्होंने लिंग परीक्षण की जांच के लिए जिलास्तरीय टीम बनाने के निर्देश भी अधिकारियों को दिये. इस टीम में प्रशासनिक पदाधिकारी, चिकित्सक, प्रोग्राम मैनेजमेंट यूनिट एवं इस क्षेत्र में कार्य कर रहे गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) को शामिल करने के लिए कहा.
उपायुक्त ने कहा कि यह समिति अल्ट्रासाउंड करने वाले सभी क्लीनिक का निरीक्षण करेगी और यह देखेगी कि सभी मापदंडों का पालन करते हुए यहां काम हो रहा है या नहीं. उन्होंने कहा कि गर्भवती महिलाओं को भी इस संबंध में जागरूक करने की जरूरत है. उन्हें यह समझाना जरूरी है कि अल्ट्रासाउंड केंद्र पर जाकर वह जन्म से पहले अपने पेट में पल रहे बच्चे का लिंग पता करने की कोशिश न करें. यह कानूनन अपराध है.
गर्भवती महिलाओं को यह भी बताना होगा कि इस अपराध में सिर्फ अल्ट्रासाउंड केंद्र या उसके मालिक के खिलाफ कार्रवाई नहीं होगी. अल्ट्रासाउंड करने वाले डॉक्टर और लिंग का पता करने की कोशिश करने वाली महिला या उसके परिवार के अन्य सदस्यों को भी कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है.
Posted By : Mithilesh Jha