झारखंड में आपको कैसा वातावरण नजर आ रहा है?
देखिए, पूरे झारखंड का मेरा दौरा लगभग पूरा हो गया है. पूरे झारखंड में परिवर्तन की एक लहर साफ दिखाई पड़ती है. पढ़े-लिखे युवाओं में बहुत आक्रोश है. महिलाओं पर अपराध, जुर्म और एक प्रकार की घुसपैठ, इन तीनों के कारण महिलाएं बहुत आक्रोशित हैं. इसके साथ ही करप्शन भी बहुत बड़ा मुद्दा है. झारखंड जैसे राज्य में इतनी प्रचूर मात्रा में करप्शन गरीब जनता को बहुत गुस्सा दिलाता है. यह आक्रोश हमारी रैलियों में-रोड शो में व्यापकता से दिखाई पड़ता है. मैं अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं से ज्यादा जुनून झारखंड की जनता में देखता हूं. मुझे लगता है कि झारखंड में हम बहुत अच्छे मार्जिन से सरकार बनाएंगे.
भाजपा के सत्ता में आने की कितनी संभावनाएं नजर आती हैं?
स्पष्ट बहुमत के साथ हमारी सरकार बनेगी और अब तक की सबसे ज्यादा सीटें जीतनेवाली सरकार बनेगी.
पिछली बार आप बिना गठबंधन के लड़े, लेकिन इस बार आजसू, जदयू और लोजपा के साथ मिल कर लड़ रहे हैं. भाजपा को इसका कितना लाभ मिलेगा?
सवाल नफा-नुकसान का नहीं है. झारखंड में एक ही बार हम गठबंधन के बगैर लड़े, बाकी हर बार गठबंधन बनाकर ही लड़े. यही वजह है कि हमारी जीत की संभावना में लोगों का भरोसा ज्यादा है. मगर, मुख्य पार्टी तो भाजपा ही है. प्रधानमंत्री मोदी जी के अब तक के काम और झारखंड में भी 10 साल में जो काम हुए, उसी के आधार पर हम चुनाव लड़ रहे हैं.
हेमंत सरकार के पांच साल के कार्यकाल को आप किस तरह से देखते हैं?
देखिये आशुतोष जी. झारखंड में कोई व्यक्ति ऐसा नहीं होगा, जिसने एक साथ साढ़े तीन सौ करोड़ रुपया देखा होगा. उसका दृश्य भी तब देखने को मिला, जब इंडिया अलायंस के एमपी के घर से साढ़े तीन सौ करोड़ रुपये पकड़े गये. 27 मशीनें नोट गिनते-गिनते थक गयीं. आलमगीर आलम के पीए के घर से 35 करोड़ रुपये पकड़े जाते हैं. इससे बड़ा करप्शन का कोई उदाहरण नहीं. ढेर सारे घोटाले हुए. मनरेगा में 1000 करोड़ का घोटाला हुआ, भूमि घोटाला हुआ, वह भी सैकड़ों करोड़ का हुआ, सेना की जमीन हड़प ली गयी, 1000 करोड़ का खनन घोटाला हुआ. शराब घोटाला हुआ. हर क्षेत्र के अंदर इतने घोटाले हुए हैं कि सरकार की आबरू चरमरा गयी और इसके कारण हेमंत सरकार के खिलाफ़ बहुत बड़ा आक्रोश है.
ये माना जा रहा है कि हेमंत सोरेन के जेल जाने से झारखंड में एक वर्ग की सहानुभूति जेएमएम को मिल गयी है. इसका उन्हें लाभ मिल सकता है. इस पर आपका क्या नजरिया है?
मैं ऐसा नहीं मानता. जिस तरह से चंपाई सोरेन को अपमानित करके निकाला गया. मैं नहीं मानता कि कोई इसको झारखंड में अच्छा मानता होगा. घुसपैठ का मुद्दा बड़ा मुद्दा है, पूरे के पूरे टोले जमाई टोले बन गये. आदिवासियों की भूमि लूटी जा रही है, उनकी आबादी कम हो रही है. आदिवासी बच्चियां दूसरी, तीसरी, चौथी बीबी बनकर अपनी संपत्ति भी गंवा रही है, अधिकार भी गंवा रही हैं. बेरोकटोक घुसपैठ होने देने से आदिवासी समाज में बड़ा आक्रोश है. मुझे लगता है चंपई सोरेन जी इस मुद्दे को आदिवासियों के बीच बहुत अच्छे तरीके से स्थापित कर चुके हैं.
बांग्लादेशी घुसपैठियों का मुद्दा भाजपा काफी ज़ोर-शोर से उठा रही है. खास कर के संथाल परगना क्षेत्र में. चुनाव में इससे भाजपा को कुछ फायदा मिलेगा या नहीं?
निश्चित रूप से फायदा मिलेगा, क्योंकि हमने अपने संकल्प पत्र में वादा किया है. हम एक कानून लेकर आयेंगे, जिसमें आदिवासी बच्ची के साथ शादी करने से भेट के माध्यम से आदिवासियों की जमीन आप हड़प नहीं सकते और जिन्होंने हड़प लिया है, वो वापस भी करायेंगे, क्योंकि कानून हम रेट्रोस्पेक्टिव इफ़ेक्ट से लेकर आयेंगे.
दूसरा, हमने ये भी वादा किया है कि डिटेक्ट, डिलीट और डिपोर्ट, ये तीन हमारी नीति होगी. एक सर्वे करके सबसे पहले घुसपैठियों को आइडेंटिफाई किया जाएगा, उसके बाद में मतदाता सूची से उनका नाम डिलीट किया जाएगा. और अंततोगत्वा डिपोर्ट करने की भी कार्रवाई हम करेंगे. यही कारण है कि घुसपैठ से प्रभावित जिलों में भारतीय जनता पार्टी के प्रति बड़ी लहर देखने में आ रही है.
लोकसभा में भाजपा का प्रदर्शन अच्छा रहा था, लेकिन जो आदिवासी सीटें हैं, उन पर पार्टी थोड़ा कमजोर पड़ गयी थी. आप क्या सोचते हैं?
देखिए, आप इस तरह से आकलन मत करिए. गुरुजी झारखंड आंदोलन से बने हुए नेता थे. हेमंत जी को वो विरासत में मिली, लेकिन जब उन्होंने चंपई सोरेन जी को दो महीने के लिए भी सहन नहीं कर पाये, तब लोगों को मालूम पड़ गया कि इनका आदिवासियों से प्रेम महत्वपूर्ण नहीं, बल्कि अपने ही परिवार का प्रेम महत्वपूर्ण है और इसके कारण आकर्षण बहुत घटा है. मैं मानता हूं कि सबसे ज्यादा अत्याचार आदिवासी महिलाओं पर ही हुए हैं. दूसरी ओर, भाजपा ने न केवल प्रथम आदिवासी महिला राष्ट्रपति बनाया, बल्कि भगवान बिरसा मुंडा की जयंती को आदिवासी गौरव दिवस के रूप में मनाना शुरू किया. दो सौ करोड़ रुपये के खर्च से आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों का संग्रहालय न केवल, झारखंड बल्कि पूरे देश में बन रहा है. जब केंद्र में इंडिया अलायंस की सरकार थी, तब अंतिम बजट में ट्राइबल का टोटल बजट 30,000 करोड़ का, और नरेंद्र मोदी जी का अंतिम बजट 1,30,000 करोड़ का है. हम डिस्ट्रिक्ट में नल फंड की योजना लेकर आए. हर आदिवासी गांवों के विकास के लिए 65,000 करोड़ की योजना लेकर आये. एकलव्य स्कूल सबसे ज्यादा हमारे ही समय में बने हैं. इन सारी चीजों से आदिवासियों को ढेर सारा रियलाइजेशन भी हुआ है कि हेमंत अपने परिवार के लिए जी रहे हैं, आदिवासी कल्याण के लिए नहीं जी रहे हैं.
कुछ-कुछ क्षेत्रों में टिकट न मिलने से भाजपा के नेताओं-कार्यकर्ताओं में नाराजगी का भी भाव दिखता है?
स्वाभाविक रूप से इतनी बड़ी पार्टी है, जीतने की संभावना है, तो टिकटार्थी ज्यादा होते हैं, मगर ये हर पार्टी में होता है. इसी तरह से काउंटर बैलेंस होता है और यह हर चुनाव में होता है. मुझे कोई बहुत बड़ी दिक्कत नहीं दिखती है. अंततोगत्वा मोदी जी के चेहरे पर और सिंबल पर ही चुनाव लड़ा जाने वाला है. कैडर भी सिंबल देखता है और जनता भी सिंबल देखती है.
हेमंत सोरेन का और जेएमएम का बड़ा आरोप है कि केंद्र सरकार झारखंड के हिस्से का पैसा नहीं देती और वो एक लाख 36 हजार करोड़ का एक आंकड़ा भी देते हैं, इस पर क्या कहना है?
देखिए, यह बिल्कुल गुमराह करने वाली बात है. 10 साल में कांग्रेस सरकार ने झारखंड को जितना पैसा दिया, इससे कई गुना ज्यादा हमने दिया. मैं आपको फिगर बताता हूं, लगभग एक लाख 80 हजार करोड़ रुपया 10 साल का दिया था इन्होंने, पर हमने दिये तीन लाख 90 हजार करोड़. इसके अलावा हमने झारखंड में 30 लाख लोगों को किसान सम्मान निधि का फायदा पहुंचाया है. चार लाख 68 हजार लखपति दीदी बन चुकी है. 34 लाख लोगों के घर में पीने का पानी पहुंचा है. एक करोड़ 22 लाख लोगों को पांच लाख तक का सारा स्वास्थ्य का खर्चा हम दे रहे हैं. दो लाख परिवार में हमने शौचालय पहुंचाये हैं और दो करोड़ 65 लाख लोगों को हम पांच किलो अनाज हर महीना देते हैं. 39 लाख उज्ज्वला के कनेक्शन दिये हैं. यानी लगभग एक करोड़ 22 लाख लोगों के घर में गैस, बिजली, शौचालय, पीने का पानी, खाने का अनाज और आरोग्य की पूरी सुविधा भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने दी है.
झारखंड में आप किन संकल्पों के साथ जनता के बीच जा रहे हैं?
भाजपा सरकार द्वारा प्रदेशवासियों के समग्र विकास के लिए कई महत्वपूर्ण योजनाएं और पहलें शुरू की जाएंगी. ‘गोगो दीदी योजना’ के तहत राज्य की प्रत्येक महिला को प्रति माह ₹2,100, ‘लक्ष्मी जोहार योजना’ के तहत सभी परिवारों को ₹500 में गैस सिलेंडर के साथ साल में दो मुफ्त सिलेंडर दिये जायेंगे. ‘फूलो-झानो पढ़ो बिटिया योजना’ के तहत गरीब और पिछड़े वर्ग की हर बालिका को केजी से लेकर पीजी तक मुफ्त शिक्षा और एससी, ओबीसी और अत्यंत पिछड़े वर्ग के विद्यार्थियों को हायर एजुकेशन के लिए 10 लाख तक का ब्याज मुक्त शिक्षा ऋण दिया जायेगा. महिलाओं के नाम पर 50 लाख तक की अचल संपत्ति के पंजीकरण के लिए एक रुपये की स्टांप ड्यूटी लागू की जाएगी. भाजपा सरकार 2 लाख 87 हजार सरकारी पदों पर भर्ती करने की योजना बनाएगी. इसके अतिरिक्त, 5 लाख स्वरोजगार के अवसर प्रदान किए जाएंगे. ‘युवा साथी भत्ता योजना’ के तहत स्नातक और स्नातकोत्तर युवाओं को दो साल तक प्रति माह ₹2,000 की सहायता दी जाएगी. पीएम आवास योजना से 21 लाख घर और 59 लाख घरों में नल के कनेक्शन दिए जायेंगे. 10 नये सरकारी मेडिकल कॉलेज और प्रत्येक जिले में एक नर्सिंग कॉलेज स्थापित किए जाएंगे. आदिवासी छात्रों के लिए 46 और एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय बनाएंगे. भाजपा सरकार ₹3,100 प्रति क्विंटल तक धान की खरीद का मूल्य निर्धारित करेगी और 24 घंटे में डीबीटी के माध्यम से किसानों को भुगतान किया जाएगा. इसके अलावा, अरहर और मड़ुआ की फसल के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) सुनिश्चित किया जाएगा और हर आदिवासी ब्लॉक में प्रसंस्करण और भंडारण केंद्र बनाये जायेंगे.
भाजपा यह बार-बार कह रही है कि हेमंत सोरेन सरकार अपनी वादों से मुकरी है. किन वादों से मुकरी है?
वादाखिलाफी करने का काम किया. उन्होंने राज्य के युवाओं को 5 लाख नौकरियां देने, स्नातक बेरोजगारों को ₹5,000 और स्नातकोत्तर बेरोजगारों को ₹7,000 बेरोजगारी भत्ता देने का वादा पूरा नहीं किया. इसके अलावा, हर गरीब को ₹72,000, विधवाओं को ₹2,500 प्रति माह पेंशन, महिलाओं को ₹2,000 चूल्हा भत्ता, नवविवाहित बहन-बेटियों को ₹51,000 देने और गरीब महिलाओं को आधार कार्ड पर ₹50,000 का ऋण देने का भी वादा भी पूरा नहीं किया. वादे पूरा करना तो छोड़िये, जेएमएम-कांग्रेस की सरकार ने एक के बाद एक पेपर लीक करके पेपर लीक का वर्ल्ड रिकॉर्ड बना दिया. इनके शासन में जैक क्लास 11 मैथ्स, जेएसएससी, जेई डिप्लोमा, जेएसएससी लैब असिस्टेंट, जेएसएससी नगर पालिका, झारखंड ग्रेजुएट लेवल का पेपर, जेपीएससी का पेपर और जैक क्लास 12 फिजिक्स और बायोलॉजी के पेपर लीक हुए.
एक समय था जब नक्सली झारखंड के चुनाव को खासा प्रभावित करते थे. आप गृह मंत्री हैं. नक्सलवाद के खिलाफ आपने बड़ा अभियान भी चलाया. इस विषय पर आप क्या कहना चाहेंगे?
देखिए, विगत पांच साल में हमने झारखंड में नक्सलवाद को लगभग निर्मूल कर लिया है. हमारा लक्ष्य मार्च 2026 तक नक्सलवाद को समाप्त करने का है. मैं मानता हूं कि ये हमारी सबसे बड़ी सिद्धि है, क्योंकि नक्सलवाद के रहते वहां कभी भी विकास नहीं पहुंच पाता. नक्सलवाद और विकास दोनों एक दूसरे के दुश्मन हैं. हम 2026 तक नक्सल मुक्त भारत बनाएंगे.
आपने कई बार इस विषय को उठाया है कि कांग्रेस एससी, एसटी का आरक्षण काटकर मुसलमानों को दे देगी. इस पर क्या कहना है?
देखिये, एससी, एसटी और ओबीसी का आरक्षण काट कर देंगे ये, तो आदिवासी, दलित और पिछड़ों के साथ अन्याय है ही. इसके अलावा हमारा संविधान धर्म के आधार पर आरक्षण को मंजूरी नहीं देता. हमारे लिए ये सिर्फ चुनाव का मुद्दा नहीं है. संविधान ने जो वर्ग चिन्हित किये हैं एससी, एसटी और ओबीसी, इनके साथ अन्याय भी है और संविधान की मूल भावनाओं के साथ एक खिलवाड़ भी है.
आपने बताया कि बिरसा मुंडा की 150 वीं जयंती वर्ष का आरंभ हो रहा है और उस पर पार्टी बड़े पैमाने पर योजना बना रही. इसके बारे में बतायें.
देखिए, प्रधानमंत्री जी की अध्यक्षता में एक कमेटी की रचना करने जा रहे हैं. भगवान बिरसा मुंडा के जीवन के बारे में कश्मीर से कन्याकुमारी और गुजरात से लेकर कामाख्या तक पूरे देश के बच्चे की जानकारी में लाने का काम करने की योजना है, ताकि उनसे प्रेरणा लेकर बच्चे अच्छे गुणों को अपने जीवन में उतार पायें. इस प्रकार का हम प्रयास करेंगे. पूरा साल आदिवासी गौरव वर्ष के रूप में मनाया जाएगा. आदिवासी गांवों के लिए हम 65,000 करोड़ की योजना लेकर आये हैं. सभी गांवों में 100% बेसिक सुविधाएं उपलब्ध कराने का हमारा प्रयास है. इसके लिए कैबिनेट ने 65,000 करोड़ रुपये की योजना एडवांस में ही आदिवासी गौरव वर्ष के रूप में पारित कर दिया है. भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती समग्र जनजाति समाज के लिए आदिवासी समाज के लिए कल्याण का कारण होगा.
आखिर में एक सवाल है कि झारखंड में विधानसभा चुनाव मोदी जी के नाम पर ही लड़ा जा रहा है, फिर भी अगर भाजपा जीतती है, तो मुख्यमंत्री पद का दावेदार कौन होगा?
देखिए, हमने मुख्यमंत्री तय नहीं किया है, चुनाव के बाद हमारे विधायक बैठेंगे और जो सुझाव पार्लियामेंट्री बोर्ड को भेजेंगे, पार्लियामेंट्री बोर्ड उस पर निर्णय करेगी.
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