सुप्रिया भट्टाचार्य ने अमित शाह के झारखंड दौरे को लेकर भाजपा पर तंज कसा है. उन्होंने कहा कि अमित शाह भीड़ जुटाने के लिए एक दिन पहले ही आ रहे हैं. पिछली बार जब आये थे, तो चाईबासा में मुश्किल से दो-ढाई सौ लोग जुटे थे. तब 11 की जगह 3.30 बजे अमित शाह पहुंचे थे. नतीजा यह हुआ कि पूरे कोल्हान प्रमंडल से भाजपा साफ हो गयी.
लेकिन जैसे ही भारत सरकार को एहसास हुआ कि उनके गृह मंत्री झारखंड दौरा पर आ रहे हैं, तो उसके ठीक पहले यह कपट भरी चाल चली गयी. भारत सरकार ने 2019 के अपने गजट को निरस्त नहीं किया, केवल उन्होंने रोक लगाने की बात कही. इस चाल को जैन समाज को समझना पड़ेगा. झामुमो महासचिव ने ये बातें प्रेस वार्ता के दौरान कही.
चाईबासा दौरे पर आ रहे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से झामुमो ने चार सवाल पूछे हैं. सुप्रियो ने पूछा कि सरना धर्म कोड, 1932 की खतियानी आधारित स्थानीय नीति और 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण पर भारत सरकार और भाजपा की सोच क्या है? हेमंत सरकार के उपरोक्त तीनों प्रस्तावों को क्या आगामी बजट सत्र-2023 में समायोजित किया जायेगा या नहीं? और किस परिस्थिति में आखिर जैन धर्म के सर्वोच्च पवित्र स्थल पारसनाथ को इको-टूरिज्म सेक्टर के रूप में चिह्नित किया गया.
केंद्र सरकार द्वारा सम्मेद शिखर को पर्यटन स्थल घोषित करने के निर्णय पर लगायी गयी रोक को झामुमो ने चाल करार दिया है. झामुमो के वरिष्ठ नेता सुप्रियो भट्टाचार्य ने पार्टी के कैंप कार्यालय में शुक्रवार को कहा कि जैन समाज भाजपा की चाल को समझे. पारसनाथ स्थित सम्मेद शिखर मामले में भारत सरकार ने अगस्त 2019 के केंद्रीय वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की अधिसूचना वापस नहीं ली है.
केवल पारसनाथ पर्वत क्षेत्र में अवैध गतिविधि, जिसमें ड्रग्स और तमाम नशीले पदार्थों की बिक्री करना, तेज संगीत बजाना और लाउडस्पीकर का इस्तेमाल करना शामिल हैं, पर रोक लगाने की पहल की है. वहीं झामुमो शुरू से ही अगस्त 2019 में निकाले गये गजट को ही रद्द करने की मांग करता रहा है.
श्री भट्टाचार्य ने कहा कि जो बातें हमने तीन जनवरी को कही थी, उसके बाद भाजपा की नौटंकी सामने आयी. सीएम हेमंत सोरेन ने भी पत्र के माध्यम से मीठे शब्दों में केंद्र को गलती एहसास कराया, तो केंद्र को पीछे हटना पड़ा. यह तो 2019 में ही हो जाना चाहिए था, लेकिन जानबूझ कर खुद किये गये पाप का घड़ा दूसरे पर फोड़ने की मंशा कामयाब नहीं हो पायी.