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झारखंड में आयुष्मान योजना घोटाला, मरे हुए व्यक्तियों का भी कर दिया गया इलाज

ट्रांजेक्शन मैनेजमेंट सिस्टम यानी टीएमएस में मृत्यु के मामलों के डाटा का अध्ययन करने से पता चला कि आयुष्मान भारत योजना के तहत उपचार के दौरान देश में 88,760 रोगियों की मृत्यु हो चुकी है.

सीपी सिंह, बोकारो :

आर्थिक रूप से कमजोर लोगों का बेहतर तरीके से इलाज हो सके, इसके लिए केंद्र सरकार द्वारा अप्रैल 2018 में शुरू आयुष्मान भारत योजना में झारखंड समेत देश के कई राज्यों में गड़बड़ी का मामला सामने आया है. यह खुलासा भारत के नियंत्रक और महालेखापरीक्षक (कैग) की रिपोर्ट में हुआ है. कैग ने जारी अपनी ऑडिट रिपोर्ट में बताया है कि इस योजना के तहत ऐसे मरीज भी लाभ उठा रहे हैं, जिन्हें पहले मृत दिखाया गया था. ऐसा योजना की राशि हड़पने के लिए किया गया. झारखंड के विभिन्न अस्पतालाें में ऐसे 250 मुर्दाें का इलाज किया गया.

323 क्लेम, 30 लाख से अधिक का भुगतान :

ऑडिट में यह बात सामने आयी है कि योजना के तहत ऐसे मरीज इलाज करा रहे हैं या करा चुके हैं, जिनकी मृत्यु हो चुकी है. ट्रांजेक्शन मैनेजमेंट सिस्टम यानी टीएमएस में मृत्यु के मामलों के डाटा का अध्ययन करने से पता चला कि आयुष्मान भारत योजना के तहत उपचार के दौरान देश में 88,760 रोगियों की मृत्यु हो चुकी है. इन रोगियों के संबंध में नये इलाज से संबंधित कुल 2,14,923 दावों को सिस्टम में भुगतान के रूप दिखाया गया है.

इन दावाें में शामिल करीब 3,903 मामलों में क्लेम की राशि का भुगतान अस्पतालों को किया गया. इनमें 3446 मरीजों से संबंधित भुगतान 6.97 करोड़ रुपये का था. झारखंड में 323 मामलों में क्लेम का भुगतान किया गया. इनमें 250 मरीजों की मौत दिखायी गयी और बाद में उन मरीजों का इलाज भी किया गया. झारखंड में 30,37,440 रुपये का भुगतान अस्पतालों को किया गया.

बोकारो के तीन अस्पतालों की हुई जांच :

कैग की रिपोर्ट में बोकारो के सात अस्पतालों की जांच की गयी है. इन अस्पतालों में एक दिन में कुल बेड से अधिक मरीजों का इलाज किया गया. एक अस्पताल में तो क्षमता से दोगुना मरीजों का इलाज किया गया. बोकारो जिला के एडवांस डायग्नोस्टिक सेंटर, महालक्ष्मी नर्सिंग होम व आरएनबी हॉस्पिटल एंड पाल आई रिसर्च सेंटर की स्कैनिंग की गयी है.

रिपोर्ट में इन अस्पतालों की विभिन्न तारीख में बेड की क्षमता व कुल मरीजों के इलाज से संबंधित ब्योरा प्रस्तुत किया गया है. एडवांस डायग्नोस्टिक सेंटर में 22 मार्च 2021 को 16 बेड के बदले 24 मरीज, महालक्ष्मी नर्सिंग होम में 19 मार्च 2021 को 15 बेड के बदले 18 मरीज व आरएनबी हॉस्पिटल एंड पाल आई रिसर्च सेंटर में 06 मार्च 2021 को 20 बेड के बदले 38 मरीज का इलाज हुआ.

गोड्डा के लाइफलाइन नर्सिंग होम ने बिना फेको मशीन किया 72 ऑपरेशन :

इसके अलावा बीमा कंपनी ने एसएचए को सूचित किया (26 दिसंबर 2019) कि लाइफलाइन नर्सिंग होम गोड्डा ने बिना फेको मशीन के ही 92 ऑपरेशन किया. एसएचए ने बीमा कंपनी को अस्पताल द्वारा की गयी सभी प्रक्रियाओं की लाभार्थी ऑडिट रिपोर्ट व अस्पताल को किये गये दावे भुगतान का विवरण प्रस्तुत करने के लिए मार्च 2020 में कहा था.

हालांकि, बीमा कंपनी ने लाभार्थी ऑडिट व दावा राशि का विवरण प्रदान नहीं किया. बड़ी बात यह कि एसएचए ने बीमा कंपनी या अस्पताल के खिलाफ कार्रवाई नहीं की. ऑडिट में पाया गया कि टीएमएस डाटा के अनुसार अस्पताल ने 26 दिसंबर 2019 तक 72 फेको प्रक्रियाएं कीं और 5.98 लाख रुपया का भुगतान प्राप्त किया.

झारखंड के संदर्भ में

323 मामले में क्लेम का भुगतान

250 मरीजों की मौत दिखायी, बाद में इनका इलाज भी किया

30 लाख 37 हजार 440 रुपये अस्पतालों काे भुगतान किया

1325 मरीज एक ही समय कई अस्पतालों में भर्ती

कैग की रिपोर्ट में सिर्फ मृत व्यक्ति का ही इलाज करने की बात सामने नहीं आयी है, बल्कि एक ही आदमी का एक ही समय दो-दो अस्पतालों में इलाज कराने की बात भी सामने आयी है. झारखंड में ऐसे 1942 मामले सामने आये हैं. इनमें 1325 मरीजों का इलाज एक समय में कई अस्पतालों में हुआ. 652 पुरुष और 673 महिला का इलाज इस तरीके से किया गया. इन मामलों में राज्य के 148 अस्पताल शामिल हैं. रिपोर्ट में बताया गया है कि इस तरह के दावों का भुगतान राज्य स्वास्थ्य एजेंसियों यानी एसएचए से बिना जांच कराये किया गया. ये केस उन मामलों में भी सामने आये हैं, जहां एक बच्चे का जन्म एक अस्पताल में होता है, लेकिन उसकी मां की पीएमजेएवाई आइडी का उपयोग कर दूसरे अस्पताल में नवजात देखभाल के लिए ट्रांसफर कर दिया गया है.

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