प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी सोमवार को पाकुड़ के लिट्टीपाड़ा के बड़ा कुटलो और गोड्डा के सुंदरपहाड़ी के जोलो बरागो गांव गये. वह ब्रेन मलेरिया से मृत लोगों के परिजनों और मलेरिया पीड़ित लोगों से मिले. बड़ा कुटलो पहुंच कर उन्होंने मृत बच्चों के परिजनों से मुलाकात की. उन्होंने बच्चे की मौत पर दुख व्यक्त किया. कहा कि आज के हाइटेक जमाने में भी मलेरिया जैसी बीमारी से एक के बाद एक पांच बच्चों की मौत हो जाये, तो यह घोर लापरवाही और सरकार की विफलता है.
श्री मरांडी आठ किलोमीटर की पहाड़ी यात्रा पैदल व मोटरसाइकिल से तय कर पीड़ितों से मिलने पहुंचे. उन्होंने कहा कि सीएम हेमंत सोरेन पाकुड़ और बरहेट आये. दो दिनों तक रहे. लेकिन मलेरिया प्रभावित गांव जाकर पीड़ितों और प्रभावितों से मुलाकात तक नहीं की. यह दुखद है. उन्होंने कहा कि सीएम हेमंत सोरेन को अपने विधानसभा क्षेत्र के आदिवासियों के दुख दर्द की भी चिंता नहीं है.
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श्री मरांडी ने कहा कि हो सकता है मुख्यमंत्री को भी मलेरिया हो जाने का डर होगा. मुख्यमंत्री के पास तो हेलीकॉप्टर भी है, वह चाहते तो आसानी से एक दो गांवों का भ्रमण कर पीड़ितों का हाल-चाल जान सकते थे. वह लोगों की तकलीफों को जानेंगे, तभी तो उसका सही समाधान कर पायेंगे.
बाबूलाल मरांडी ने कहा कि हेमंत सोरेन की सरकार गांव की बात करती है. परंतु जहां लोग पीड़ित हैं, तकलीफ में हैं, तंगी में हैं वहां नहीं गये तो फिर ऐसी सरकार के बारे में क्या कहा जाये. श्री मरांडी ने राज्य सरकार को सुझाव देते हुए कहा कि हमें लगता है कि भारत सरकार की नल से जल योजना को इन इलाकों में अमल में लाना चाहिए और इस बाबत मुख्यमंत्री को अफसरों को निर्देश देना चाहिए.
उन्होंने कहा कि अगर युद्धस्तर पर काम किया गया, तो महज दो दिनों में इन गांवों में नल का जल पहुंच जायेगा. यहां आवागमन की भी समुचित व्यवस्था नहीं है. नावाडीह में कीचड़ भरा है. स्वाभाविक है कि इस प्रकार की गंदगी होगी, तो मच्छर पैदा होंगे और लोग बीमार पड़ेंगे. सड़क को तत्काल ठीक करने की जरूरत है. लिट्टीपाडा, सुंदरपहाड़ी में सरकार को स्पेशल ड्राइव चलाना चाहिए, ताकि इसका स्थायी समाधान हो सके.
डीसी मृत्युजंय कुमार बरणवाल के निर्देश पर सोमवार को मलेरिया प्रभावित कुल 23 चिह्नित गांवों में सर्वे का काम शुरू किया गया. इनमें से सोमवार को 16 गांवों का सर्वे कार्य किया गया. इसमें बड़ा मालीपाड़ा, छोटा जारा, मालगोड़ा, करमाटांड़, बोहड़ा, खैराबनी, डुमरहीर, बड़ा कुटलो, कुश्बिला, कुंजबोना, तिसरो, डुमगो, कुमारकोटा, जामकुंदर, तेतली, दारीकुड़िया गांव शामिल हैं. यहां कुल 543 लोगों की जांच की गयी, जिनमें से 20 लोग मलेरिया से पीड़ित मिले. सभी का इलाज शुरू कर दिया गया है.
श्री मरांडी ने बताया कि पाकुड़-साहिबगंज के इलाकों में पत्थर खनन के कारण गांव के गांव उजड़ रहे हैं. सरकार को इन गांवों को बचाना चाहिए. पाकुड़ के नगरनबी गांव का मामला कार्यकर्ताओं ने मेरे संज्ञान में दिया है. पत्थर खनन के कारण लोग पलायन कर गये हैं. इलाके की डेमोग्राफी बदलने लगी है. इसपर सरकार को ध्यान देना चाहिए.
उन्होंने कहा कि पत्थर खदान का लीज स्थानीय लोगों को मिलना चाहिए. पाकुड़, साहिबगंज, दुमका के स्थानीय लोगों को पत्थर खदान का लीज मिलना चाहिए. जैसे पेट्रोल पंप एसटी, एससी को मिलता है, उसी तरह हमारी सरकार आने पर उन्हें ही लीज का लाभ मिलेगा. हमारी सरकार आयी, तो 100 दिनों के भीतर हम यह कर देंगे.