Birsa Munda Jayanti 2022: युवा रंगमंच रांची ने 2018 में नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा के झारखंड शिविर में नाटक ”उलगुलान” की परिकल्पना की. नाटक के लेखक और निर्देशक अजय मलकानी ने बताया कि झारखंड में 1857 के पहले से स्वतंत्रता आंदोलन हो रहे थे. वीर बिरसा मुंडा का उलगुलान जन-जन तक पहुंचा. कारण था आदिवासी नायक की असमय और साजिशन मृत्यु़ इससे लोगों में उबाल आया. यह बातें नाटक लिखने के दौरान किये गये शोध से पता लगी. उलगुलान नाटक आदिवासी वीर शहीदों की कहानी है, जिसमें चैतन्य महाप्रभु की झारखंड यात्रा और भगवान बिरसा मुंडा की कहानी है. पहले नाटक का नाम ”संघर्ष गाथा” था, लेकिन अंतिम मौके पर इसका नाम बदल दिया गया़ अब तक देशभर में इसकी पांच प्रस्तुति हो चुकी है़ हाल ही में चंडीगढ़ स्थित पंजाब कला भवन भी ”उलगुलान” का गवाह बना.
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भोजपुरी युवा विकास मंच के अध्यक्ष आशुतोष द्विवेदी के भोजपुरी गीत में बाबा बिरसा की झलक दिखती है़ उनका भोजपुरी गीत ‘बिरसा के गांव में’12 नवंबर को यूट्यूब चैनल पर रिलीज हुआ़ सोशल मीडिया पर लोग इस गाने को शेयर कर भगवान बिरसा मुंडा को अपनी श्रद्धांजलि दे रहे हैं. अाशुतोष ने कहा : बचपन से ही धरती आबा के प्रति लगाव रहा है़ उनके बारे में काफी पढ़ा है. यही कारण है कि इस वर्ष जनजातीय गौरव दिवस पर उनको समर्पित गीत लिखने का निर्णय लिया, जो दो माह की मेहनत से पूरा हो सका है. इस गीत में धरती आबा और उनके गांव की कहानी है.
भगवान बिरसा मुंडा का जीवन शोधकर्ताओं और लेखकों को हमेशा आकर्षित करता रहा है. धरती आबा पर दर्जनों किताबें लिखी जा चुकी हैं, जिनके माध्यम से हम भगवान बिरसा को आसानी से जान सकते हैं.
बिरसा मुंडा और उनका आंदोलन (डॉ कुमार सुरेश सिंह), झारखंड : इतिहास एवं संस्कृति (डॉ बी वीरोत्तम), द मुंडा एंड देयर कंट्री (शरतचंद्र रॉय), बिरसा मुंडा-जनजातीय नायक (डॉ आलोक चक्रवाल).