रांची : बीआइटी मेसरा और केंद्रीय विद्युत मंत्रालय के पूर्वी क्षेत्रीय लोड डिस्पैच सेंटर के बीच एमओयू हुआ. अब दोनों संस्थान मिलकर एक टेस्ट बेंच का सेटअप तैयार करेंगे, जो बैटरी के जरिये विद्युत उत्पादन की कमी को संतुलित करने का काम करेगा. इसके जरिये बैटरी के कार्य और प्रतिक्रिया का अध्ययन किया जायेगा. इलेक्ट्रिकल एंड इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग विभाग के एचओडी डॉ टी घोष ने बताया कि देश में अक्षय ऊर्जा के नवीनीकरण पर जोड़ दिया जा रहा है. इसका उद्देश्य 2070 तक देश में नेट जीरो उत्सर्जन का लक्ष्य हासिल करना है. पूर्व में जरूरत के अनुसार बिजली का उत्पादन किया जाता था.
जबकि, अक्षय ऊर्जा के लिए एक निश्चित मौसम पर निर्भर रहने की जरूरत पड़ती थी. उन्होंने कहा कि विद्युत का उत्पादन और आपूर्ति एक जैसा नहीं होने पर फ्रिक्वेंसी और वोल्टेज पर इसका असर पड़ता है. उन्होंने कहा कि अक्षय ऊर्जा के स्रोत के जरिये विद्युत उत्पादन की निश्चितता अब तक तय नहीं की जा सकी है. शोध के जरिये बैटरी के सटीक इस्तेमाल से ऊर्जा की आपूर्ति संभव है, इसके लिए क्षमता युक्त बैटरी का निर्माण करने की जरूर होगी.
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शोध कार्य के लिए संस्थान में टीम का गठन किया गया है. इसमें प्रो टी घोष, प्रो जुनैद अख्तर और देवमिता घोष शामिल हैं. एमओयू के दौरान इआरएलडीसी के महाप्रबंधक श्यामल कोनार, मुख्य प्रबंधक चंदन कुमार और प्रबंधक सौरव मंडल शामिल थे. वहीं, बीआइटी मेसरा की ओर से वीसी डॉ इंद्रनील मन्ना, रजिस्ट्रार डॉ संदीप दत्ता, डिन रिसर्च डॉ सी जगनाथन, इइइ विभाग के एचओडी डॉ तीर्थदीप घोष उपस्थित थे.