22.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

बाबूलाल मरांडी को नेता प्रतिपक्ष की मान्यता देने की मांग पर भाजपा ने किया प्रदर्शन, स्पीकर बोले : दबाव से नहीं मिलेगा न्याय

Jharkhand Assembly Budget Session : भाजपा विधायकों की मांग है कि बाबूलाल को सदन में नेता प्रतिपक्ष की मान्यता दी जाये. वहीं, विधानसभा अध्यक्ष ने कहा है कि दबाव से न्याय नहीं मिलेगा.

रांची : झारखंड विधानसभा के बजट सत्र की शुरुआत काफी हंगामेदार रही. सदन में बजट पेश किये जाने से ठीक एक दिन पहले सोमवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी को सदन में नेता प्रतिपक्ष की मान्यता देने की मांग पर मुख्य विपक्षी दल ने जमकर हंगामा किया. भाजपा विधायकों की मांग है कि बाबूलाल को सदन में नेता प्रतिपक्ष की मान्यता दी जाये. वहीं, विधानसभा अध्यक्ष ने कहा है कि दबाव से न्याय नहीं मिलेगा.

बजट सत्र के दूसरे दिन की कार्यवाही जैसे ही शुरू हुई, भाजपा के विधायकों ने बाबूलाल मरांडी को नेता प्रतिपक्ष के रूप में मान्यता देने की मांग की. उन्होंने कहा कि भाजपा ने बाबूलाल को विधायक दल का नेता चुन लिया है. इसकी सूचना विधानसभा अध्यक्ष को दी गयी है, लेकिन मरांडी को नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी पर नहीं बैठने दिया जा रहा है. इस मुद्दे पर स्पीकर रवींद्रनाथ महतो ने भाजपा विधायकों को समझाने का प्रयास किया, लेकिन वे नहीं माने.

हंगामा नहीं रुका, तो स्पीकर ने सदन की कार्यवाही दोपहर 12:30 बजे तक स्‍थगित कर दी. स्पीकर ने भाजपा नेताओं को स्पष्ट कर दिया कि दबाव से न्‍याय नहीं मिलेगा. उन्होंने कहा कि न्‍याय मिलेगा, लेकिन इसमें समय लगेगा. स्पीकर ने कहा कि न्‍याय के लिए इंतजार करना होगा. वहीं, बीजेपी विधायकों के हंगामे पर संसदीय कार्य मंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि सरकार हर सवाल का जवाब देने के लिए तैयार है.

सदन की कार्यवाही शुरू होने से पहले भाजपा विधायकों ने विधानसभा के बाहर प्रदर्शन किया. पूर्व मंत्री और भाजपा विधायक अमर कुमार बाउरी ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष के हाथ में सब कुछ है, लेकिन साजिश के तहत वे नेता प्रतिपक्ष को मान्यता नहीं दे रहे हैं. वहीं, विधायक अनंत कुमार ओझा ने कहा कि जब तक नेता प्रतिपक्ष के रूप में बाबूलाल मरांडी को मान्यता नहीं दी जाती है, तब तक सदन को नहीं चलने दिया जायेगा.

विपक्षी दल के विधायकों ने सदन के बाहर हाथों में तख्तियां लेकर प्रदर्शन किया. इन तख्तियों पर लिखा था : ‘लोकतंत्र की हत्या बंद करो’, ‘माननीय विधानसभा अध्यक्ष जी न्याय करो, न्याय करो’, ‘नेता प्रतिपक्ष पर क्यों करते देरी, नहीं चलेगी हेराफेरी’, नेता प्रतिपक्ष को करे इन्कार, क्यों डरी हुई है बाबूलालजी से हेमंत सरकार’. हाथों में तख्तियां लिये इन विधायकों ने विधानसभा के बाहर सीढ़ियों पर बैठकर प्रदर्शन किया और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की.

उल्लेखनीय है कि वर्ष 2006 में बाबूलाल मरांडी ने भारतीय जनता पार्टी से अलग होकर अपनी पार्टी झारखंड विकास मोर्चा (प्रजातांत्रिक) बना ली थी. वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी के टिकट पर तीन विधायक चुने गये. बाबूलाल मरांडी के साथ प्रदीप यादव और बंधु तिर्की भी जेवीएम-पी के टिकट पर चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे. पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने जेवीएम-पी का भाजपा में विलय करने का निर्णय लिया, तो प्रदीप और बंधु ने इसका विरोध किया.

प्रदीप यादव और बंधु तिर्की कांग्रेस में शामिल हो गये. वहीं, बाबूलाल मरांडी ने 17 फरवरी, 2020 को अपनी पार्टी का भाजपा में विलय कर दिया. भाजपा के विधायकों ने बाबूलाल को विधायक दल का नेता चुना. इसकी जानकारी विधासनभा अध्यक्ष को दे दी गयी. लेकिन, विधानसभा सत्र के पहले स्पीकर ने सर्वदलीय बैठक बुलायी, तो बाबूलाल की बजाय भाजपा के वरिष्ठतम विधायक सीपी सिंह को बैठक में आमंत्रित किया. चूंकि बाबूलाल विधायक दल के नेता चुने जा चुके थे, सीपी सिंह बैठक में शामिल नहीं हुए.

स्पीकर ने अब तक सदन में नेता प्रतिपक्ष के रूप में बाबूलाल मरांडी को मान्यता नहीं दी है. इसलिए भाजपा विधायक दल के नेता को ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (आजसू) पार्टी के नेता सुदेश महतो के साथ अपनी पार्टी के विधायकों से अलग बैठना पड़ रहा है. भाजपा बार-बार मांग कर रही है कि बाबूलाल को विपक्ष के नेता के रूप में सदन स्वीकार करे, लेकिन स्पीकर ने साफ कर दिया है कि इस मामले में उन्हें इंतजार करना होगा. ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि विधानसभा का बजट सत्र सुचारु रूप से चलेगा या हंगामे की भेंट चढ़ जायेगा.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें