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झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार BSL से 245.43 एकड़ वन भूमि लेगी वापस, कानूनी कार्रवाई की दी चेतावनी

BSL News: राज्य सरकार बीएसएल से 245.43 एकड़ वन भूमि वापस लेगी. बीएसएल को इसकी जानकारी दे दी गयी है. सरकार के फैसले पर अमल नहीं करने पर कानूनी कार्रवाई की भी चेतावनी दी गयी है.

BSL News: रांची, शकील अख्तर-राज्य सरकार ने बोकारो स्टील लिमिटेड (बीएसएल) द्वारा इस्तेमाल नहीं की जानेवाली 245.43 एकड़ वन भूमि वापस लेने का फैसला किया है. इसकी जानकारी बीएसएल प्रबंधन को दे दी गयी है. सरकार के फैसले पर अमल नहीं करने की स्थिति में कानूनी कार्रवाई करने की चेतावनी दी गयी है. साथ ही वन भूमि पर अवैध कब्जा करने के मामले में स्टील सिटी के अधिकारियों की लापरवाही या संलिप्तता की बात कही गयी है. बीएसएल को दी गयी वन भूमि और उसकी खरीद-बिक्री के मुद्दे पर विभागीय सचिव की अध्यक्षता में नवंबर 2024 में उच्चस्तरीय बैठक हुई. बैठक में पाया गया कि हजारीबाग वन प्रमंडल ने सात गांवों की 671.09 एकड़ और बोकारो वन प्रमंडल ने 11 गांवों की 870.38 एकड़ वन भूमि बीएसएल को हस्तांतरित किया था. बीएसएल ने वर्ष 1976 में पत्र लिख कर 10 गांवों की 864.21 एकड़ वन भूमि को अपने कब्जे में लेने की जानकारी दी थी. बीएसएल ने 1996 में सरकार को पत्र लिख कर तेतुलिया की 95.65 एकड़ और सतनपुर की 149.78 एकड़ जमीन वापस करने की इच्छा जतायी थी. हालांकि, किसी कारण से इस्तेमाल नहीं की जानेवाली वन भूमि सरकार को वापस नहीं की जा सकी.

सीमांकन के लिए संयुक्त समिति बनाने का फैसला किया गया


मामले की समीक्षा के बाद उच्चस्तरीय बैठक में बीएसएल द्वारा इस्तेमाल नहीं की गयी वन भूमि को वापस लेने का फैसला किया गया. सरकार के स्तर पर किये गये इस फैसले पर अमल करने के लिए बीएसएल और वन प्रमंडल के अधिकारियों की एक संयुक्त समिति बनाने का फैसला किया गया, ताकि सर्वे कर इस्तेमाल नहीं की गयी वन भूमि को चिह्नित कर सीमांकन करने और पिलर लगाने का काम किया जा सके.

जनवरी में बुलायी गयी थी बैठक, बीएसएल की ओर से कोई नहीं आया

सरकार द्वारा जमीन वापस लेने के सिलसिले में किये गये फैसले आलोक में बोकारो वन प्रमंडल की ओर से दिसंबर 2024 में बैठक बुलायी गयी. लेकिन, बीएसएल की ओर से इस बैठक में कोई शामिल नहीं हुआ. जनवरी 2025 में बीएसएल की ओर से एक पत्र भेजा गया. बीएसएल की ओर से उस प्रस्तावित डीड ऑफ कन्वेंस के आधार पर अपना दावा किया गया, जिस पर अब तक हस्ताक्षर ही नहीं हुआ है. बीएसएल के इस रवैये को देखते हुए सरकार के स्तर पर वन भूमि वापसी के मामले में किये गये फैसले पर अमल नहीं करने की स्थिति में कानूनी कार्रवाई करने की चेतावनी दी गयी है.

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