रांची : मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने आरोप लगाया है कि केंद्र सरकार अपनी नीतियों से गैर भाजपा शासित राज्यों को अस्थिर करने का षड्यंत्र कर रही है. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की कथनी और करनी में अंतर है. एक तरफ सरकार रेलवे के लिए कुछ घोषणाएं करती है, वहीं दूसरी तरफ रेलवे के निजीकरण की भी बातें हो रही हैं.
शुक्रवार को प्रोजेक्ट भवन में केंद्रीय ऊर्जा राज्य मंत्री के साथ वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के बाद सीएम पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे. सीएम ने कहा कि नयी विद्युत नीति को लेकर बातें हुईं. इस नयी नीति को लेकर राज्य सरकार ने अपना विरोध जता दिया है.
प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत हुआ कि इस नीति के नये स्वरूप से गैर भाजपा शासित राज्यों को अस्थिर करने का षड्यंत्र किया जा रहा है. सीएम ने कहा कि देश में बन रही नीतियों पर ध्यान से देखने की आवश्यकता है. कहीं उन नियमों से देश के संघीय ढांचे को ढहाने की कोशिश तो नहीं हो रही है. देश में जो सिस्टम चल रहा है, कहीं उसे खत्म तो नहीं किया जा रहा है.
सीएम ने कहा कि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान केंद्रीय ऊर्जा राज्य मंत्री को डीवीसी के बाबत राज्य सरकार की चिंता से अवगत करा दिया गया है. डीवीसी ने समय-समय पर सरकार को चेतावनी देते हुए जब इच्छा हुई है, बिजली काट दी है. इस कोरोना संकट में ऊर्जा मंत्री के आश्वासन के बाद भी डीवीसी ने राज्य में बिजली काटने की बात कही है. डीवीसी यदि बाज नहीं आता, तो राज्य सरकार भी एक कड़ा निर्णय ले सकती है.
केंद्र के फैसले को राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दी चुनौती : नयी दिल्ली. कोयला खदानों के वाणिज्यिक खनन के लिए नीलामी के केंद्र के फैसले को झारखंड सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. संविधान के अनुच्छेद 131 के तहत दायर वाद में राज्य सरकार का आरोप है कि केंद्र ने उससे परामर्श किये बिना ही इस मामले में एकतरफा घोषणा की है. राज्य की सीमा के भीतर स्थित इन खदानों और खनिज संपदा का मालिक राज्य है. केंद्र के निर्णय में कोविड-19 की वजह से बदली हुए परिस्थितियों को ध्यान में नहीं रखा गया.
केंद्र ने राज्य द्वारा उठायी गयी आपत्तियों पर विचार नहीं किया है. झारखंड में 29.4 प्रतिशत वन क्षेत्र है और नीलामी के लिये रखी गयी कोयला खदानें वन भूमि पर हैं. इससे पहले, झारखंड सरकार ने राज्य की 41 कोयला खदानों के वाणिज्यिक खनन के लिए डिजिटल नीलामी प्रक्रिया की केंद्र की कार्रवाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी.
Post By : Pritish Sahay