Caste Census in Jharkhand: बिहार सरकार ने जाति आधारित सर्वे रिपोर्ट जारी कर दी है. इस सर्वे रिपोर्ट के साथ ही राज्य में सरगर्मी बढ़ गयी है. पक्ष-विपक्ष की अपनी राय है. भाजपा और झामुमो फिलहाल इस मुद्दे पर चुप हैं. कुछ भी बोलने से परहेज कर रहे हैं. ये दल वेट एंड वाच के मूड में हैं. वहीं कांग्रेस, आजसू, सहित अन्य दलों इसे लागू करने की मांग की है. इनका कहना था कि जनसंख्या के हिसाब से हिस्सेदारी की बात होनी चाहिए. आइए देखते हैं झारखंड में राजनीतिक दलें क्या-क्या कह रही हैं-
हेमंत है, तो हिम्मत है कहने वाले लागू करें : आजसू
आजसू प्रवक्ता डॉ देवशरण भगत ने कहा है कि हमारी पार्टी शुरू से इसकी मांग करती रही है. हमने अपने महाधिवेशन में भी इस एजेंडा को लेकर प्रस्ताव पारित किया है. हमारी नीयत एकदम साफ है. हम समाज के बड़े वर्ग, वंचित वर्ग को उनका अधिकार देने की बात करते रहे हैं. डॉ भगत ने कि झामुमो कहती है कि हेमंत हैं, तो हिम्मत है. अब राज्य सरकार हिम्मत दिखा कर इसे लागू करे. झामुमो पीछे क्यों हट रही है. जिसकी जितनी आबादी, उसकी उतनी हिस्सेदारी की बात होनी चाहिए. जातीय जनगणना से विकास का मॉडल बनाने में आसानी होगी. विकास जमीनी स्तर तक पहुंचेगा. राज्य सरकार को जल्द से जल्द जातीय जनगणना करानी चाहिए.
राष्ट्रीय स्तर पर जातीय जनगणना हो, हिस्सेदारी मिले : कांग्रेस
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने कहा है कि हमारी पार्टी शुरू से ही जातीय जनगणना की बात करती रही है. हमारी राष्ट्रीय नेतृत्व ने इसे पूरी मुखरता के साथ उठाया है. राष्ट्रीय स्तर पर जातीय जनगणना होना चाहिए. केंद्र सरकार पिछड़ा वर्ग के लोगों को उनका अधिकार नहीं देना चाहती है. इसे रोकने का प्रयास हो रहा है. महिला आरक्षण कानून के प्रावधान में भी फेरबदल की जरूरत है. एक बड़े वर्ग को अधिकार से वंचित किया जा रहा है. केंद्र सरकार जातीय जनगणना कराये और हिस्सेदारी दे. श्री ठाकुर ने कहा कि हम संगठन के अंदर भी इसे लागू कर रहे हैं. संगठन में इसको लेकर विशेष कार्यक्रम चला रहे हैं कि जमीनी स्तर से नेतृत्व खड़ा हो.
झारखंड समेत सभी राज्यों में होनी चाहिए जातीय जनगणना : राजद
राजद के मुख्य प्रवक्ता डॉ मनोज कुमार ने कहा कि पार्टी बिहार में हुई जातीय जनगणना का स्वागत करती है. पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद व तेजस्वी यादव जातीय जनगणना के पक्षधर रहे हैं. इस संबंध में एक प्रतिनिधिमंडल ने प्रधानमंत्री से भी मिलने का काम किया था. बिहार की तर्ज पर झारखंड समेत अन्य राज्यों में जातीय जनगणना होनी चाहिए. क्योंकि जब तक जातीय जनगणना नहीं होगा, तब तक महिला आरक्षण व परिसीमन व्यर्थ चला जायेगा. जातीय जनगणना को लेकर सभी राज्य सरकारों को पहल करनी चाहिए.