कोरोना वायरस की वजह से कई काम ठप है. फास्ट फूड का ठेला लगाने वाले, मजदूरी करने वाले बेरोजगार बैठे हैं. ऐसे में सब्जी बेचने के व्यापार ने ही इनके घरों में रोजी – रोटी का जुगाड़ किया है. जाहिर है इनकी कमाई में कमी हुई लेकिन इतनी कमाई जरूर हुई की घरों का चूल्हा जलता रहा. रांची के पुंदाग इलाके में सब्जी की छोटी – छोटी दुकानें अचानक बढ़ गयी है. कई लोग घरों तक सब्जियां पहुंचाने लगे हैं. यह इस इलाके का नहीं आप चाहे जिस शहर में भी रहते हों आपने गौर किया होगा कि सब्जी के दुकानों की संख्या अचानक से बढ़ गयी है.
साल 2007 से रांची की सड़कों पर ऑटो चलाने वाले मनमत्था दत्त कहते हैं, अभी तीन साल मुझे ऑटो की ईएमआई भरनी है, लॉक डाउन में आटो नहीं चला सकता इसलिए सब्जी बेच रहा हूं. नगड़ी इलाके से सब्जी खरीद कर लाता हूं और मेरे घर के पास ही पुंदाग में बेचता हूं. इतनी मेहनत के बाद भी उतना पैसा नहीं होता जितनी मैं ऑटो चला के कमाता था.
मनमत्था कहते हैं, मैं रोज किसानों से मिल रहा हूं. उनकी स्थिति भी बहुत अच्छी नहीं है . इतनी मेहनत के बाद फसल तैयार होती है और तीन रुपये किलो टमाटर खरीदने वाला कोई नहीं है, कई जगहों पर तैयार फ़सल अच्छे ग्राहक के अभाव में खराब हो रहे हैं ना सिर्फ टमाटर, भिंडी, पटल, कोहड़ा, झिंगी जैसी सब्जियों का यही हाल है. मैं तो जैसे ही लॉक डाउन खुलेगा अपने मूल काम में वापस लौट जाऊंगा. मुझे परिवार चलाना है गाड़ी का किस्त भरना है
घर के बाहर एक चौकी में तरह तरह की सब्जियां लगाये ग्राहक का इंतजार करते जितेंद्र शाह बताते हैं आठ साल से मैं फास्टफूड का ठेला लगा रहा हूं लेकिन इस महामारी ने मेरी दुकान बंद करा दिया है. किसी ना किसी तरह तो पैसे कमाने हैं मेरे दो बच्चे हैं उनका पेट भरना है तो सब्जी की दुकान खोल ली है. इससे इतना कमा रहा हूं कि घर का चुल्हा जल रहा है. मेरे ग्राहक मुझे फोन करके पूछते हैं कब से खोल रहे हैं दुकान मैं एक तारीख का इंतजार कर रहा हूं स्थिति सामान्य होल जायेगी तो मैं दोबारा दुकान खोलूंगा. मेरा एक बेटा मेरे साथ दुकान में मदद के लिए रहता है सब्जी की दुकान में भी वही मदद कर रहा है
उषा देवी एक साल से ज्यादा वक्त से सब्जी का व्यापार कर रही हैं. उनसे जब मुनाफे पर सवाल पूछा तो उन्होंने कहा, अब हर कोई सब्जी की दुकान खोल रहा है. मैं जहां पहले बैठती थी वहीं अब कई दुकान खुल गयी है. सबको पैसे चाहिए मुनाफा आधा हो गया है. हमारे लिए परेशानी है क्योंकि हम कोई रोजगार छोड़कर तो नहीं आये हम इसी में हैं लेकिन दूसरे आ गये तो अह़ब हमारे धंधे में मुनाफा नहीं रहा. मैं पहले घर पर जाकर भी सब्जी बेचती थी लेकिन अब कई सोसाइटी में रोक लगा दी गयी है.
लोलो देवी पहले मजदूरी करती थीं आजकल घर चलाने के लिए सब्जी खरीद कर बेचती हैं. उनके पति भी मजदूरी का काम करते थे उनके पास भी अब कोई दूसरा काम नहीं है. लोलो इकलौती हैं जो कुछ कमा रहीं है. इसी सब्जी की दुकान से थोड़ी आमद हो रही है जिससे घर चल रहा है. लोलो बताती है कि इसमें भी नुकसान तो है हीं. कई बार वजन से कम सब्जी मिल जाती है. कई बार सब्जी खराब निकलती है. ऊपर से मार्जिन बहुत कम है कहां मुनाफा है. मेहनत भी खूब है सब्जी खरीदने के लिए सुबह -सुबह जाना पड़ता है. किसान भी परेशान है कि उसे फसल की सही कीमत नहीं मिल रही. खुदरा से लेकर थोक व्यापार तक सब्जी के पेशे में बहुत मेहनत है.