Depression Data In Jharkhand 2020 रांची : कोरोना महामारी के कारण लोगों में अवसाद (डिप्रेशन) की समस्या बढ़ गयी है. डिप्रेशन जब गंभीर हो जाता है, तो लोग हताशा में आत्महत्या तक कर लेते हैं. कोरोना के कारण राज्य में आत्महत्या करनेवालों की संख्या तेजी से बढ़ी है.
2019 की तुलना में 2020 में झारखंड में 499 अधिक लोगों ने आत्महत्या की. राज्य क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो का आंकड़ा बताता है कि 2019 में एक साल के दौरान 1646 लोगों ने आत्महत्या की थी. वहीं 2020 में यह संख्या बढ़ कर 2145 हो गयी. सबसे अधिक आत्महत्या युवा वर्ग (18 से अधिक और 30 से कम) ने की. 2019 में 594 युवाओं ने आत्महत्या की थी.
वहीं 2020 में यह संख्या बढ़ कर 905 हो गयी. 2020 की शुरुआत में कोरोना के पहले चरण का समय था. इस दौरान लॉकडाउन रहा. कई लोगों का रोजगार चला गया. वेतन व सुविधा में कटौती हुई. कई लोगों का अपने परिजनों का साथ छूट गया. कोरोना के पहले चरण में ही लॉकडाउन जैसे प्रयोग किये गये. लोग घरों में कैद हो गये. पहले दौर में कोरोना से मौत की संख्या दूसरे दौर की तरह नहीं थी. लेकिन मानसिक रूप से कोरोना ने सबको कमजोर कर दिया.
कई लोगों की नौकरी चली गयी वेतन व सुविधा में हुई कटौती
परिजनों का साथ छूट गया, जिससे लोगों की हिम्मत टूटती गयी
लॉकडाउन के कारण लंबे समय तक घरों में कैद रह गये लोग
ज्यादा समय तक ऑनलाइन रहने की आदत ने भी बढ़ायी हताशा
2019 47 318 594 462 193
2020 45 411 905 484 184
यह तय था कि लॉकडाउन हटते ही लोग टूटने लगेंगे. जब लोग घरों में कैद थे, तो उनकी जरूरतें सीमित थी. जैसे ही घरों से लोग निकलने लगे, जरूरतें बढ़ने लगी. इसे पूरा करने में असमर्थ होने पर लोग गलत कदम उठाने लगे हैं. लोगों को समझना चाहिए कि अवसाद जीवन का हिस्सा है. इससे लड़ने की जरूरत है. टूटने की नहीं.
डॉ अमूल रंजन सिंह,
रिनपास के पूर्व निदेशक
Posted By : Sameer Oraon