रांची: दीपावली के दीप पर्व पर संदेश देते हुए ब्रह्माकुमारी निर्मला बहन ने कहा कि अंतर्मन में ज्ञान का दीपक जलाने की आज बहुत जरूरत है. दीपावली में मिट्टी के दीपक जलाते आये हैं, लेकिन सन्मार्ग और कुमार्ग का भेद मिट्टी के दीपकों से पता नहीं लग सकता. बेशक दीप जलायें. खुशियां मनाएं, लेकिन अस्त-व्यस्त व तनावग्रस्त जीवन को फिर से अन्दर से सुव्यवस्थित करें. अपने बुरे पुरानी आदतें, आध्यात्मिक शक्ति के स्त्रोत को दान में दे दें और बदले में श्री लक्ष्मी का वरण करें. उन्होंने कहा कि दिग्भ्रमित मानवता में ज्ञान का दीप जलाने की जरूरत है. मेहनत और ईमानदारी से समाज की सेवा और अपने कर्तव्यों के निर्वहन के लिए दृढ़ संकल्प करें तो निश्चित ही समाज एकता, प्रेम और सद्भावना से युक्त सुखमय समाज बन जायेगा और सच्ची दिवाली होगी. इस अवसर पर झांकी आयोजित की गई एवं नृत्य प्रस्तुत किया गया.
ज्ञान दीप से भगाएं अंतर का तमस
ब्रह्माकुमारी निर्मला बहन ने कहा कि तनावमुक्त होकर समृद्ध जीवन जिएं. ज्ञान अमृत पीकर योग रस का आनन्द लें. आत्मा का अंतर्दर्शन कर शराब का नशा, जुआ व अन्य विकार जिससे अशान्ति व दुःख फैल रहे हैं, उनका मन से परित्याग करें. ज्ञान धन की याचना भी लक्ष्मी से करें. दीप बाहर जले, अन्धेरा अन्दर रहे. ऐसी दीपावली न मनाकर ज्ञान दीप से अंतर का तमस भगाएं. अविवेक, विकार व व्यसन ही आत्मा के अंधकार के कारण हैं. ऐसा न हो जीवन की बनावट, सजावट और चमचमाहट से इतना अभिभूत हो जायें कि अंदर के अंधेरे का भान तक न हो.
ज्ञान का दीप जलाने की जरूरत
ब्रह्माकुमारी निर्मला बहन ने कहा कि इसीलिए दिग्भ्रमित मानवता में ज्ञान का दीप जलाने की जरूरत है. लगन, निष्ठा, मेहनत और ईमानदारी से समाज की सेवा और अपने कर्तव्यों के निर्वहन के लिए दृढ़ संकल्प करें तो निश्चित ही समाज एकता, प्रेम और सद्भावना से युक्त सुखमय समाज बन जायेगा और घर-घर में सच्ची दिवाली होगी. इस अवसर पर झांकी आयोजित की गई एवं नृत्य प्रस्तुत किया गया.