Devdutt Pattanaik: ‘विश्वास से पत्थर देवता बन जाते हैं और विज्ञान से देवता पत्थर बन जाते हैं, सब कुछ निर्भर नजरिए पर होता है.’ ये बातें पौराणिक कथाओं के लेखक देवदत्त पटनायक ने राजधानी रांची के कांके में कही. बता दें कि बीते शनिवार रांची के कांके में स्थित आइडियल बैंक्वेट हॉल में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. कार्यक्रम ‘दिवाली विद देवदत्त’ में मुख्य अतिथि के तौर पर पौराणिक विज्ञानी देवदत्त पहुंचे थे. इस कार्यक्रम में उन्होंने रामायण और महाभारत के बीच के संबंध का दर्शन कराया.
‘विश्वास के लिए मन में शंका होना जरूरी नहीं’
इंटारप्रेन्योर्स ऑर्गनाइजेशन, इग्नाइट और अस्क की ओर से आयोजित इस कार्यक्रम में वक्ता के तौर पर मौजूद देवदत्त पटनायक ने लोगों को पौराणिक कथाओं, वेद और अध्यात्म से जुड़ी कई बातें बतायी. मौके पर देवदत्त पटनायक ने माइथोलॉजी को आधुनिक युग और विज्ञान से जोड़कर कहा कि किसी भी व्यक्ति में विश्वास के लिए मन में शंका होना जरूरी नहीं. जबकि, विज्ञान तभी सफल है, जब मन में शंका हो.
रामायण और महाभारत के पात्रों के दिया जीवन दर्शन
कार्यक्रम के दौरान रामायण और महाभारत के पात्रों के जीवन दर्शन भी दिया. उन्होंने कहा कि रामायण और महाभारत दोनों अलग-अलग काल खंड में हुई समान घटनाएं हैं. लेकिन रामायण में राजा जहां अपने राज्य के प्रति सजग है, वहीं महाभारत में राजा राज्य की जगह खुद के स्वार्थ की पूर्ति के लिए निरंतर आगे बढ़ता है. ऐसे में जरूरत है अपनी सोच बड़ी रखने की. क्योंकि छोटे दृष्टिकोण रखने वाले व्यक्ति को हमेशा अपने आस-पास बुराई नजर आयेगी, जबकि वृहद दृष्टिकोण रखने वाले अपने आस-पास की अच्छाई से लगातार प्रेरणा लेते हैं.
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‘यज्ञ’ को प्राप्ति की आकांक्षा का स्रोत बताया
इस दौरान उन्होंने कई लोगों के सवालों के जवाब भी दिए. अपने परिचर्चा के दौरान देवदत्त पटनायक ने यज्ञ को प्राप्ति की आकांक्षा का स्रोत बताया. उन्होंने जीवन में स्वर्ग की सच्चाई को विलासिता, कैलाश को अपनी इच्छाओं का अंत और वैकुंठ को सुख और समृद्धि का ठहराव बताया. साथ ही जीवन चक्र में लेन-देन की प्रक्रिया से असीम संभावनाओं और निरंतर प्रयत्नशील बने रहने की भी सीख दी. बता दें कि इस अवसर पर अपुर्व मोदी, आकाश जालान, शशांक धर्नीधरका समेत अन्य लोग मौजूद थे.