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सर्वाइकल कैंसर उन्मूलन : रंग लाई डॉ भारती कश्यप की मुहिम, एनएचएम का पार्टनर बनेगा वूमेन डॉक्टर विंग

भारत में महिलाओं की मौत का दूसरा सबसे बड़ा कारण सर्वाइकल कैंसर है, जबकि इसका इलाज बेहद आसान है. वर्ष 2023 में अप्रैल से अक्टूबर के बीच झारखंड में सबसे ज्यादा सर्वाइकल कैंसर की संदिग्ध मरीज मिलीं.

झारखंड सरकार ने वूमेन डॉक्टर विंग को सर्वाइकल कैंसर उन्मूलन अभियान में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) का आधिकारिक पार्टनर बनाने का फैसला किया है. गुरुवार (23 नवंबर) को झारखंड सरकार के स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव एवं स्वास्थ्य सचिव अरुण सिंह की अध्यक्षता में कार्सिनोमा सर्विक्स की स्क्रीनिंग से संबंधित समीक्षा बैठक हुई. इसमें राज्य के सभी सिविल सर्जन, सरकारी स्त्री रोग विशेषज्ञों के अलावा सभी जिलों के अस्पताल प्रबंधन और उपाधीक्षक ऑनलाइन जुड़े थे. इस बैठक के बाद सचिव ने आदेश दिया कि एक सप्ताह के भीतर वूमेन डॉक्टर विंग को सर्वाइकल कैंसर उन्मूलन अभियान में एनएचएम का आधिकारिक पार्टनर बनाया जाए. वूमेन डॉक्टर विंग की राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ भारती कश्यप ने कहा है कि एनएचएम का यह अभियान लगातार चलता रहेगा. उन्होंने कहा कि झारखंड मॉडल की सफलता की पूरे देश में चर्चा है. इसे अन्य राज्यों में भी लागू किया जाना चाहिए, ताकि सर्वाइकल प्री कैंसर के मरीजों को तुरंत इलाज मिल सके. भारत में महिलाओं की मौत का दूसरा सबसे बड़ा कारण सर्वाइकल कैंसर है, जबकि इसका इलाज बेहद आसानी से हो सकता है. उन्होंने कहा कि इस मॉडल को और जो आंकड़े हमारे पास हैं, उसे हमने आईएमए हेड क्वार्टर के साथ भी साझा किया है.

2021 में बना था झारखंड मॉडल

डॉ भारती कश्यप ने बताया कि वर्ष 2021 में झारखंड मॉडल बना था. तब हमें 2,70,684 प्रजनन क्षमता वाली ऐसी महिलाओं की स्क्रीनिंग की जिम्मेदारी सौंपी गई थी, जिनमें सर्वाइकल कैंसर के लक्षण हैं या जो हाई रिस्क कैटेगरी में आती हैं. दो साल सात महीने में हमने 2,81,199 प्रजनन क्षमता वाली चिह्नित महिलाओं की जांच की. वर्ष 2023 में अप्रैल से अक्टूबर के बीच सबसे ज्यादा सर्वाइकल कैंसर की संदिग्ध मरीज मिलीं. लोहरदगा में 63, देवघर में 46, खूंटी में 44, रांची में 39, हजारीबाग में 32, बोकारो में 25, पूर्वी सिंहभूम में 25, धनबाद में 22, पाकुड़ में 17 और गोड्डा 16 मरीज मिलीं.

12 सरकारी अस्पतालों में सर्वाइकल कैंसर की जांच एवं इलाज संभव

राज्य के 12 सरकारी अस्पतालों में सर्वाइकल कैंसर की जांच और इलाज की मशीन भी लगाई गई है. पिछले सात महीने में रिम्स ने टाटा ट्रस्ट आउटरीच और टाटा ट्रस्ट कियोस्क की सहायता से 10,274 स्क्रीनिंग हुई है. आज की बैठक में डॉ भारती कश्यप के कार्यों की सराहना की गई. सचिव ने सर्वाइकल कैंसर स्क्रीनिंग के लिए राज्य में चलाए जा रहे महीने के 48 महिला स्वास्थ्य शिविरों के अलावा 264 ब्लॉक के लिए हर महीने 264 महिला स्वास्थ्य शिविर लगाने का भी आदेश दिया, जिसमें सदर अस्पताल से एक स्त्री रोग विशेषज्ञ को कैंप में भेजे जाने का प्रस्ताव दिया गया है. यह भी कहा कि सर्वाइकल कैंसर की संदिग्ध को कैंप में लाने वालों को प्रति मरीज 50 रुपए मानदेय भी दिया जाए.

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क्या है झारखंड मॉडल?

सर्वाइकल कैंसर उन्मूलन के लिए झारखंड की वूमेन डॉक्टर्स विंग ने देश की शीर्ष कैंसर स्त्री रोग विशेषज्ञों से लंबे विचार-विमर्श के बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन के सर्वाइकल कैंसर उन्मूलन नीति 90-70-90 के तीसरे भाग को चुना. इसकी वजह से कम संसाधन में सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम में काफी सफलता मिली. इसके तहत 90 प्रतिशत गर्भाशय ग्रीवा की सूजन वाली महिलाओं की स्क्रीनिंग की गई, फिर उनका इलाज किया गया. इस मॉडल में राज्य के सभी जिलों में प्रजनन क्षमता वाली 6 फीसदी महिलाओं की सर्वाइकल कैंसर की स्क्रीनिंग अनिवार्य हो. हाई रिस्क वाली जिन महिलाओं में जननांग संबंधी सूजन के लक्षण हैं उनके गर्भाशय ग्रीवा की सूजन की 100 फीसदी स्क्रीनिंग कर सकते हैं.

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क्या है विश्व स्वास्थ्य संगठन का 90-70-90

इससे इतर दो और व्यवस्था है, जिसको अपनाना भारत जैसे देश में संभव नहीं है. पहले चरण के 90 फीसदी की बात करें, तो प्रजनन क्षमता वाली 90 फीसदी महिलाओं का वैक्सीनेशन कर दिया जाए. यह झारखंड जैसे राज्य में संभव नहीं है. अगर दूसरे चरण को अपनाएंगे, तो प्रजनन क्षमता वाली 70 फीसदी महिलाओं की अत्याधुनिक मशीन से जांच करानी होगी. झारखंड में 22.5 फीसदी महिलाएं इस श्रेणी में आतीं हैं. उन सभी की जांच कर पाना संभव नहीं है, क्योंकि यह जांच काफी महंगी है. झारखंड मॉडल ने तीसरे चरण को अपनाया, क्योंकि कैंसर रोग विशेषज्ञों ने सलाह दी कि हाई रिस्क कैटेगरी वाली वैसी छह महिलाओं की जांच की जाए, जिनमें ल्यूकोरिया के लक्षण हों, ब्लीडिंग की समस्या हो, 18 साल से कम उम्र में उनकी शादी हो गई हो. इसके अलावा उन महिलाओं की भी जांच की जाए, जो सिगरेट पीती हैं, जिनमें इम्यूनो डेफिसिएंसी है. अगर इस मॉडल पर काम करते हैं, तो सर्वाइकल कैंसर की पहचान भी हो जाएगी और उनका इलाज भी हो जाएगा. डॉ भारती कश्यप ने इसका बीड़ा उठाया और झारखंड सरकार के साथ मिलकर सभी 24 जिलों में कैंप लगाए और दो साल सात महीने में 2,81,199 महिलाओं की जांच करके एक मिसाल कायम की.

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ढाई साल में मिले सर्वाइकल प्री कैंसर के 1033 मरीज

बता दें कि इस अवधि में झारखंड में सर्वाइकल प्री कैंसर के कुल 1,033 संदिग्ध मरीज मिली. सिर्फ सात महीने में 441 संदिग्ध मरीज मिलीं हैं. इस अभियान की खास बात यह रही कि जांच के साथ-साथ संदिग्ध मरीजों का इलाज भी ऑन द स्पॉट हो गया. ऐसी मुहिम चलाने वाला झारखंड देश का पहला और एकमात्र राज्य बन गया है. अपर मुख्य सचिव ने इस अभियान की गहन जानकारी लेने के बाद वूमेन डॉक्टर्स विंग को एनएचएम का पार्टनर बनाने का निर्देश दिया. साथ ही यह भी कहा कि अब सभी 264 प्रखंडों में सर्वाइकल कैंसर उन्मूलन के लिए ऐसे शिविर लगाए जाएंगे.

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Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.

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