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डॉ इरफान अंसारी ने बाबूलाल मरांडी को दे दिया बड़ा ऑफर, कहा- जिंदगी दोबारा नहीं मिलती, जानें पूरा मामला

Dr Irfan Ansari: डॉ इरफान अंसारी ने बाबूलाल मरांडी को फ्री बॉडी चेकअप का ऑफर दिया है. साथ ही उन्हें नफरत में बेवजह ट्वीट न करने की सलाह दी है.

रांची : झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री ने इरफान अंसारी ने बाबूलाल मरांडी को बड़ा ऑफर दिया है. उन्होंने कहा है कि वे उन्हें बुलाकर फ्री में फुल बॉडी चेक करा सकते हैं. उन्होंने ये बातें सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर कही हैं. उन्होंने कहा कि बाबूलाल मरांडी जी जिंदगी वापस दोबारा नहीं मिलती है. इसलिए गुस्से या नफरत में, नाराजगी में, किसी को फंसा कर, किसी पर झूठा लांछन लगाकर, हर बात पर बेवजह ट्वीट कर, लोगों को जलील कर और जानबूझ कर झगड़ा करने में बर्बाद ना करें.

डॉ इरफान अंसारी बोले- झारखंड को पहली बार मिला एक डॉक्टर स्वास्थ्य मंत्री

डॉ इरफान अंसारी ने आगे लिखा कि वे हसंते खेलते रहें और स्वास्थ्य रहें. उन्होंने कहा कहा कि जरूरत पड़ी तो उन्हें बुलाकर अपना इलाज करायें. फुल बॉडी चेकअप फ्री में कराएं. झारखंड को पहली बार एक डॉक्टर स्वास्थ्य मंत्री मिला है. स्वास्थ्य का लाभ लें. दरअसल डॉ इरफान अंसारी ने बाबूलाल के उस आरोप का जवाब दिया है जिसमें उन्होंने कहा था कि नारायणपुर के रहने वाले कैलाश स्वर्णकार को पुलिस ने स्वास्थ्य मंत्री के दबाव की वजह से उन्हें अवैध तरीके से हिरासत में लिया है.

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बाबूलाल मरांडी ने डॉ इरफान अंसारी पर लगाया था सरकारी ताकत के दुरुपयोग का आरोप

बाबूलाल ने इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का खुला उल्लंघन बताया था. इसके अलावा सरकारी ताकत के दुरुपयोग का भी आरोप लगाया था. उन्होंने लिखा था कि जामताड़ा के नारायणपुर निवासी कैलाश स्वर्णकार ने स्वास्थ्य मंत्री इरफान अंसारी के खिलाफ सोशल मीडिया पर एक पोस्ट साझा की थी, जिसे बाद में हटा दिया गया. इसके बावजूद, नारायणपुर पुलिस ने कथित रूप से उन्हें अवैध तरीके से हिरासत में रखा.

किसी नागरिक को गैरकानूनी ढंग से हिरासत में लेना मानवाधिकारों का हनन: बाबूलाल मरांडी

बाबूलाल मरांडी ने आगे लिखा था कि यदि सोशल मीडिया पोस्ट में कोई आपत्तिजनक सामग्री थी, तो इसका समाधान कानूनी प्रक्रिया के तहत होना चाहिए था. लेकिन किसी नागरिक को गैरकानूनी ढंग से हिरासत में लेकर डराने और धमकाने के लिए सत्ता का दुरुपयोग करना, न सिर्फ मानवाधिकारों का हनन है, बल्कि लोकतंत्र की बुनियादी भावना पर चोट भी है.

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