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विधानसभा नियुक्ति गड़बड़ी मामला: राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने की थी CBI जांच की अनुशंसा, लेकिन नहीं हुआ अनुपालन

आयोग ने कुल 30 बिंदुओं की जांच के बाद अपनी रिपोर्ट दी है. हर बिंदु पर विस्तृत जांच और समीक्षा के बाद सौंपी गयी रिपोर्ट में अपेक्षित कार्रवाई का स्पष्ट उल्लेख किया गया है.

शकील अख्तर, रांची: राज्य के तत्कालीन राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने विधानसभा नियुक्ति प्रोन्नति घोटाले में सीबीआइ जांच कराने की अनुशंसा की थी. उन्होंने इस संबंध में विधानसभा के तत्कालीन अध्यक्ष दिनेश उरांव को विक्रमादित्य आयोग की रिपोर्ट के साथ अपनी अनुशंसा से संबंधित पत्र भेजा था. हालांकि उनकी अनुशंसा का अनुपालन नहीं किया गया. तत्कालीन विस अध्यक्ष दिनेश उरांव को भेजे गये पत्र में यह लिखा था कि झारखंड विधानसभा में हुई नियुक्ति व प्रोन्नति में बरती गयी अनियमितता की जांच के लिए सरकार द्वारा सेवानिवृत्त न्यायाधीश विक्रमादित्य प्रसाद की अध्यक्षता में जांच आयोग का गठन किया था. जांच आयोग ने अपनी रिपोर्ट राजभवन को सौंप दी है.

आयोग ने कुल 30 बिंदुओं की जांच के बाद अपनी रिपोर्ट दी है. हर बिंदु पर विस्तृत जांच और समीक्षा के बाद सौंपी गयी रिपोर्ट में अपेक्षित कार्रवाई का स्पष्ट उल्लेख किया गया है. रिपोर्ट के 30 वें बिंदु में विधानसभा में बरती गयी अनियमितताओं के लिए जवाबदेह पदाधिकारियों और कर्मचारियों का उल्लेख किया गया है. साथ ही उनके खिलाफ कार्रवाई का भी उल्लेख किया गया है. आयोग ने चार बिंदुओं की अलग से अनुशंसा की है. तत्कालीन राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू द्वारा अध्यक्ष को लिखे गये पत्र में यह कहा गया कि विधानसभा लोकतंत्र की सर्वोच्च संस्था है. इसलिए यह आवश्यक है कि विधानसभा का सभी काम पारदर्शी तरीके से हो.

न्यायिक जांच आयोग द्वारा सुव्यवस्थित तरीके से विधानसभा में पूर्व में की गयी नियुक्ति-प्रोन्नति की जांच की गयी है. यह अपेक्षित है कि जांच आयोग द्वारा की गयी अनुशंसा के आलोक में विधानसभा द्वारा समयबद्ध तरीके से कार्रवाई सुनिश्चित की जाये, ताकि इस संस्था पर नागरिकों का विश्वास कायम रहे. आप से अनुरोध है कि जांच आयोग की रिपोर्ट में चिह्नित दोषी व्यक्तियों के विरुद्ध आयोग द्वारा की गयी अनुशंसा के आलोक में विधि सम्मत कार्रवाई करें और की गयी कार्रवाई से अधोहस्ताक्षरी को अवगत करायें.

आयोग द्वारा अलग से की गयी अनुशंसा

1- आयोग के साथ प्रतिनियुक्त विधानसभा कर्मियों को किसी तरह प्रताड़ित नहीं किया जाये
2- वीरेंद्र कुमार को तत्कालीन अध्यक्ष द्वारा दी गयी सजा पर फिर से विचार किया जाये

3- नियुक्ति प्रकरण से संबंधित सीडी की जांच सीबीआइ से करायी जाये
4- आयोग के साथ प्रतिनियुक्त कर्मियों को उनकी मेहनत को देखते हुए एक अतिरिक्त वेतन वृद्धि का लाभ दिया जाये

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