Droupadi Murmu, राजेश वर्मा : राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने ICAR-NISA के शताब्दी समारोह में बोलते हुए कहा कि किसान आज भी गरीबी में जी रहे हैं. इस दौरान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मधुमक्खी और पशुपालन पर भी जोर दिया और बोला कि इससे छोटे किसानों को लाभ मिलेगा. इस दौरान मंच पर राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार, सीएम हेमंत सोरेन,केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान, कृषि राज्य मंत्री भागीरथ चौधरी, रक्षा राज्यमंत्री संजय सेठ , कृषि मंत्री दिपिका सिंह पांडेय भी मौजूद रहे. इस मौके पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पौधरोपण किया.
झारखंड से है विशेष लगाव : द्रौपदी मुर्मू
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अपने भाषण की शुरुआत भगवान बिरसा मुंडा के जयकारे के साथ किया. उन्होंने कहा कि झारखंड से उनका विशेष लगाव है. 2017 में इस संस्थान के साथ मिलकर कृषि मेले का उद्घाटन किया था. संस्थान ने लाख, रेजिन जैसे कई उत्पादों में विशेष योगदान दिया.लाख के उत्कृष्ट किसानों को सम्मानित करने का मौका मिला.
अपने राज्यपाल के कार्यकाल को किया याद
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अपने राज्यपाल के दिनों को याद करते हुए बोला कि जब मैं पलामू गई थी तो वहां मुझे बताया गया कि पलाश ,लाख एवं महुवा के नाम पर पलामू का काम रखा गया है. लाख का 55 प्रतिशत उत्पादन होता है जो जनजातीय समुदाय के द्वारा जाता है. लाख आधारित विकास को बढ़ावा दिया जाता है. जीवन यापन को सुधारने में लाभकारी है. किसानों एवं उद्यमियों के समस्या के समाधान के लिए कार्य किया जा रहा है.
कोल्ड स्टेरेज बनाने पर दिया जोर
राष्ट्रपति ने कहा कि जो सब्जी उत्पादन करते हैं लेकिन उसके बाद सब्जी खराब हो जाती है. इस लिए अधिकारियों से निवेदन है कि कोल्ड स्टोरेज की व्यवस्था की जाए. आज का दौर विश्व रुपी का है परंतु दुष्परिणाम से बचना है. अभी भी कई क्षेत्र है जहां हम आगे जा सकते हैं.
सप्लाई चेन बेहतर करने से मिलेगा किसानों को बेहतर मूल्य
राष्ट्रपति ने कहा कि सप्लाई चेन, बाजार की व्यवस्था करने से किसानों को बेहतर मूल्य मिल सकता है. कृषि के विकास के लिए कई कार्य किए जा रहे हैं. सहकारिता क्षेत्र में दुनिया की सबसे बड़ी भंडारण की व्यवस्था की है. पीएम किसान निधि से लाभ दिया जा रहा है.
पशुपालन से होगा छोटे किसानों को लाभ
उन्होंने कहा कि किसान आज भी गरीबी में जी रहे हैं. उन्होंने मधुमक्खी, पशुपालन से विकास, गांवों में छोटे उद्योगों से किसानों को लाभ होगा. कई वेस्ट चीजें फेंक देते हैं जिससे भी हम प्रसंस्करण कर लाभ ले सकते हैं. देश के साथ विदेशों में भी कृषि उत्पादन में पैंठ होनी चाहिए. संस्थान को अन्य संस्थानों से मिलकर काम करना चाहिए.
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