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सीयूजे के फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम में बोले वीसी प्रो क्षिति भूषण दास, भारतीय मूल्यों से भारत बनेगा विकसित और आत्मनिर्भर

Faculty Development Programme: झारखंड केंद्रीय विश्वविद्यालय और दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में रांची में आयोजित आठ दिवसीय फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम का मंगलवार को समापन हो गया.

Faculty Development Programme: झारखंड केंद्रीय विश्वविद्यालय (CUJ) और दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय(CUSB) के संयुक्त तत्वावधान में राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर आधारित ऑनलाइन आठ दिवसीय फैकल्टी डेव्लपमेंट प्रोग्राम का मंगलवार को समापन हो गया. कार्यक्रम 21 अक्टूबर से लेकर 29 अक्टूबर तक चला. समापन सत्र में बतौर मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो सत्यकाम शामिल हुए. इसके अलावा कार्यक्रम में झारखंड केन्द्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो क्षिति भूषण दास और दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो कामेश्वर नाथ सिंह शामिल हुए. दोनों समारोह में ऑनलाइन माध्यम से जुड़े. बीते आठ दिनों में इस फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम में कुल 16 विद्वान प्राध्यापकों ने अलग-अलग विषयों पर प्रतिभागियों का ज्ञानवर्धन किया.

मुख्य अतिथि प्रो. सत्यकाम ने अपने भाषण के दौरान राष्ट्रीय शिक्षा नीति की विशेषताओं पर चर्चा किया. साथ ही भारतीय ज्ञान परंपरा के तरफ प्रतिभागियों का ध्यान केंद्रित करते हुए इसके महत्व पर प्रकाश डाला. उन्होंने ऐकेडमिक मंथन पर भी ध्यान आकृष्ट कराया और औपनिवेशिक शिक्षा पद्धति को हटा कर भारतीय शिक्षा पद्धति को स्थापित करने पर जोर दिया. वहीं सीयूजे के कुलपति प्रो क्षिति भूषण दास ने दो राज्यों के केंद्रीय विश्वविद्यालयों के इस सामूहिक प्रयास पर खुशी जताई. उन्होंने ऐसे कार्यक्रम के आयोजन के लिए आयोजक टीम को प्रोत्साहित किया. प्रो क्षिति भूषण दास ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति को आज के भारत की जरूरत बताया. साथ ही इसे अक्षरशः लागू किए जाने पर जोर दिया. उन्होंने भारतीय मूल्यों पर देश को विकसित बनाने की बात कही है. उन्होंने कहा कि भारत अपने सांस्कृतिक मूल्यों का अनुसरण कर आत्मनिर्भर बनने में सक्षम है.

वहीं, सीयूएसबी के कुलपति प्रो के एन सिंह ने कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिए आयोजक टीम को बधाई दी. उन्होंने आगे भी ज्यादा से ज्यादा इस तरह के आयोजन पर जोर दिया. प्रो सिंह ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति में मातृभाषा के महत्व के ऊपर प्रतिभागियों का ध्यान आकृष्ट कराते हुए शिक्षा के लिए मातृभाषा एवं भारतीय भाषाओं के चयन पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि 21वीं सदी की समस्याओं का निराकरण ज्ञान से ही संभव है, और ज्ञान ही भारत को विश्व पटल पर स्थापित करने का सामर्थ्य रखता है.

कार्यक्रम में सीयूजे शैक्षणिक मामलों के डीन प्रो मनोज कुमार, जनसंचार विषय के डीन प्रो देवव्रत सिंह, सीयूएसबी के जनसंचार विभाग के डीन प्रो के शिव शंकर, मालवीय मिशन टीचर ट्रेनिंग सेंटर, सीयूएसबी के निदेशक डॉ तरुण कुमार त्यागी इस मौके पर मौजूद रहे. इसके साथ ही दोनों ही विश्वविद्यालयों के कई और प्रोफेसर भी कार्यक्रम से जुड़े. सभी प्रतिभागियों और अतिथियों का स्वागत सीयूजे के जनसंचार विभाग के डीन प्रो देवव्रत सिंह ने किया.

आयोजन में देश के 15 राज्यों से 172 प्रतिभागी आए थे. कार्यक्रम के समापन सत्र का संचालन डॉ सुदर्शन यादव (सहायक प्राध्यापक, डीएमसी, सीयूजे) ने किया. धन्यवाद ज्ञापन सी यू एस बी के जनसंचार विभाग के डॉ सुजीत कुमार ने किया. इस आठ दिवसीय कार्यक्रम का समन्वयन डॉ सुदर्शन यादव (सहायक प्राध्यापक, डीएमसी, सीयूजे) एवं डॉ सुजीत कुमार, सी यू एस बी, जनसंचार विभाग ने किया.

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