रांची का नगड़ी प्रखंड जहां के विभिन्न गांवों में झारखंड रिन्यूएबल एनर्जी डेवलपमेंट एजेंसी (JREDA) ने किसानों को 2एचपी का समरसेबल पंप प्रदान किया है, ताकि वे अपने खेतों में सिंचाई कर सकें. नगड़ी प्रखंड में कई किसानों ने इस योजना का लाभ उठाते हुए लगभग तीन महीने पहले अपने खेतों मे सोलर पैनल लगवाया है. जेरेडा ने पीएम कुसुम योजना के तहत 70 प्रतिशत सब्सिडी पर किसानों के खेत में पंप लगाया है. किसानों को सिर्फ पांच हजार रुपये देने पड़े हैं.
सोलर एनर्जी से किसानों को कितना फायदा मिल रहा है और क्या है जमीनी हकीकत यह जानने के लिए संवाददाता ने नगड़ी प्रखंड का दौरा किया. जहां किसानों से बातचीत करने पर कई बातों का खुलासा हुआ जो यह साबित कर रहे हैं कि पीएम कुसुम योजना के तहत किसानों को पंपसेट तो उपलब्ध करा दिया गया है, लेकिन ना तो वे इस पंपसेट को लेकर जागरूक हैं और ना ही वे इसका उपयोग फिलहाल कर रहे हैं. कई किसानों का तो यह मानना है कि सरकार ने दिया है तो लगवा लिये हैं अब कैसे काम करेगा पता नहीं?
नगड़ी पंचायत के पलांडू गांव के चारो उरांव और उनके बेटे बिरसा उरांव दोनों ने ही अपने-अपने नाम पर पीएम कुसुम योजना के तहत सोलर पंप लगवाया है. बिरसा उरांव ने बताया कि लगभग दो-तीन महीना पहले सोलर पैनल लगाया गया है. अभी तो पटवन की जरूरत ही नहीं है, इसलिए हमलोग पंप नहीं चलाते हैं. उन्हें जो दो पंप मिला है उनमें से एक कुएं में लगा है और दूसरा बोरिंग करके खेत में लगाया गया है. एक पंप खराब हो गया है, जिसकी सूचना जेरेडा को दी गयी है, लेकिन अभी तक उसे बनाने के लिए कोई नहीं आया है.
जब बिरसा उरांव से यह पूछा गया कि सोलर पंप से कितना फायदा हो रहा है, तो वे कुछ बताने की स्थिति में नहीं थे. उनका कहना है अभी तो पंप लगा है. सरकार की योजना है तो लगवा लिया है, देखते हैं जब खेतों को पानी की जरूरत होगी तब देखा जायेगा. अभी तो घर पर लाइट है और हम लाइट से ही पटवन करते थे, तो इसका कितना फायदा होगा मालूम नहीं. बिरसा उरांव और उसके पिता चारो उरांव के पास लगभग तीन एकड़ खेत हैं. कभी -कभार पानी की जरूरत होने पर पंप चला लेते हैं, लेकिन अभी इससे खेतों को पानी देने का काम नहीं हो रहा है.
वहीं इसी गांव के अरुण महतो का कहना है कि सरकारी योजना है इसलिए हमने भी सोलर पंप लगवाया है. तीन महीने हो गये हैं लेकिन आज तक पंप चलाया नहीं गया. जेरेडा ने बारिश के मौसम में पंप लगाया है, तो उस वक्त सिंचाई की जरूरत नहीं होती है. मैंने पांच हजार रुपये दिये थे, उसके अलावा सोलर पैनल लेकर आने का खर्चा एक हजार रुपये लिया गया, इसे लगाने पर सीमेंट, बालू और गिट्टी का खर्चा भी आया, लेकिन यह कितना फायदेमंद होगा अभी बताना मुश्किल है. मैंने जितनी जानकारी प्राप्त की है, उसके अनुसार जहां भी सोलर पंप लगा है वह कुछ महीनों में ही बेकार हो गया है और यह सोलर पैनल यूं ही लगा रहता है, कोई काम का नहीं रह जाता है.
अरुण महतो ने बताया कि खूंटी जिला में मेरे कई परिचितों ने सोलर पंप लगवाया है, लेकिन वे इसका उपयोग नहीं कर रहे हैं, वे बिजली पर ही आश्रित हैं, इसलिए मुझे नहीं लगता है कि इसका कोई फायदा होगा. उन्होंने बताया कि आसपास के गांव नारो, साहेर में भी कई किसानों ने सोलर पंप लगाया है लेकिन अभी किसी ने भी इसका उपयोग नहीं किया है, इसकी वजह यह है कि यहां खेतों को अभी सिंचाई की जरूरत नहीं है.
जेरेडा के अनुसार रांची के नगड़ी प्रखंड में कई किसानों को समरसेबल पंप दिया गया है जिसमें कटपरा, लड्डा, नारो, साहेर, पलांडू, महतोटोली जैसे गांव हैं. झारखंड जैसे राज्य जहां के कई इलाके दुर्गम पहाड़ी क्षेत्र हैं और जहां बिजली विभाग के लिए बिजली पहुंचाना बहुत कठिन है, वहां के लिए सौर ऊर्जा बेहतरीन विकल्प है. ग्रामीण इलाकों में तो लोग सौर ऊर्जा को हाथोंहाथ लेते हैं क्योंकि उन्हें इसमें खर्च ज्यादा नहीं करना पड़ता है, क्योंकि उन्हें सब्सिडी मिलती है.
इस इलाके में ज्यादातर बड़े किसान हैं जो धान और सब्जी की खेती करते हैं. ऐसे में बड़ा सवाल जो दिख रहा है कि वह यह है कि 1. अगर सोलर पंप का किसान उपयोग ही नहीं करेंगे तो एनर्जी ट्रांजिशन का लक्ष्य कैसे पूरा होगा? 2. किसानों के खेत में सोलर पंप लगाने जैसी योजना एनर्जी ट्रांजिशन का बहुत छोटा कदम है, अगर ये छोटे कदम भी सही से नहीं उठेंगे तो बड़ा कदम उठाना कैसे संभव होगा? 3. जेरेडा को सोलर एनर्जी के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए अभी बहुत प्रयास करने होंगे, अभी जमीन पर बहुत काम किया जाना है.
4. जेरेडा को सोलर एनर्जी के प्रति लोगों में विश्वास जगाना होगा इसके लिए उन्हें मेंटेनेंस का काम भी जल्दी से करना होगा, अन्यथा किसान और अन्य उपभोक्ता इसके प्रति उदासीन हो जायेंगे. यानी कुल सार यही है कि अभी एनर्जी ट्रांजिशन की राह बहुत कठिन है और बहुत कुछ किया जाना शेष है.
Posted By : Rajneesh Anand