रांची : सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश एसके शशि ने चारा घोटाले के सबसे बड़े मामले (आरसी 47 ए/96) में सजायाफ्ता और मृत अभियुक्तों के खिलाफ मनी लाउंड्रिंग के आरोपों की जांच करने और संपत्ति जब्त करने का आदेश दिया है. न्यायालय के इस आदेश से लालू सहित 130 अभियुक्तों के खिलाफ मनी लाउंड्रिंग के आरोपों की जांच होगी. न्यायालय के आदेश के आलोक में प्रवर्तन निदेशालय चारा घोटाले के दो मामलों (आरसी 38 ए/96 और आरसी 45ए/96) में लालू सहित 45 के खिलाफ केस दर्ज कर चुका है.
सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश ने अपने आदेश में लिखा है कि चारा घोटाले के इस मामले में सजायाफ्ता और मृत अभियुक्तों द्वारा घोटाले की रकम से अर्जित संपत्ति का पता नहीं लगाया जा सका है. यह प्रिवेंशन ऑफ मनी लाउंड्रिंग एक्ट 2002 में निहित प्रावधानों के तहत जांच का विषय हो सकता है. अगर कानून इस मामले में मनी लाउंड्रिंग के आरोपों की जांच की अनुमति देता है और इडी जांच करना चाहता है, तो इसकी जांच करे.
साथ ही घोटाले के पैसों से अर्जित संपत्ति की पहचान कर उसे जब्त करे. न्यायालय ने सीबीआइ को यह आदेश दिया है कि वह इस मामले में प्राथमिकी, आरोप पत्र की प्रति प्रवर्तन निदेशालय को उपलब्ध कराये ताकि इडी उचित कार्रवाई कर सके. चारा घोटाले से जुड़े इस मामले के पहले चरण में कुल 130 अभियुक्तों के खिलाफ जांच शुरू होगी. इसमें सजायाफ्ता 75 और मृत 55 अभियुक्त शामिल हैं.
चारा घोटाले के इस मामले में विशेष न्यायाधीश के आदेश के आलोक में मनी लाउंड्रिंग के आरोपों की जांच के दायरे में चार राजनीतिज्ञ आयेंगे. इसमें पूर्व सीएम लालू प्रसाद, पूर्व विधायक आरके राणा, लोक लेखा समिति के तत्कालीन अध्यक्ष ध्रुव भगत और पूर्व सांसद जगदीश शर्मा शामिल हैं.
इस मामले का सबसे अनोखा पहलू यह है कि दूसरों की अघोषित संपत्ति की जांच करनेवाले रांची के तत्कालीन आयकर आयुक्त एसी चौधरी के खिलाफ भी मनी लाउंड्रिंग के आरोपों की जांच होगी. एसी चौधरी पर चारा घोटाले के अभियुक्तों से पांच लाख रुपये लेने का आरोप है.
इसके अलावा चारा घोटाले के अभियुक्तों के खर्चे पर अपने पारिवारिक सदस्यों को घूमाने-फिराने का आरोप है. इसके बदले चारा घोटाले से जुड़े लोगों ने उनसे घोटाले की रकम पत्नी की आमदनी के रूप में दिखाने में मदद ली. आइएएस अधिकारी बेक जूलियस पर महालेखाकार की उस रिपोर्ट पर पर्दा डालने का आरोप है, जिसमें स्कूटर और मोटरसाइकिल पर कई टन चारा ढोने का उल्लेख करते हुए विस्तृत जांच की अनुशंसा की गयी थी.
मनी लाउंड्रिंग के आरोपों की जांच के दायरे में आये ध्रुव भगत पर एकीकृत बिहार के तत्कालीन वित्त सचिव वीएस दुबे को धमकी देने का आरोप है. वित्त सचिव द्वारा जांच शुरू कराये जाने पर ध्रुव भगत ने पत्र लिख कर उनके अधिकारों को चुनौती दी थी. साथ ही अवमानना का मामला चलाने की धमकी दी थी.
ध्रुव भगत पर चारा घोटाले में अभियुक्तों से एबेंसेडर कार लेने का आरोप है. यह कार सप्लायर राकेश मेहरा के कर्मचारी नरेश कुमार जैन के नाम पर खरीदी गयी थी. बाद में इसे ध्रुव भगत के रिश्तेदार प्रमोद कुमार भगत के नाम पर ट्रांसफर कर दिया गया. हालांकि मामले की सुनवाई के दौरान ध्रुव भगत ने राकेश मेहरा को ही पहचानने से इनकार कर दिया था.
Posted By : Sameer Oraon