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झारखंड हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा सवाल कैसे होगा मेडिकल कचरे का निष्पादन

झारखंड ह्युमेन राइट्स कांफ्रेंस की ओर से जनहित याचिका दायर की गयी है. प्रार्थी ने रांची, जमशेदपुर, धनबाद, बोकारो के अस्पतालों नर्सिंग होम से निकलनेवाले मेडिकल कचरे के उचित निष्पादन की मांग की है.

रांची : झारखंड हाइकोर्ट ने नर्सिंग होम व अस्पतालों से निकलनेवाले बायो मेडिकल कचरा के साइंटिफिक निष्पादन को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. जस्टिस रंगन मुखोपाध्याय व जस्टिस दीपक रोशन की खंडपीठ ने सुनवाई के दाैरान प्रार्थी का पक्ष सुना. इसके बाद खंडपीठ ने राज्य सरकार से जानना चाहा कि नर्सिंग होम व अस्पतालों से निकल रहे बायो मेडिकल कचरे का उचित निष्पादन कैसे होगा, ताकि वातावरण प्रभावित नहीं हो सके. इस पर राज्य सरकार को सुझाव देने का निर्देश दिया. साथ ही मामले की अगली सुनवाई के लिए खंडपीठ ने दो मई की तिथि निर्धारित की. इससे पूर्व प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता समावेश भंजदेव ने पैरवी की. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी झारखंड ह्युमेन राइट्स कांफ्रेंस की ओर से जनहित याचिका दायर की गयी है. प्रार्थी ने रांची, जमशेदपुर, धनबाद, बोकारो के अस्पतालों नर्सिंग होम से निकलनेवाले मेडिकल कचरे के उचित निष्पादन की मांग की है.

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव के कार्य करने पर हाइकोर्ट ने लगायी रोक

झारखंड हाइकोर्ट के जस्टिस राजेश कुमार की अदालत ने झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में सदस्य सचिव की नियमित नियुक्ति को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई की. इस दाैरान प्रार्थी व राज्य सरकार का पक्ष सुना. इसके बाद अदालत ने बोर्ड के प्रभारी सदस्य सचिव वाइके दास के काम करने पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी. साथ ही राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह नियमित नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू करे. मामले की अगली सुनवाई 10 जून को होगी.इससे पूर्व प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता नवीन कुमार व अधिवक्ता हर्ष चंद्रा ने पैरवी की. उन्होंने अदालत को बताया कि राज्य सरकार ने एक आइएफएस अधिकारी वाइके दास को प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का सदस्य सचिव बनाया हुआ है, जो गलत है. उक्त पद पर वाइके दास की नियुक्ति अवैध है. राज्य सरकार नियमित नियुक्ति के बदले प्रभार देकर काम चला रही है. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी कन्हैया कुमार मिश्रा ने याचिका दायर कर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव पद पर नियमित नियुक्ति करने की मांग की है.


जमशेदपुर में अवैध निर्माण मामले में एडवोकेटस कमिश्नर की रिपोर्ट पेश

झारखंड हाइकोर्ट ने जमशेदपुर नोटिफाइड एरिया कमेटी क्षेत्र में अवैध निर्माण के मामले में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. जस्टिस रंगन मुखोपाध्याय व जस्टिस दीपक रोशन की खंडपीठ में सुनवाई के दौरान कोर्ट द्वारा गठित अधिवक्ताओं की समिति की ओर से वरीय अधिवक्ता आरएन सहाय ने दूसरी रिपोर्ट प्रस्तुत की. खंडपीठ ने कमीशन की रिपोर्ट देखने के बाद अक्षेस के अधिवक्ता से माैखिक रूप से कहा कि कोर्ट ने बेसमेंट में पार्किंग व कॉमर्शियल कांप्लेक्स बनाने की बात सुनी है, पर बेसमेंट में किचन भी बनाया गया है, यह कभी नहीं सुना गया है. खंडपीठ ने अक्षेस के अधिवक्ता से पूछा कि कितने अवैध निर्माण को तोड़ा गया है.

मामले की मेरिट पर सुनवाई के लिए खंडपीठ ने 30 अप्रैल की तिथि निर्धारित की.इससे पूर्व प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता अखिलेश श्रीवास्तव, रोहित सिन्हा व एमआइ हसन ने प्रतिवादी अक्षेष की दलील का विरोध किया. उन्होंने खंडपीठ को बताया कि अक्षेष ने जिन 46 भवनों को 2011 में सील कर सीलिंग हटा ली थी, उसी लिस्ट को 2024 की लिस्ट बना कर हलफनामा दायर कर दिया है. एक भी अवैध निर्माण गिराया नहीं गया है. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी राकेश कुमार झा ने जनहित याचिका दायर की है. याचिका में कहा गया है कि जेएनएसी क्षेत्र में वर्ष 2023 तक लगभग 1246 भवनों का अवैध निर्माण हुआ है. 57 भवन निर्माणाधीन हैं.

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