24.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

गर्मी में लोगों को पेयजल की समस्या नहीं हो, सरकार और नगर निगम ध्यान रखें : हाइकोर्ट

झारखंड हाइकोर्ट ने राज्य में नदियों और जल स्रोतों के अतिक्रमण तथा साफ-सफाई को लेकर स्वत: संज्ञान से दर्ज पीआइएल पर सुनवाई की.

रांची. झारखंड हाइकोर्ट ने राज्य में नदियों और जल स्रोतों के अतिक्रमण तथा साफ-सफाई को लेकर स्वत: संज्ञान से दर्ज पीआइएल पर सुनवाई की. जस्टिस रंगन मुखोपाध्याय व जस्टिस दीपक रोशन की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान मौखिक रूप से कहा कि इस गर्मी में लोगों को पेयजल का संकट नहीं हो, इसका राज्य सरकार और रांची नगर निगम ध्यान रखें. जरूरत पड़े, तो टैंकरों से भी पानी उपलब्ध कराया जाये. गेतलसूद डैम, कांके डैम व हटिया डैम की सफाई के मामले में संवेदनशील रहें. खंडपीठ ने रांची नगर निगम से जानना चाहा कि राजधानी में जिन बहुमंजिला भवनों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम नहीं बनाया गया है, उनके मालिकों पर क्या कार्रवाई हो रही है. अगली सुनवाई के लिए खंडपीठ ने 15 मई की तिथि निर्धारित की.

बचे 62 अपार्टमेंट में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनेंगे

इससे पूर्व रांची नगर निगम की ओर से अधिवक्ता एलसीएन शाहदेव ने पक्ष रखते हुए खंडपीठ को बताया कि 710 अपार्टमेंट में से 648 में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनाया जा चुका है. जो 62 अपार्टमेंट बच गये हैं, उन्हें रेन वाटर हार्वेस्टिंग बनाने के लिए कहा गया है. 300 स्क्वायर मीटर या उससे ऊपर के भवनों में वाटर हार्वेस्टिंग करना अनिवार्य है. इसका पालन नहीं करनेवाले भवन मालिकों और अपार्टमेंट के निवासियों से डेढ़ गुना अतिरक्ति होल्डिंग टैक्स वसूला जा रहा है.

एनजीओ और सेल्फ हेल्प ग्रुप की ले रहे मदद

निगम की ओर से खंडपीठ को बताया गया कि रेन वाटर हार्वेस्टिंग को लेकर स्वयंसेवी संस्था और सेल्फ हेल्प ग्रुप से भी सहायता ली जा रही है. लोगों को जागरूक करने के लिए 50,000 पंपलेट और 3000 स्टीकर बांटे गये हैं. 30 जगह होर्डिंग्स लगाकर लोगों को जागरूक किया जा रहा है. एफएम रेडियो के माध्यम से भी वाटर हार्वेस्टिंग के बारे में लोगों को जागरूक कर प्रोत्साहित किया जा रहा है. केंद्र सरकार की ओर से अधिवक्ता प्रशांत पल्लव ने पैरवी की. ज्ञात हो कि नदियों और जलस्रोतों के अतिक्रमण व साफ-सफाई के मामले को झारखंड हाइकोर्ट ने गंभीरता से लेते हुए वर्ष 2011 में पीआइएल में तब्दील कर दिया था.

एनजीओ और सेल्फ हेल्प ग्रुप की ले रहे मदद : निगम की ओर से खंडपीठ को बताया गया कि रेन वाटर हार्वेस्टिंग को लेकर स्वयंसेवी संस्था और सेल्फ हेल्प ग्रुप से भी सहायता ली जा रही है. लोगों को जागरूक करने के लिए 50,000 पंपलेट और 3000 स्टीकर बांटे गये हैं. 30 जगह होर्डिंग्स लगाकर लोगों को जागरूक किया जा रहा है. एफएम रेडियो के माध्यम से भी वाटर हार्वेस्टिंग के बारे में लोगों को जागरूक कर प्रोत्साहित किया जा रहा है. केंद्र सरकार की ओर से अधिवक्ता प्रशांत पल्लव ने पैरवी की. ज्ञात हो कि नदियों और जलस्रोतों के अतिक्रमण व साफ-सफाई के मामले को झारखंड हाइकोर्ट ने गंभीरता से लेते हुए वर्ष 2011 में पीआइएल में तब्दील कर दिया था.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें