रांची : मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के ओएसडी (विशेष कार्य पदाधिकारी)रहे गोपाल जी तिवारी की मुश्किलें बढ़ती दिख रही हैं. इनके खिलाफ सीएम के आदेश के बाद एसीबी (एंटी करप्शन ब्यूरो) ने प्रारंभिक जांच (पीइ) दर्ज कर आगे की कार्रवाई शुरू कर दी है. तिवारी के खिलाफ पद का दुरुपयोग कर पैसा कमाने, 21.55 करोड़ रुपये का निवेश जमीन, फ्लैट आदि में करने व अनधिकृत तरीके से विदेश यात्रा संबंधी शिकायत मिलने के बाद यह कार्रवाई शुरू की गयी है. राज्य में किसी मुख्यमंत्री द्वारा उनके ही ओएसडी रहे संयुक्त सचिव स्तर के पदाधिकारी के खिलाफ एसीबी जांच का यह पहला मामला है. झारखंड प्रशासनिक सेवा के अधिकारी गोपाल जी तिवारी फिलवक्त पथ निर्माण विभाग में संयुक्त सचिव हैं. कुछ दिन पहले ही इन्होंने सीएम के ओएसडी पद छोड़ा था.
अधिवक्ता ने की थी शिकायत : पिछले दिनों हाइकोर्ट के अधिवक्ता राजीव कुमार ने गोपाल जी तिवारी के खिलाफ मुख्यमंत्री को शिकायत कर दस्तावेज सौंपे थे. उसमें गोपाल जी तिवारी द्वारा बेटे निलाभ के नाम पर जमीन की खरीद व निवेश संबंधी दस्तावेज भी दिये गये थे. यह आरोप भी लगाया गया था कि मेसर्स किंग्सले डेवलपर नामक कंपनी में तिवारी का बेटा पार्टनर है.
कंपनी का दफ्तर अशोक नगर रोड नंबर-4 में है. कंपनी के एक अन्य पार्टनर जयदेव चटर्जी नार्थ ऑफिस पाड़ा के निवासी हैं. इस कंपनी ने 9.05 करोड़ रुपये की लागत से 136 डिसमिल जमीन खरीदी है. गोपाल जी तिवारी ने गुरुग्राम में 12.5 करोड़ रुपये की लागत से एक फ्लैट खरीदा लिया है. वहीं, शोभा इंटरनेशनल सिटी में फ्लैट नंबर बी-4 भी उनके बेटे निलाभ के नाम पर ही खरीदा गया है.
रांची : सरकार ने जमीन माफिया से सांठगांठ कर वन भूमि की खरीद-बिक्री के आरोपी रेंजर शंभु प्रसाद को निलंबित करने का आदेश दिया है. फिलहाल वह राज्य वन विकास निगम में उप निदेशक के पद पर पदस्थापित हैं. बोकारो और सिमडेगा में उनके द्वारा की गयी गड़बड़ी के आरोपों के मद्देनजर निलंबित करने का आदेश दिया गया है.
वन विभाग के प्रधान सचिव एपी सिंह ने रेंजर के खिलाफ मिली शिकायतों की जांच के बाद उसे निलंबित करने और उसके खिलाफ विभागीय कार्यवाही चलाने का प्रस्ताव सरकार को दिया था. सीएम ने कार्रवाई की सहमति दे दी है. रेंजर ने बोकारो में सहायक वन संरक्षक के रूप में काम करने के दौरान जमीन माफिया से मिल वन भूमि को गैर वन भूमि बता कर अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी किया.
रांची : उद्योग विभाग की अनुशंसा पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने झारक्राफ्ट में हुए कंबल घोटाला मामले में एसीबी को पीई दर्ज करने की अनुमति दे दी है. इस मामले में झारक्राफ्ट की तत्कालीन सीइओ रेणु गोपीनाथ पणिकर, डीजीएम मो नसीम अख्तर और मुख्य वित्त पदाधिकारी अशोक ठाकुर आरोपी बनाये गये हैं. इसके तहत सरकार की ओर से एसीबी को प्रारंभिक जांच के लिए ऐसे मामले सौंपे जायेंगे, जिनमें लोक सेवकों के विरुद्ध पद के आपराधिक दुरुपयोग व भ्रष्टाचार के आरोप समाहित होंगे.
वर्ष 2016-17 में तत्कालीन सरकार ने जाड़े में कंबल वितरण के लिए नौ लाख कंबल बनाने का आॅर्डर झारक्राफ्ट को दिया था. कंबलों की खरीद 18 करोड़ रुपये में हुई. इसमें अनियमितता की शिकायत मिलने पर तत्कालीन विकास आयुक्त अमित खरे ने स्पेशल अॉडिट कराया और मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर पूरे मामले की निगरानी से जांच कराने की अनुशंसा की थी. लेकिन, तत्कालीन सरकार ने इसकी जांच विभागीय स्तर पर कराने का आदेश दिया.
रांची : प्रवर्तन निदेशालय (इडी), रांची ने कोयला घोटाले में रामगढ़ स्थित झारखंड इस्पात के रूंगटा बंधुओं के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया है. दिल्ली स्थित पीएमएलए कोर्ट में दायर पूरक आरोप पत्र में 3.93 करोड़ रुपये की मनी लाउंड्रिंग का आरोप लगाया गया है. इससे पहले 19.73 करोड़ रुपये के मनी लाउंड्रिंग का आरोप पत्र दायर किया जा चुका है. इडी ने पूरक आरोप पत्र दायर करने के साथ ही न्यायालय से रूंगटा बंधुओं द्वारा 23.66 करोड़ की मनी लाउंड्रिंग के मामले में दंडित करने और संपत्ति सरकार के हवाले करने का अनुरोध किया.
जांच के दौरान यह पाया गया कि कंपनी के राम स्वरूप रूंगटा और राम चंद्र रूंगटा ने मनी लाउंड्रिंग के सहारे रामगढ़ जिले में 25.54 एकड़ जमीन खरीदी. जांच के बाद इस जमीन के अस्थायी रूप से जब्त करने का आदेश दिया गया. इसके बाद एजडजुकेटिंग अथॉरिटी ने इडी की कार्रवाई को सही करार देते हुए इस संपत्ति को स्थायी रूप से जब्त करने का आदेश दिया.
इन अभियुक्तों के खिलाफ कुल 25 करोड़ रुपये की मनी लाउंड्रिंग के आरोप में प्राथमिकी दर्ज की गयी थी. प्रथम चरण की जांच के दौरान इडी ने 19.73 करोड़ रुपये की मनी लाउंड्रिंग के आरोप में सबूत जुटाये. वर्ष 2016 में 19.73 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त करने का प्रोविजनल आदेश जारी किया.
एडजुकेटिंग अथॉरिटी द्वारा इडी की इस कार्रवाई को सही करार देते हुए संबंधित संपत्ति को स्थायी रूप से जब्त करने का आदेश दिया गया. कोयला घोटाले में झारखंड इस्पात के खिलाफ दिल्ली सीबीआइ ने प्राथमिकी दर्ज की थी. इस मामले में न्यायिक सुनवाई पूरी होने के बाद दिल्ली स्थित सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश द्वारा रूंगटा बंधुओं को चार साल की सजा 28 मार्च 2016 को सुनाई जा चुकी है.
Post by : Pritish Sahay