11.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

झारखंड की कोयला खदानों की वाणिज्यिक नीलामी के मोदी सरकार के फैसले को हेमंत सोरेन सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दी चुनौती

Jharkhand News, Hemant Soren, Supreme Court, Coal Block, Commercial Bidding of Coal Blocks, Commercial Mining: रांची/नयी दिल्ली : झारखंड की कोयला खदानों के वाणिज्यिक खनन के लिए नीलामी के केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के फैसले को राज्य की हेमंत सोरेन सरकार ने शुक्रवार (3 जुलाई, 2020) को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. झारखंड सरकार का आरोप है कि केंद्र ने उससे परामर्श के बगैर ही एकतरफा घोषणा की है.

रांची/नयी दिल्ली : झारखंड की कोयला खदानों के वाणिज्यिक खनन के लिए नीलामी के केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के फैसले को राज्य की हेमंत सोरेन सरकार ने शुक्रवार (3 जुलाई, 2020) को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. झारखंड सरकार का आरोप है कि केंद्र ने उससे परामर्श के बगैर ही एकतरफा घोषणा की है.

झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के नेतृत्व वाली राज्य सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 131 के तहत केंद्र के खिलाफ वाद दायर किया है. केंद्र के साथ विवाद होने पर राज्य इसी अनुच्छेद के तहत सीधे सुप्रीम कोर्ट में मामला दायर कर सकते हैं.

इससे पहले, झारखंड सरकार ने राज्य की 41 कोयला खदानों के वाणिज्यिक खनन के लिए डिजिटल नीलामी प्रक्रिया की केंद्र की कार्रवाई के खिलाफ शीर्ष अदालत में याचिका दायर की थी. इस नये वाद में राज्य ने दावा किया है कि कोविड-19 महामारी के दौरान केंद्र द्वारा कोयला खदानों की नीलामी करना बहुत ही अनुचित है और केंद्र को इस खतरनाक संक्रमण की वजह से नागरिकों की समस्याओं को कम करने के लिए आदेश देने चाहिए.

Also Read: Shravani Mela 2020 : देवघर के श्रावणी मेला की सदियों पुरानी परंपरा टूटी, झारखंड हाइकोर्ट ने हेमंत सोरेन सरकार को दिया यह निर्देश

वाद में यह भी दावा किया गया है कि इसे दायर करने का मकसद झारखंड की सीमा में स्थित 9 कोयला खदानों में वाणिज्यिक खनन के लिए नीलामी प्रक्रिया शुरू करने के केंद्र के एकतरफा, मनमाने और गैरकानूनी कार्रवाई की आलोचना करना है.

राज्य के अतिरिक्त महाधिवक्ता तापेश सिंह और अन्य अधिवक्ताओं द्वारा तैयार किये गये इस वाद में कहा गया है, ‘प्रतिवादी (केंद्र) ने वादी से परामर्श के बगैर ही नीलामी की एकतरफा घोषणा की है. वादी राज्य उसकी सीमा के भीतर स्थित इन खदानों और खनिज संपदा का मालिक है.’

वाद में आगे कहा गया है, ‘फरवरी, 2020 की बैठक का कोई मतलब नहीं है, क्योंकि इसमें कोविड-19 की वजह से बदली हुए परिस्थितियों को ध्यान में नहीं रखा गया है. कोविड-19 महामारी, जिसने देश को ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व में अभूतपर्वू ठहराव ला दिया है, की वजह से नये सिरे से वादी के साथ परामर्श की आवश्यकता है.’

वाद में 5 और 23 फरवरी को हुई बैठकों का जिक्र करते हुए कहा गया है कि केंद्र ने राज्य द्वारा उठायी गयी आपत्तियों पर विचार नहीं किया है. इसी तरह वाद में संविधान की पांचवीं अनुसूची का जिक्र करते हुए कहा गया है कि झारखंड में नौ कोयला खदानों में से छह (चकला, चितरपुर, उत्तरी ढाडू, राजहरा उत्तर, सेरगढ़ और उर्मा पहाड़ीटोला), जिन्हें नीलामी के लिए रखा गया है, पांचवीं अनुसूची के इलाके हैं.

Also Read: कोयले की कॉमर्शियल माइनिंग के विरोध में श्रमिक संगठनों ने किये प्रदर्शन, सीसीएल ने कहा : झारखंड की खदानों में हड़ताल का असर नहीं

वाद के अनुसार, झारखंड में 29.4 प्रतिशत वन क्षेत्र है और नीलामी के लिए रखी गयी कोयला खदानें वन भूमि पर हैं. इसमें आगे कहा गया गया है कि इस समय कोयला खदानों की नीलामी का मतलब राष्ट्रीय हित की कीमत पर पूंजीवादी लॉबी के हाथों में खेलना होगा.

Posted By : Mithilesh Jha

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें