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Hemant Soren: ‘कंक्रीट के जंगल से बिगड़ा प्राकृतिक संतुलन, घर बनाएं तो जरूर लगाएं पेड़’, वन महोत्सव में बोले सीएम हेमंत सोरेन

Hemant Soren: सीएम हेमंत सोरेन ने वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग की ओर से रांची के भारतीय कृषि जैव प्रौद्योगिकी संस्थान में आयोजित 75वें वन महोत्सव में वृक्षारोपण कर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया. उन्होंने कहा कि जहां घर बनाएं, वहां कम से कम एक पेड़ जरूर लगाएं.

Hemant Soren: रांची-झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन ने कहा कि झारखंड में जल, जंगल और जमीन हमेशा से ही हमारे जीने का जरिया रहा है, लेकिन सदियों से चली आ रही ये व्यवस्था अंधाधुंध विकास और शहरीकरण की दौड़ में पीछे छूटती जा रही है. आज हरे-भरे पेड़ों से आच्छादित जंगल की जगह कंक्रीट के जंगल ने ले ली है. इसका सीधा असर हमारे पर्यावरण पर पड़ रहा है. प्राकृतिक संतुलन बिगड़ रहा है. अगर हम अब भी नहीं चेते तो इसके गंभीर परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहना होगा. आज जरूरत इस बात की है कि पर्यावरण संरक्षण की खातिर ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने के अभियान का हम हिस्सा बनें और पेड़ों को बचाने का संकल्प लें. वृक्षारोपण से पर्यावरण संरक्षण का संदेश देते हुए उन्होंने कहा कि जहां घर बनाएं, वहां एक पेड़ जरूर लगाएं. वे वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग की ओर से रांची के भारतीय कृषि जैव प्रौद्योगिकी संस्थान (गढ़खटंगा) में आयोजित 75वें वन महोत्सव को संबोधित कर रहे थे.

प्राकृतिक संतुलन के लिए पेड़ों से करनी होगी दोस्ती

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि जिस तरह से पर्यावरण संरक्षण को चुनौती मिल रही है, वह मनुष्य, जीव- जंतु और पूरी प्राकृतिक व्यवस्था के अस्तित्व पर खतरा बनता जा रहा है. ऐसे में हमें तय करना है कि हम प्रकृति के साथ मिलकर अथवा प्रकृति से छेड़छाड़ कर विकास के रास्ते पर आगे बढ़ें. अगर प्रकृति के साथ चलना है तो हमें अपनी जीवन शैली में बदलाव लाना होगा. पेड़ों से दोस्ती करनी होगी और उन्हें बचाने की जिम्मेदारी निभानी होगी. उन्होंने लोगों से कहा कि वे घर बनाते हैं तो उससे पहले वहां एक पेड़ जरूर लगाएं. अगर हर व्यक्ति पेड़ लगाने और पेड़ बचाने की ठान ले तो निश्चित तौर पर हम पर्यावरण को संरक्षित रख पाएंगे.

हम सभी वन महोत्सव का हिस्सा बनें

मुख्यमंत्री ने कहा कि एक ऐसा भी वक्त था, जब झारखंड जैसे प्रदेश में वन महोत्सव मनाने की कोई जरूरत नहीं थी. पूरा राज्य हरे-भरे पेड़ों से आच्छादित था. चारों तरफ जंगल ही जंगल दिखते थे, लेकिन विकास की रफ्तार जैसे-जैसे बढ़ती गई, जंगल सिमटते चले गए और इसका सीधा असर पर्यावरण पर पड़ा. यही वजह है कि आज वन महोत्सव मनाने की एक परंपरा की शुरुआत हुई, जो आज भी चली आ रही है. यह समय की भी मांग है कि हम सभी वन महोत्सव का हिस्सा बनें और ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने की मुहिम में अपनी भागीदारी निभाएं. पेड़ लगाने का अभियान सिर्फ बारिश के मौसम तक सिमट कर नहीं रहना चाहिए. जाड़ा, गर्मी और बरसात हर मौसम में उस मौसम के अनुकूल पेड़ लगाने की मुहिम चलनी चाहिए.

वन समिति के सदस्य सम्मानित, कॉफी टेबल बुक का लोकार्पण

मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर वनों के संवर्धन और विकास के क्षेत्र में बेहतर योगदान करने वाले वन समिति के सदस्यों को पुरस्कार राशि देकर सम्मानित किया. इस मौके पर उन्होंने वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के कॉफी टेबल बुक का भी लोकार्पण किया. मुख्यमंत्री ने भारतीय कृषि जैव प्रौद्योगिकी संस्थान आने वाले लोगों को परिसर का भ्रमण करने के लिए चार लाभुकों को बैट्री ऑपरेटेड ऑटो प्रदान किया.

वन महोत्सव में ये भी थे उपस्थित

वन महोत्सव में कृषि मंत्री दीपिका पांडेय सिंह, विधायक राजेश कच्छप, मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव अविनाश कुमार, वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग की प्रधान सचिव वंदना दादेल, प्रधान मुख्य वन संरक्षक संजय श्रीवास्तव एवं वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के कई वरीय अधिकारी उपस्थित थे.

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