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Ranchi news : हिनू नदी से अब तक क्यों नहीं हटाया गया अतिक्रमण : हाइकोर्ट

मामला जल स्रोतों के संरक्षण, अतिक्रमण हटाने व साफ-सफाई का. कोर्ट ने राज्य सरकार व रांची नगर निगम को जवाब दायर करने का दिया निर्देश.

रांची. झारखंड हाइकोर्ट ने जल स्रोतों के संरक्षण व हटिया, कांके और गेतलसूद डैम को अतिक्रमण मुक्त करने तथा साफ-सफाई को लेकर स्वत: संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका पर सुनवाई की. एक्टिंग चीफ जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद व जस्टिस अरुण कुमार राय की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई के दौरान पक्ष सुनने के बाद नाराजगी जतायी. खंडपीठ ने फटकार लगाते हुए मौखिक रूप से कहा कि हिनू नदी की भूमि से अब तक पूरी तरह से अतिक्रमण क्यों नहीं हटाया गया है. अतिक्रमण करनेवालों के खिलाफ करवाई क्यों नहीं की गयी. तीन वर्ष का समय बीतने के बाद भी अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गयी है. खंडपीठ ने राज्य सरकार व रांची नगर निगम को जवाब दायर करने का निर्देश दिया. खंडपीठ ने रांची नगर निगम से पूछा कि अतिक्रमण के मामले में आदेश पारित क्यों नहीं किया गया. कांके रोड के विद्यापति नगर के एक तालाब को कूड़ा-कचरा से भरने के मामले में क्या कार्रवाई की गयी है. जिन अपार्टमेंटों में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम नहीं है या खराब पड़ा है, उनके खिलाफ क्या कदम उठाये गये हैं. खंडपीठ ने कहा कि जब तक नगर निगम अतिक्रमण जैसे विषयों पर सख्त नहीं होगा, तब तक वह अपनी संपत्ति नहीं बचा सकता है. खंडपीठ ने मौखिक रूप से कहा कि रांची शहर में अपार्टमेंट तो तेजी से बन रहे हैं, लेकिन उसके गंदे पानी की निकासी की कोई समुचित व्यवस्था नहीं है. ऐसे में वर्षा होने पर गंदा पानी सड़कों पर आ जाता है. रांची नगर निगम को इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए. रांची शहर में नालियों का निर्माण व्यवस्थित तरीके से होना चाहिए. मामले की अगली सुनवाई चार अक्तूबर को होगी. इससे पूर्व रांची नगर निगम की ओर से अधिवक्ता एलसीएन शाहदेव ने खंडपीठ को बताया कि अतिक्रमण करनेवालों के खिलाफ अदालत से रोक लगी थी. इनके मामले में कार्यवाही चल रही है. जल्द ही मामले में सुनवाई पूरी हो जायेगी. अतिक्रमण है, तो उसे हटाया जायेगा. उन्होंने यह भी बताया कि बड़ा तालाब के आसपास के घरों से निकलनेवाले गंदे पानी को सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट से जोड़ने की प्रक्रिया की जा रही है. एमिकस क्यूरी इंद्रजीत सिन्हा की ओर से बताया गया कि वर्षा होने पर बड़ा तालाब में आसपास के घरों का गंदा पानी घुस जा रहा है. उल्लेखनीय है कि जलस्रोतों के अतिक्रमण व साफ-सफाई को गंभीरता से लेते हुए वर्ष 2011 में झारखंड हाइकोर्ट ने उसे जनहित याचिका में तब्दील कर दिया था.

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