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पर्यावरण मेले में विशेषज्ञों ने कहा- प्रदूषण की वजह से अंडरवेट पैदा हो रहे बच्चे, बढ़ रहा डिप्रेशन

पर्यावरण मेले में कोलकाता से शिरकत करने आए डॉ. रे ने कहा कि वायु प्रदूषण का असर युवा पीढ़ी के शरीर के प्रायः सभी हिस्सों पर तो पड़ ही रहा है, आने वाली पीढ़ी पर भी पड़ रहा है.

जलवायु परिवर्तन को लेकर आज पूरा विश्व चिंतित है, क्योंकि जलवायु परिवर्तन की वजह से कहीं असमय बारिश हो रही है तो कहीं सूखा पड़ रहा है. तीव्र गरमी और ठंड ने भी मानव जीवन को प्रभावित किया है. ऐसे में पर्यावरण प्रदूषण की वजह से मानव का स्वास्थ्य भी बुरी तरह प्रभावित है. मेले में आये चितरंजन राष्ट्रीय कैंसर इंस्टीट्यूट, कोलकाता के पूर्व सहायक निदेशक डॉ. मानस रंजन रे ने चेतावनी दिया कि अगर शासन व्यवस्था और समाज ने प्रदूषण की समस्या को गंभीरता से नहीं लिया तो आने वाले दिनों में वायु प्रदूषण के कारण देश में ही नहीं, पूरी दुनिया में कैंसर से मरने वालों की संख्या बहुत बढ़ जायेगी. उन्होंने कहा कि आज की तारीख में प्रदूषण को रोकने के लिए जो कदम उठाये जाने चाहिए थे, वो नहीं उठाये गये हैं .

प्रदूषण की वजह से बच्चे अंडरवेट पैदा हो रहे

युगांतर भारती और नेचर फाउंडेशन के तत्वावधान में चल रहे पर्यावरण मेले में कोलकाता से शिरकत करने आए डॉ. रे ने कहा कि वायु प्रदूषण का असर युवा पीढ़ी के शरीर के प्रायः सभी हिस्सों पर तो पड़ ही रहा है, आने वाली पीढ़ी पर भी पड़ रहा है. बच्चे अंडरवेट पैदा हो रहे हैं, वो निमोनिया की चपेट में आ रहे हैं, महिलाओं में गर्भधारण की समस्या पैदा हो रही है, उनका मासिक धर्म भी बुरी तरह प्रभावित हो रहा है. इतना ही नहीं प्रदूषण की वजह से आम आदमी डिप्रेशन का शिकार हो रहा है.

प्रदूषण और स्वास्थ्य पर इसके कुप्रभाव विषय पर संगोष्ठी

‘प्रदूषण और स्वास्थ्य पर इसके कुप्रभाव’ विषय पर आयोजित संगोष्ठी में वक्ताओं ने कहा कि कैंसर जैसी बीमारी पहले बहुत कम होती थी, लेकिन अब इसकी संख्या काफी बढ़ गयी है. डाॅ रे ने कहा कि घर में अगरबत्ती या धूप जलाना अथवा बीड़ी-सिगरेट पीना कैंसर को निमंत्रण है. संगोष्ठी में वक्ताओं ने कहा कि युगांतर भारती संस्था के सहयोग से दामोदर नदी के प्रदूषण पर अंकुश लगायी गयी है और अब इस नदी का पानी काफी हद तक प्रदूषण मुक्त हो गया है.

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पर्यावरण मेले में विशेषज्ञों ने कहा- प्रदूषण की वजह से अंडरवेट पैदा हो रहे बच्चे, बढ़ रहा डिप्रेशन 2
पर्यावरण को संरक्षित करना मेले का उद्देश्य

झारखंड की राजधानी रांची में आयोजित इस मेले का उद्देश्य लोगों को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक करना है. यह मेला दस दिवसीय है, जहां संगोष्ठी का आयोजन कर लोगों को पर्यावरण और प्रदूषण के प्रति के जानकारी दी जायेगी और उन्हें जागरूक किया जायेगा. मेले में 25 फरवरी को ‘पर्यावरण की नीति एवं न्यायिक हस्तक्षेप’ विषय पर संगोष्ठी होगी. सर्वोच्च न्यायालय के वरीय पर्यावरणीय अधिवक्ता एसके उपाध्याय का इस मौके पर व्याख्यान होगा. वहीं 26 फरवरी को ‘पारंपरिक व्यवहार एवं वैश्विक पर्यावरणीय प्रशासन’ विषय पर संगोष्ठी होगी. 28 फरवरी को ‘कृत्रिम बुद्धिमता विकास का पर्यावरण पर प्रभाव’ विषय पर संगोष्ठी होगी. इसमें विशेषज्ञ कुंदन कुमार लाल की गोष्ठी होगी.

झारखंड के वन संपदा की जानकारी

मेले में कई स्टाॅल लगाये गये हैं, जिनमें वन, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन विभाग के स्टाॅल पर झारखंड और उसकी वन संपदा की जानकारी दी गयी है, साथ ही पोस्टर और बैनर के जरिये पर्यावरण संरक्षण के प्रति लोगों को जागरूक किया गया है. मेले में नाटक, निबंध लेखन और क्विज प्रतियोगिता के जरिये भी पर्यावरण के प्रति जागरूक करने की कोशिश की गयी है.

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