रांची : मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने जल संसाधन विभाग के तहत पिछले तीन वर्षों में आमंत्रित और निष्पादित की गयी सभी निविदाओं (टेंडर) की जांच के आदेश दिये हैं. जांच के लिए उच्चस्तरीय समिति गठित की जायेगी, जो जांच कर 30 जून तक रिपोर्ट सौंपेगी. इस उच्चस्तरीय समिति का गठन पथ निर्माण विभाग में गठित उच्चस्तरीय समिति के अनुरूप होगा, जिसके अध्यक्ष विकास आयुक्त होते हैं.
मुख्य बातें –
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आदेश जल संसाधन विभाग में तीन साल के दौरान हुए टेंडरों की जांच
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200 करोड़ रुपये के प्राक्कलन घोटाले की जांच मुख्यमंत्री ने एसीबी से कराने का आदेश दिया
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समर्पण करनेवाले भाकपा माओवादी को पुनर्वास के लिए दो लाख रुपये
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दुमका कारा में आत्महत्या करनेवाले कैदी के परिजन को दो लाख रुपये
उच्चस्तरीय समिति जल संसाधन विभाग में प्रचलित अनुसूचित दरों तथा उसके निर्धारण की प्रक्रिया की समीक्षा करेगी. इसमें अगर किसी तरह की विसंगति पायी जाती है, तो उसकी जांच करेगी. इसके अलावा निर्धारित की गयी अनुसूचित दरों के आधार पर निष्पादित निविदाओं के सैंपल की जांच भी होगी. इसके लिए उच्चस्तरीय समिति एक तकनीकी समिति का गठन भी कर सकती है. तकनीकी समिति के मनोनयन और उसकी संख्या का निर्धारण उच्चस्तरीय समिति ही करेगी.
14वें वित्त आयोग की राशि से बनी सड़कों में गुणवत्ता की कमी समेत कई खामियां बरतने की मिली हैं शिकायतें- बेहतर स्थिति की कई सड़कों को तोड़कर तथा प्राक्कलित राशि कई गुना बढ़ाकर नयी सड़क बनाने का है आरोपप्रमुख संवाददाता4रांचीधनबाद नगर निगम में 14वें वित्त आयोग की योजना में लगभग 200 करोड़ रुपये के प्राक्कलन घोटाले की जांच एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) करेगा. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इसका आदेश दे दिया है.
14वें वित्त आयोग की राशि से धनबाद नगर निगम में 40 सड़कें स्वीकृत की गयी थीं. इनमें से कई पीसीसी सड़कों के निर्माण में गुणवत्ता की कमी समेत कई खामियों की शिकायत मिली है. उक्त 40 में से 27 सड़कों का प्राक्कलन नगर निगम के ही तकनीकी पदधिकारियों ने ही बनाया था. इसका डीपीआर बनाने के एवज में किसी भी परामर्शी एजेंसी को किसी तरह का परामर्शी शुल्क नहीं दिया गया.
हालांकि 13 सड़कों के साथ नाली, एलइडी लाइट, पेवर ब्लॉक आदि का प्रावधान होने की वजह से परामर्शी एजेंसी मेसर्स मास एंड वोड से इसका डीपीआर और डिजाइन परामर्श शुल्क देकर तैयार कराया गया. इन 13 सड़कों की कुल प्राक्कलित राशि 156.33 करोड़ रुपये है. लेकिन, इन सड़कों के डीपीआर का अवलोकन से पता चला कि किसी भी डीपीआर में डिजाइन संलग्न नहीं है. इसके अलावा डीपीआर में तकनीकी रिपोर्ट भी नहीं है. वहीं, सड़कों के निर्माण में कई खामियों और तकनीकी प्रावधानों के उल्लंघन की शिकायत की गयी है.
महापौर पर लगाये गये हैं गंभीर आरोपधनबाद नगर निगम प्राक्कलन घोटाले की जद में यहां के महापौर चंद्रशेखर अग्रवाल भी हैं. आरोप है कि महापौर के निर्देश पर परामर्शी एजेंसी मेसर्स मास एंड वोड से डीपीआर तैयार कराया गया, जिसमें प्राक्कलित राशि कई गुना बढ़ायी गयी.
इसके बाद पहले से अच्छी स्थितिवाली पीसीसी सड़कों को तोड़कर दोबारा पीसीसी सड़कों का निर्माण कराया गया. बढ़े हुए प्राक्कलन के अनुसार परामर्शी एजेंसी को शुल्क के रूप मोटी रकम दी गयी, जिसका 50 प्रतिशत हिस्सा महापौर ने वसूल किया है. वहीं, जिन पीसीसी सड़कों का निर्माण कराया गया है, उसकी गुणवत्ता निम्नस्तरीय है.
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उग्रवादी संगठन भाकपा माओवादी के समर्पण करनेवाले उग्रवादी चुनू मुंडा उर्फ राकेश को प्रत्यर्पण और पुनर्वास नीति के तहत अनुदान के रूप में दो लाख रुपये दिये जायेंगे. इस प्रस्ताव को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने मंजूरी दे दी है. चुनू मुंडा पूर्वी सिंहभूम जिले के गुड़ाबांदा थाना क्षेत्र के टाटू का रहनेवाला है.
21 नवंबर 2018 को दुमका कारा में आत्महत्या करनेवाले बंदी गोवर्धन पुजहर के आश्रित को दो लाख रुपये मुआवजा दिया जायेगा. मुख्यमंत्री ने इसकी मंजूरी दे दी है. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने इस मामले में कारा प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया था. साथ ही मृतक के आश्रित को दो लाख रुपये मुआवजा देने की अनुशंसा राज्य सरकार से की थी.
Posted by Pritish Sahay