राज्य सरकार शुक्रवार (तीन मार्च) को वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए बजट पेश करेगी. सरकार द्वारा पेश किये जानेवाले बजट के 1,12,000 करोड़ रुपये के होने का अनुमान किया जा रहा है. अगले वित्तीय वर्ष के दौरान विकास योजनाओं के लिए बजट आकार का 56 प्रतिशत और स्थापना खर्च के लिए 44 प्रतिशत का प्रावधान किये जाने का अनुमान है.
इधर गुरुवार को विधानसभा में आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट पेश किया गया. रिपोर्ट में कहा गया है कि अगले वित्तीय वर्ष (2023-24) में राज्य की विकास दर, देश की विकास दर से ज्यादा रहेगी. मुद्रास्फीति की वजह से अगस्त 2021 से दिसंबर 2022 तक की अवधि में ईंधन, प्रकाश, कपड़े और जूते आदि की कीमत में तेजी से वृद्धि हुई. राज्य गठन के बाद से 2021-22 तक की अवधि में बजट आकार करीब 13 गुना बढ़ा. राज्य में गरीबी का प्रतिशत गिर कर 36.6 तक पहुंची. प्रति व्यक्ति आय बढ़ कर 86060 रुपये हो गयी. राज्य पर कर्ज का बोझ बढ़ कर 126353.2 करोड़ रुपये हो गया.
वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव ने गुरुवार के विधानसभा में वित्तीय वर्ष 2022-23 की ‘आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट’ पेश की. रिपोर्ट में कहा गया है कि 2019-20 में आयी आर्थिक मंदी और 2020-21 में कोविड-19 का कुप्रभाव राज्य की अर्थव्यवस्था पर पड़ा. इस अवधि में पूरे देश की अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई थी. देश के मुकाबले राज्य की अर्थव्यवस्था थोड़ी कम प्रभावित हुई. मंदी और कोविड-19 का दौर समाप्त होने के बाद राज्य की अर्थव्यवस्था पटरी पर लौटी.
वित्तीय वर्ष 2021-22 में राज्य की अर्थव्यवस्था सुधार हुआ और राज्य की विकास दर 8.2 प्रतिशत रही. चालू वित्तीय वर्ष के दौरान राज्य की विकास दर 7.8 प्रतिशत होने का अनुमान है. अगले वित्तीय वर्ष के दौरान राज्य की विकास दर में 7.4 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान किया गया है. रिपोर्ट में राज्य की आर्थिक स्थिति की चर्चा करते हुए यह कहा गया है कि राजकोषीय घाटा, वित्तीय दायित्व व बजट प्रबंधन अधिनियम (एफआरबीएम एक्ट) की निर्धारित सीमा में है. रिपोर्ट में ग्रामीण क्षेत्रों में आधारभूत संरचना, आजीविका के संसाधनों में वृद्धि का दावा किया गया है. रिपोर्ट में शहरी क्षेत्र के विकास का भी दावा किया गया है.