Jharkhand Chunav Result, हरिश्वर दयाल( प्रोफेसर, सेंट जेविर्यस कॉलेज, रांची) : केंद्र और राज्य, दोनों सरकारों ने देश के लोगों के लिए कई कल्याणकारी योजनाएं शुरू की हैं. हालांकि यह भी सच है कि इनमें से कई योजनाएं चुनावी लाभ के उद्देश्य से शुरू और लागू की गयी हैं. विदित हो कि राज्य सरकार के पास केंद्र सरकार की कल्याणकारी योजनाओं और स्वयं द्वारा शुरू की गयी कल्याणकारी योजनाओं, दोनों को लागू करने का अधिकार है. हालांकि झारखंड के मामले में, इन योजनाओं की लोगों तक पहुंच में बड़े पैमाने पर भिन्नता दिखाई देती है. आंकड़ों से यह बात पूरी तरह स्पष्ट हो जाती है. केंद्र सरकार की योजनाओं की बात करें, तो जहां पीडीएस ने 67 प्रतिशत उत्तरदाताओं (रेस्पॉन्डेंट) को लाभान्वित किया है, वहीं मनरेगा और आवास योजना ने क्रमशः 22 प्रतिशत और 27 प्रतिशत उत्तरदाताओं को लाभान्वित किया है.
लोगों तक योजना पहुंचाने में राज्य सरकार केंद्र सरकार से रही पीछे
राज्य सरकार की योजनाओं की लोगों तक पहुंच केंद्र सरकार की योजनाओं की तुलना में कम रही है और इन योजनाओं में मुफ्त बिजली योजना अन्य योजनाओं की तुलना में कहीं अधिक लोगों तक पहुंची है. कल्याणकारी योजनाओं के लाभार्थियों की संख्या में अंतर योजनाओं के डिजाइन, लाभार्थियों की रुचि और कार्यान्वयन प्राधिकरण की सक्रियता में भिन्नता के कारण आया है. यहां यह बात भी महत्वपूर्ण है कि उत्तरदाताओं को इस बात की जानकारी थी कि किस सरकार ने कौन सी कल्याणकारी योजनाएं शुरू की हैं. इस कारण अधिकांश उत्तरदाताओं द्वारा केंद्र सरकार की योजनाओं को शुरू करने का श्रेय केंद्र सरकार को दिया गया है, जबकि राज्य सरकार की योजनाओं का श्रेय राज्य सरकार को दिया गया है.
लाभर्थियों के बड़े वर्ग ने झामुमो नीत गठबंधन को किया वोट
यहां एक बात जो महत्वपूर्ण है, वह यह कि भले ही किसी भी सरकार (राज्य या केंद्र सरकार) ने कल्याणकारी योजना शुरू की हो, लाभार्थियों के एक बड़े प्रतिशत ने मौजूदा राज्य सरकार, (आइएनडीआइ गठबंधन) के पक्ष में ही मतदान किया है. हालांकि, आइएनडीआइ गठबंधन और एनडीए को जिन्होंने वोट दिया है, उनके बीच अंतर की बात करें, तो यहां केंद्र सरकार की योजनाओं के लाभार्थियों की तुलना में राज्य सरकार की योजनाओं के लाभार्थियों की संख्या बहुत बड़ी है.
गैर-लाभार्थियों की यदि बात करें, तो केंद्र और राज्य सरकार की अधिकांश योजनाओं के गैर-लाभार्थियों ने भी इंडिया गठबंधन को वोट दिया है. पीडीएस, मुफ्त बिजली और अबुआ आवास योजना को छोड़ कर, केंद्रीय और राज्य सरकार की अन्य सभी योजनाओं के गैर-लाभार्थियों के एक बड़े प्रतिशत ने एनडीए की तुलना में आइएनडीआइ गठबंधन के पक्ष में मतदान किया है. हालांकि उनमें से, आइएनडीआइ और एनडीए को वोट देने वालों के बीच का अंतर लाभार्थियों के मामले में कम रहा है.
मंईयां सम्मान योजना की जीत में महत्वपूर्ण भूमिका
बेशक राज्य में बेरोजगारी एक प्रमुख मुद्दा रहा है, परंतु इसके बावजूद मुख्यमंत्री रोजगार सृजन योजना के बारे में जानने वाले युवाओं का प्रतिशत बहुत कम देखने को मिला है. इतना ही नहीं इस योजना के लिए पंजीकरण कराने वाले युवाओं का प्रतिशत भी बहुत कम पाया गया है. मंईयां सम्मान योजना की बात करें, तो चुनाव में इस योजना को सर्वाधिक महत्वपूर्ण कारकों में से एक माना गया है. इस योजना के कारण ही मौजूदा राजनीतिक गठबंधन की जीत हुई है. वास्तव में, इस योजना को बड़े पैमाने पर प्रचारित किया गया है, साथ ही बड़ी संख्या में महिलाओं को इसके लिए पंजीकृत भी किया गया है और उन्हें प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) के माध्यम से अगस्त 2024 से प्रति माह 1000 रुपये मिलना शुरू भी हो गया है. कुल मिलाकर, झारखंड के मामले में देखें, तो कल्याणकारी योजनाओं से जो लोगों को लाभ मिला है, उसकी स्वीकृति और श्रेय ने राज्य की झामुमो के नेतृत्व वाली सरकार को चुनाव जीतने में सहायता की है. कल्याणकारी योजनाओं से मिले लाभ के अतिरिक्त, अन्य कारकों ने भी मतदाताओं के रुझान को राज्य सरकार की ओर करने में अपना योगदान दिया है.