झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार ने तीन साल का कार्यकाल आज पूरा कर लिया. इस अवसर पर गुरुवार (29 दिसंबर 2022) को प्रोजेक्ट भवन में आयोजित विशेष कार्यक्रम में प्रदेश की जनता को 951 करोड़ रुपये की योजनाओं की सौगात दी. किसानों के खाते में 232 करोड़ रुपये ऑनलाइन ट्रांसफर किये. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस अवसर पर विश्वास जताया कि प्रदेश जल्द तरक्की करेगा.
हेमंत सोरेन ने सूखा राहत योजना को ऐतिहासिक कदम बताया. उन्होंने कहा कि प्रदेश में कई बार सूखा पड़ा. लेकिन, जिस तरह से उनकी सरकार ने किसानों को समय रहते राहत दी है, आज तक किसी सरकार ने ऐसा नहीं किया. सीएम ने कहा कि सूखा राहत योजना के तहत 6 लाख 64 हजार किसानों के बैंक अकाउंट में 232 करोड़ रुपये आज ट्रांसफर किये गये.
श्री सोरेन ने कहा कि किशोरी समृद्धि योजना का लाभ 552 बच्चियों को मिला है. 21.5 लाख से अधिक बच्चों को स्कॉलरशिप दी गयी. इस मद में सरकार ने 438 करोड़ रुपये दिये हैं. इस तरह कुल मिलाकर सरकार ने एक दिन में 951 करोड़ रुपये का वितरण किया है. उन्होंने इसे सरकार के लिए बहुत उत्साह का विषय बताया. कहा कि किसानों और बच्चों के लिए भी खुशी का दिन है. विभिन्न जिलों में पदाधिकारियों, मंत्रियों ने खुशियां बांटी है. बहुत-सी योजनाएं शुरू की गयी हैं.
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हेमंत सोरेन ने कहा कि उनकी ने कई उतार-चढ़ाव देखे. कई आपदाएं देखीं. 20 वर्षों इतनी चुनौती किसी सरकार के सामने नहीं आयी. महागठबंधन की सरकार ठीक से बनी भी नहीं थी कि कोरोना ने झकझोर दिया. ऐसी स्थितियां बनीं कि लोग घरों में कैद होकर रह गये. 2 साल तमाम गतिविधियां ठप हो गयीं. अर्थव्यवस्था चौपट हो गया. लोगों के रोजगार चले गये. दुनिया थम-सी गयी. समझ नहीं आ रहा था कि आगे क्या होगा? लेकिन, हमने हार नहीं मानी.
झारखंड के मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे प्रदेश पर देश का पिछड़ा राज्य होने का मुहर लगा है. यहां मूलभूत सुविधाओं का अभाव. डॉक्टरों का अभाव. लेकिन, हमारे प्रदेश में वैसी परिस्थितियां नहीं बनीं, जैसी अन्य राज्यों में थीं. कोरोना के दौरान हमने देखा कि जिन राज्यों में सारी सुविधाएं थीं, वर्ल्ड क्लास अस्पताल, डॉक्टर थे, वहां कोरोना के दौरान लोग जानवर की तरह मरने के लिए मजबूर थे. शवों को जलाने के लिए लकड़ी नहीं थी, दफन करने के लिए जमीन तक नहीं मिल रही थी. मजबूरन लोग अपने परिजनों की लाश को खुले मैदान में छोड़ देते थे. भयावह मंजर था.
श्री सोरेन ने कहा कि झारखंड में सबसे ज्यादा मजदूर, किसान रहते हैं. ये गरीब हैं. इस प्रदेश में ऐसे-ऐसे लोग हैं कि अगर एक दिन काम न करें, तो घर का चूल्हा न जले. ऐसे हालात 20 सालों से राज्य में हैं. मजदूर घर में रहता है तो भूखे मरता है. बाहर कमाने जाता है, तो बीमारी से मरता है. ऐसी विषम परिस्थितियों में राज्य के लोगों ने एक-दूसरे का हाथ थामा और राज्य को बचाया. मुख्यमंत्री ने कहा कि एक भी व्यक्ति कोरोना के दौरान झारखंड में भूख से नहीं मरा. यह हमारी सरकार की बड़ी उपलब्धि है. हमने हर आपदा को अवसर में बदलने का प्रयास किया. इसमें हम सफल भी हुए.
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झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन ने कहा कि उनकी सरकार सत्ता में आयी, तो विकास को गति दी. इसका परिणाम है कि राज्य के कोने-कोने में लोगों के चेहरे पर आज खुशी साफ दिख रही है. लोगों ने 20 साल तक दमन और शोषण का दंश झेला है. सड़कों पर आये दिन धरना-प्रदर्शन होते रहते थे. तीन साल से हम जनता के साथ खड़े हैं. आगे भी खड़े रहेंगे. इसलिए लोगों को इस सरकार से आस है. उन्होंने कहा कि अभी लंबा सफर बाकी है. 20 साल में पहली बार यहां कुछ हलचल हो रही है. आज हमारे राज्य के बच्चे विदेशों में पढ़ने जाते हैं.
हेमंत सोरेन ने कहा कि रोजगार सृजन में, नौकरी के क्षेत्र में हमने बेहतरीन काम किये हैं. भविष्य में कई चुनौतियां आयेंगी, लेकिन हम उसके लिए मानसिक रूप से तैयार हैं. हमने लक्ष्य तय कर रखा है. उसके अनुरूप काम कर रहे हैं. आज सरकारी कर्मचारी, किसान, मजदूर, नौजवान, शिक्षित सब खुश हैं. पहली बार खेल पदाधिकारियों की नियुक्ति हुई. जेपीएससी जैसे मकड़जाल में 20 सालों तक न जाने कितने बच्चों का भविष्य खराब हुआ, उन संस्थानों से महज 250 दिनों में नियुक्ति प्रक्रिया पूरी करके बच्चों को बीडीओ, सीओ, कलेक्टर बनाकर तैनात किया. अब हमारे प्रदेश में बीपीएल परिवार के बच्चे बीडीओ, सीओ, कलेक्टर बनते हैं.
हेमंत सोरेन ने कहा कि न जानें इस राज्य को पिछड़ा क्यों कहा जाता है. खनिज संपदा से परिपूर्ण इस राज्य का पिछली सरकारों ने समुचित विकास नहीं किया. खेल जगत में हमारी प्रतिभा का लोहा दुनिया मानती है. शिक्षा के क्षेत्र में हम सदैव से अव्वल रहे हैं. उन्होंने नेतरहाट का उदाहरण दिया. कहा कि देश में सबसे ज्यादा आईएएस-आईपीएस नेतरहाट ने तैयार किये. उन्होंने कहा कि आने वाले वित्त वर्ष में शिक्षा के क्षेत्र में नये आयाम जोड़ने जा रहे हैं. आज की शिक्षा व्यवस्था और आज की डिमांड के आधार पर इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार करेंगे, ताकि झारखंड के बच्चे आगे बढ़ सकें.