रांची: प्रदेश कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है. लोकसभा सीटों को लेकर मंगलवार को प्रभारी का चयन किया गया है. लोकसभा सीटों के प्रभारी का चयन चुनावी रणनीति के हिसाब से होता है. यह मान कर चला जाता है कि लोकसभा के प्रभारी की आनेवाले चुनाव में उम्मीदवारी हो सकती है. कांग्रेस ने प्रभारी के नाम तय क्या किये, उधर कई नेताओं की धड़कन बढ़ गयी है. कई लोकसभा सीटों के प्रबल दावेदार को काट कर दूसरी जगह का प्रभारी बना दिया है.
अब कांग्रेस के अंदरखाने राजनीति गरमायी हुई है. पिछली बार गोड्डा से कांग्रेस-झाविमो गठबंधन से चुनाव लड़नेवाले प्रदीप यादव को राजमहल का प्रभारी बनाया गया है. वहीं गोड्डा से लोकसभा चुनाव की दावेदार मानी जा रहीं दीपिका पांडेय सिंह को दुमका भेज दिया गया है. पूर्व सांसद फुरकान अंसारी भी गोड्डा से अपनी दावेदारी पेश करते रहे हैं. ऐसे में इन तीनों नेताओं को गोड्डा से किनारे कर विवाद को फिलहाल शांत रखने का प्रयास किया गया है.
पार्टी ने तीनों ही नेताओं की दावेदारी के बीच से रास्ता निकालने का प्रयास किया है. हालांकि पार्टी की इस सूची से कई नेताओं की नाराजगी बढ़ी है. गोड्डा लोकसभा का प्रभारी आलमगीर आलम को बनाया गया है. वहीं वर्तमान वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव को लोहरदगा से पलामू भेज दिया है. पार्टी ने संकेत दे दिया है कि इस बार लोहरदगा में उन्हें मौका नहीं भी दिया जा सकता है.
सुखदेव भगत को लोहरदगा लोकसभा का प्रभारी बनाया है. धनबाद में जलेश्वर महतो और मंत्री बन्ना गुप्ता दोनों ही प्रभारी होंगे. हजारीबाग सीट पर पार्टी ने अब तक कोई पत्ता नहीं चला है. इंडिया गठबंधन में यह सीट कांग्रेस के पास जा सकती है. हजारीबाग से डॉ प्रदीप बलमुचु को प्रभारी बनाया गया है. हजारीबाग सीट से कई दावेदार हैं. विधायक अंबा प्रसाद इस सीट के लिए लॉबिंग कर रही है.
खूंटी संसदीय सीट से चुनाव लड़नेवाले कालीचरण मुंडा की जगह बंधु तिर्की को जवाबदेही दी गयी है. ऐसे कई नेता हैं, जिन्हें उनकी लोकसभा सीट का ही प्रभारी बनाया गया है. ऐसी सीटें गठबंधन में कांग्रेस के ही खाते में आने की संभावना है. रांची में सुबोधकांत सहाय को प्रभारी बनाया गया है. वहीं जमशेदपुर में डॉ अजय कुमार को ही जिम्मेवारी दी गयी है. धीरज साहू को भी चतरा भेजा गया है. श्री साहू चतरा से चुनाव लड़ते आये हैं.
यह पूर्ण रूप से संगठन के कामकाज को दुरुस्त करने की व्यवस्था मात्र है. इस कमेटी को चुनाव से जोड़ कर देखा नहीं जा सकता है. हमारे पास कई अनुभवी नेता हैं, जिन्होंने अपने क्षेत्र को मजबूत बनाया है. पार्टी उनके अनुभव का लाभ दूसरी जगहों पर भी लेना चाहती है. अभी चुनाव में देरी है, सभी पहलुओं को ध्यान में रख कर आलाकमान सब तय करता है. अभी किसी तरह की जल्दबाजी नहीं है.
राजेश ठाकुर, प्रदेश अध्यक्ष